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प्रधानमंत्री किसान संपदा (SAMPADA) योजना क्या है? इसके उद्देश्यों एवं प्रावधानों का उल्लेख कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
प्रधानमंत्री किसान संपदा (SAMPADA) योजना परिचय प्रधानमंत्री किसान संपदा (SAMPADA) योजना 2016 में शुरू की गई एक केंद्रीय योजना है, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण की क्षमता को बढ़ाना है। उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देना: कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन को बढ़ाRead more
प्रधानमंत्री किसान संपदा (SAMPADA) योजना
परिचय
प्रधानमंत्री किसान संपदा (SAMPADA) योजना 2016 में शुरू की गई एक केंद्रीय योजना है, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण की क्षमता को बढ़ाना है।
उद्देश्य
प्रावधान
हालिया उदाहरण
संपदा योजना के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की स्थापना हुई है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि और खाद्य अपशिष्ट में कमी आई है।
See less"भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विकसित देशों की गति के साथ नहीं बढ़ा है।" इसकी व्याख्या कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि में रुकावटें 1. अवसंरचना की कमी: कूलिंग और कोल्ड चेन के कमजोर संरचना के कारण, भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पारंपरिक तरीके पर निर्भर रहता है। इसका उदाहरण है, संगठित फूड प्रोसेसिंग पार्कों की कमी। 2. निवेश की कमी: निजी निवेश और अनुसंधान एवं विकास में कमी है,Read more
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि में रुकावटें
1. अवसंरचना की कमी: कूलिंग और कोल्ड चेन के कमजोर संरचना के कारण, भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पारंपरिक तरीके पर निर्भर रहता है। इसका उदाहरण है, संगठित फूड प्रोसेसिंग पार्कों की कमी।
2. निवेश की कमी: निजी निवेश और अनुसंधान एवं विकास में कमी है, जो उद्योग के आधुनिकीकरण और विस्तार में बाधक है।
3. नियामक चुनौतियाँ: जटिल नियामक ढाँचा और लंबी प्रक्रिया व्यापार में लचीलापन की कमी और प्रभावशीलता की कमी का कारण बनती है।
हालिया उदाहरण: हाल ही में प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) जैसे सरकारी प्रयास खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को संवृद्धि देने की दिशा में प्रयासरत हैं। इसके बावजूद, अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को पीछे रहना पड़ रहा है।
सारांश: भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि में संरचनात्मक, निवेश सम्बंधी, और नियामक चुनौतियाँ प्रमुख बाधाएँ हैं।
See lessभारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का विकास करने की राह में विपणन और पूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में क्या बाधाएँ हैं ? क्या इन बाधाओं पर काबू पाने में ई-वाणिज्य सहायक हो सकता है ? (200 words) [UPSC 2015]
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास में विपणन और पूर्ति श्रृंखला प्रबंधन की बाधाएँ विप fragmented आपूर्ति श्रृंखला: भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र एक अत्यंत फटे हुए आपूर्ति श्रृंखला का सामना करता है। किसानों को अक्सर कई मध्यस्थों से गुजरना पड़ता है, जिससे लागत बढ़ती है और अपशिष्ट बढ़ता है।Read more
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास में विपणन और पूर्ति श्रृंखला प्रबंधन की बाधाएँ
ई-वाणिज्य द्वारा बाधाओं का समाधान
ई-वाणिज्य इन चुनौतियों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है:
इस प्रकार, जबकि कई महत्वपूर्ण बाधाएँ हैं, ई-वाणिज्य भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में विपणन और आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं को सुलझाने में सहायक हो सकता है।
See lessसहायिकियां सस्यन प्रतिरूप, सस्य विविधता और कृषकों की आर्थिक स्थिति को किस प्रकार प्रभावित करती हैं ? लघु और सीमांत कृषकों के लिए, फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य और खाद्य प्रसंस्करण का क्या महत्त्व है ? (250 words) [UPSC 2017]
सहायिकाओं का सस्यन प्रतिरूप, सस्य विविधता और कृषकों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव **1. सहायिकाओं का सस्यन प्रतिरूप पर प्रभाव: **1. विशिष्ट फसलों की ओर झुकाव: सहायिकाओं की प्राथमिकता: खाद्य और उर्वरक सब्सिडी के कारण कुछ फसलों जैसे धान और गेहूँ को प्राथमिकता दी जाती है। उदाहरण के लिए, धान के लिए सब्सिडीRead more
सहायिकाओं का सस्यन प्रतिरूप, सस्य विविधता और कृषकों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव
**1. सहायिकाओं का सस्यन प्रतिरूप पर प्रभाव:
**1. विशिष्ट फसलों की ओर झुकाव:
**2. संसाधन विषमताएँ:
**3. आर्थिक प्रभाव:
**2. सस्य विविधता पर प्रभाव:
**1. सस्य विविधता में कमी:
**2. पर्यावरणीय समस्याएँ:
**3. आर्थिक अस्थिरता:
**3. लघु और सीमांत कृषकों के लिए महत्त्वपूर्ण तत्व:
**1. फसल बीमा:
**2. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP):
**3. खाद्य प्रसंस्करण:
हालिया उदाहरण:
निष्कर्ष:
लागत प्रभावी छोटी प्रक्रमण इकाई की अल्प स्वीकारिता के क्या कारण हैं? खाद्य प्रक्रमण इकाई गरीब किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने में किस प्रकार सहायक होगी ? (150 words) [UPSC 2017]
लागत प्रभावी छोटी प्रक्रमण इकाई की अल्प स्वीकारिता के कारण: **1. आधारभूत संरचना की कमी: सीमित सुविधाएँ: छोटी प्रक्रमण इकाइयों को अक्सर आधारभूत संरचना की कमी का सामना करना पड़ता है, जैसे कि ठंडा भंडारण और आधुनिक प्रक्रमण तकनीक। उदाहरण के लिए, कई छोटे यूनिट्स में उचित ठंडा भंडारण की सुविधा नहीं होती,Read more
लागत प्रभावी छोटी प्रक्रमण इकाई की अल्प स्वीकारिता के कारण:
**1. आधारभूत संरचना की कमी:
**2. उच्च प्रारंभिक निवेश:
**3. बाजार पहुँच की समस्याएँ:
**4. नियमिती समस्याएँ:
खाद्य प्रक्रमण इकाई से गरीब किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार:
**1. मूल्य वृद्धि और आय में वृद्धि:
**2. रोजगार सृजन:
**3. पश्चात-फसल क्षति में कमी:
**4. ग्रामीण विकास:
इस प्रकार, लागत प्रभावी छोटी प्रक्रमण इकाइयाँ वित्तीय, बुनियादी ढाँचे, और नियामक चुनौतियों का सामना करती हैं, लेकिन ये किसानों की आय बढ़ाने, रोजगार सृजन, और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
See lessखाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक की चुनौतियों के समाधान हेतु भारत सरकार द्वारा अपनाई गई नीति को सविस्तार स्पष्ट कीजिए। (250 words) [UPSC 2019]
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान हेतु भारत सरकार द्वारा अपनाई गई नीति 1. राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण नीति: नीति का उद्देश्य: भारत सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को संवर्धित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण नीति (NFPP) लागू की है। इसका लक्ष्य उत्पादन क्षमता बढ़ानRead more
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान हेतु भारत सरकार द्वारा अपनाई गई नीति
1. राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण नीति:
2. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन:
3. प्रोसेसिंग पार्क और क्लस्टर डेवलपमेंट:
4. वित्तीय प्रोत्साहन और सब्सिडी:
5. मास्टर प्लान और नीति सुधार:
6. स्मार्ट टेक्नोलॉजी और अनुसंधान:
निष्कर्ष: भारत सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की चुनौतियों को दूर करने के लिए समग्र नीति अपनाई है, जिसमें प्रोसेसिंग पार्क, वित्तीय प्रोत्साहन, नीति सुधार, और स्मार्ट टेक्नोलॉजी के उपयोग शामिल हैं। ये उपाय क्षेत्र के विकास और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
See lessदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की चुनौतियाँ एवं अवसर क्या हैं? खाद्य प्रसंस्करण को प्रोत्साहित कर कृषकों की आय में पर्याप्त वृद्धि कैसे की जा सकती है? (150 words) [UPSC 2020]
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की चुनौतियाँ और अवसर चुनौतियाँ: अवसंरचनात्मक कमियाँ: उदाहरण: "कोल्ड चेन की कमी" - कृषि उत्पादों की खराब प्रसंस्करण और भंडारण सुविधाएँ, जैसे "कृषि से जुड़े आधुनिक गोदामों का अभाव"। निवेश की कमी: उदाहरण: "उच्च पूंजी निवेश की आवश्यकता" - खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में निवेश की कमीRead more
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की चुनौतियाँ और अवसर
चुनौतियाँ:
अवसर:
कृषकों की आय में वृद्धि के उपाय:
इन उपायों से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान संभव है और कृषकों की आय में वृद्धि हो सकती है।
See lessभारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के कार्यक्षेत्र और महत्त्व का सविस्तार वर्णन कीजिए । (150 words)[UPSC 2022]
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के कार्यक्षेत्र और महत्त्व **1. कार्यक्षेत्र: विविध उत्पाद: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग फल, सब्जियाँ, डेयरी, मांस, और अनाज उत्पादों की प्रसंस्करण में संलग्न है। इसमें पैकेज्ड खाद्य पदार्थ, तैयार भोजन, और पेय पदार्थ भी शामिल हैं। विस्तारशीलता: भारत में इस उद्योग की वृद्धिRead more
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के कार्यक्षेत्र और महत्त्व
**1. कार्यक्षेत्र:
**2. आर्थिक महत्त्व:
**3. खाद्य सुरक्षा और पोषण:
**4. हालिया विकास:
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भारत की आर्थिक वृद्धि, खाद्य सुरक्षा, और पोषण में सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसके विकास से देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सशक्त किया जा सकता है।
See lessआपूर्ति श्रृंखला प्रबन्धन क्या है भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के सन्दर्भ में इसके महत्व पर प्रकाश डालिए । (125 Words) [UPPSC 2022]
परिभाषा: आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन (SCM) उन सभी गतिविधियों की योजना और नियंत्रण है जो कच्चे माल से लेकर अंतिम उत्पाद तक के सभी चरणों को शामिल करती हैं। इसमें स्रोत (procurement), उत्पादन, लॉजिस्टिक्स, और वितरण शामिल हैं। महत्व भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के संदर्भ में: कुशल संसाधन प्रबंधन: SCM कRead more
परिभाषा: आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन (SCM) उन सभी गतिविधियों की योजना और नियंत्रण है जो कच्चे माल से लेकर अंतिम उत्पाद तक के सभी चरणों को शामिल करती हैं। इसमें स्रोत (procurement), उत्पादन, लॉजिस्टिक्स, और वितरण शामिल हैं।
महत्व भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के संदर्भ में:
इस प्रकार, SCM खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में कुशल प्रबंधन, गुणवत्ता सुधार, और लागत में कमी के लिए महत्वपूर्ण है।
See lessखाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक की अप्रयुक्त क्षमता का दोहन करने और इसके सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने में डिजिटलीकरण की क्षमता पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक की अप्रयुक्त क्षमता का दोहन करने और इसकी चुनौतियों का समाधान करने में डिजिटलीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विशाल है, लेकिन इसमें बहुत सी संभावनाएँ अभी भी अप्रयुक्त हैं। डिजिटलीकरण इन संभावनाओं को साकार करने में एक प्रभावी उपकरण हो सकता है। पहRead more
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक की अप्रयुक्त क्षमता का दोहन करने और इसकी चुनौतियों का समाधान करने में डिजिटलीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विशाल है, लेकिन इसमें बहुत सी संभावनाएँ अभी भी अप्रयुक्त हैं। डिजिटलीकरण इन संभावनाओं को साकार करने में एक प्रभावी उपकरण हो सकता है।
पहली चुनौती, आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता और दक्षता की कमी है। डिजिटलीकरण, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों के माध्यम से खाद्य उत्पादन से लेकर उपभोक्ता तक की पूरी प्रक्रिया को ट्रैक और मॉनिटर करना संभव बनाता है। इससे खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता, सुरक्षा, और शेल्फ लाइफ में सुधार होता है, जिससे किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिलता है और उपभोक्ता को सुरक्षित खाद्य उत्पाद।
दूसरी चुनौती, प्रसंस्करण इकाइयों का अपर्याप्त उपयोग है। डिजिटलीकरण से उत्पादन प्रक्रियाओं का ऑटोमेशन और वास्तविक समय में मॉनिटरिंग संभव हो जाती है, जिससे संसाधनों का अधिकतम उपयोग और उत्पादन में वृद्धि होती है। इससे प्रसंस्करण इकाइयों की कार्यक्षमता बढ़ती है और अपव्यय कम होता है।
डिजिटलीकरण से मार्केटिंग और वितरण नेटवर्क का विस्तार भी आसान हो जाता है। ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के माध्यम से उत्पादकों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ने में मदद मिलती है, जिससे बीच के दलालों की भूमिका कम होती है और उत्पादक को अधिक लाभ होता है।
हालांकि, डिजिटलीकरण के समक्ष कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे कि ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच और डिजिटल साक्षरता की कमी। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
संक्षेप में, डिजिटलीकरण खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक की अप्रयुक्त क्षमता का दोहन करने के लिए एक क्रांतिकारी उपकरण है, जो इसे अधिक उत्पादक, कुशल, और लाभदायक बना सकता है।
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