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कृषि उत्पादों के उत्पादन एवं विपणन में ई-तकनीक किसानों की किस प्रकार मदद करती है? इसे समझाइए। (150 words)[UPSC 2023]
ई-तकनीक से कृषि उत्पादन और विपणन में सहायता 1. उत्पादन में सुधार: ई-तकनीक ने कृषि उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। प्रेसिजन फार्मिंग तकनीकें, जैसे ड्रोन और रिमोट सेंसिंग, मिट्टी की स्थिति, फसल की दशा और कीटों के प्रकोप की वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, ICAR द्वारा ड्रोRead more
ई-तकनीक से कृषि उत्पादन और विपणन में सहायता
1. उत्पादन में सुधार: ई-तकनीक ने कृषि उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। प्रेसिजन फार्मिंग तकनीकें, जैसे ड्रोन और रिमोट सेंसिंग, मिट्टी की स्थिति, फसल की दशा और कीटों के प्रकोप की वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, ICAR द्वारा ड्रोन का उपयोग फसलों की निगरानी के लिए किया जाता है, जिससे उपज की भविष्यवाणी और संसाधन प्रबंधन में सुधार होता है। मोबाइल ऐप्स जैसे किसान सुविधा मौसम पूर्वानुमान, कृषि सलाह और कीट प्रबंधन की जानकारी उपलब्ध कराते हैं, जिससे किसान बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
2. विपणन में सुधार: विपणन में, ई-तकनीक eNAM (इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट) जैसे प्लेटफार्म के माध्यम से सीधे बाजार से जोड़ती है। eNAM किसानों को खरीदारों से सीधे जोड़ता है, बिचौलियों को समाप्त करता है और बेहतर मूल्य सुनिश्चित करता है। ऑनलाइन कृषि बाजार, जैसे Ninjacart और BigHaat, किसानों को व्यापक बाजार तक पहुंच प्रदान करते हैं, जिससे उचित मूल्य मिलता है और मंडियों पर निर्भरता कम होती है।
निष्कर्ष: ई-तकनीक कृषि उत्पादन और विपणन को बेहतर जानकारी और बाजार पहुंच प्रदान करके दक्षता और लाभप्रदता में सुधार करती है।
See lessकिसानों की सहायता के लिए ई-तकनीक के प्रयोग के निहितार्थों को समझाइये । (125 Words) [UPPSC 2023]
किसानों की सहायता के लिए ई-तकनीक के निहितार्थ सूचना पहुंच: ई-तकनीक के माध्यम से जलवायु की जानकारी, फसल की सलाह और बाजार की कीमतें किसानों तक तुरंत पहुँचाई जा सकती हैं। उदाहरण के लिए, फसल सलाहकार ऐप्स जैसे Kisan Suvidha ऐप ने किसानों को वास्तविक समय में सलाह प्रदान की है। सामान्य विकास: डिजिटल कृषि पRead more
किसानों की सहायता के लिए ई-तकनीक के निहितार्थ
हालिया उदाहरण: 2024 में, भारतीय सरकार ने ‘कृषि डिजिटल इंडिया’ पहल शुरू की है, जो किसानों को उन्नत ई-तकनीक और डिजिटल उपकरणों की सुविधा प्रदान करती है, जिससे उनकी उत्पादकता और आय में सुधार हो सके।
See lessभारतीय किसानों के लिए ई-प्रौद्योगिकी के लाभों पर प्रकाश डालिए। साथ ही, इस संदर्भ में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डालिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारतीय किसानों के लिए ई-प्रौद्योगिकी के लाभ: सूचना का आसान पहुंच: ई-प्रौद्योगिकी किसानों को मौसम, फसल की कीमतें, बीमारियों और कीटनाशकों के बारे में ताज़ा और सटीक जानकारी प्राप्त करने में मदद करती है। बेहतर विपणन अवसर: ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से किसान सीधे उपभोक्ताओं या व्यापारियों से जुड़ सकतेRead more
भारतीय किसानों के लिए ई-प्रौद्योगिकी के लाभ:
सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
इन पहलों से किसानों को ई-प्रौद्योगिकी का उपयोग करके उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने और आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद मिल रही है।
See lessडिजिटल कृषि अर्थव्यवस्था की क्षमता को साकार करने में आने वाली चुनौतियों को रेखांकित कीजिए। इस संबंध में सार्वजनिक- निजी भागीदारी (PPP) की भूमिका पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
डिजिटल कृषि अर्थव्यवस्था की क्षमता को साकार करने में आने वाली चुनौतियाँ: डिजिटल बुनियादी ढाँचा: ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में उचित इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी एक बड़ी चुनौती है। इससे डिजिटल उपकरणों और सेवाओं की पहुँच और उपयोग में बाधाएँ आती हैं। तकनीकी साक्षरता: किसानों कRead more
डिजिटल कृषि अर्थव्यवस्था की क्षमता को साकार करने में आने वाली चुनौतियाँ:
डिजिटल बुनियादी ढाँचा: ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में उचित इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी एक बड़ी चुनौती है। इससे डिजिटल उपकरणों और सेवाओं की पहुँच और उपयोग में बाधाएँ आती हैं।
तकनीकी साक्षरता: किसानों की तकनीकी साक्षरता का स्तर कम है, जिससे वे डिजिटल कृषि समाधानों का सही उपयोग नहीं कर पाते। इसके लिए प्रशिक्षण और जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है।
डिजिटल विभाजन: तकनीकी संसाधनों की असमान वितरण और डिजिटल विभाजन से छोटे और सीमांत किसानों को डिजिटल कृषि के लाभों से वंचित रहना पड़ता है।
सुरक्षा और गोपनीयता: डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के मुद्दे डिजिटल कृषि समाधानों के लिए चिंता का विषय हैं। किसानों की व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है।
वित्तीय और तकनीकी समर्थन: डिजिटल कृषि समाधानों को अपनाने के लिए वित्तीय सहायता और तकनीकी समर्थन की कमी भी एक बाधा है।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) की भूमिका:
संवर्धन और विस्तार: सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के माध्यम से डिजिटल कृषि परियोजनाओं का संवर्धन और विस्तार किया जा सकता है। निजी क्षेत्र के निवेश और तकनीकी विशेषज्ञता के साथ, सरकारी प्रयासों को सहयोग और समर्थन मिलता है।
प्रशिक्षण और जागरूकता: PPP मॉडल के तहत, निजी कंपनियाँ प्रशिक्षण कार्यक्रम और जागरूकता अभियानों का संचालन कर सकती हैं, जिससे किसानों को डिजिटल उपकरणों और सेवाओं के लाभ समझ में आ सकें और उनका उपयोग बढ़ सके।
बुनियादी ढाँचा सुधार: सरकारी और निजी कंपनियों के संयुक्त प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढाँचा सुधारा जा सकता है, जैसे कि उच्च गति इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है।
नवाचार और समाधान: PPP के माध्यम से नई तकनीकों और नवाचारों का विकास और कार्यान्वयन किया जा सकता है, जो किसानों की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सकते हैं।
वित्तीय सहायता: सार्वजनिक-निजी भागीदारी से वित्तीय सहायता प्राप्त की जा सकती है, जिससे डिजिटल कृषि उपकरणों और सेवाओं की लागत कम की जा सकती है और किसानों को वित्तीय रूप से समर्थन प्राप्त हो सकता है।
इन प्रयासों से डिजिटल कृषि की क्षमता को साकार किया जा सकता है, जिससे कृषि क्षेत्र को आधुनिक तकनीक से लाभ मिलेगा और किसानों की उत्पादकता और आय में सुधार होगा।
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