उत्तर प्रदेश के क्रान्तिकारियों का भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में योगदानों का मूल्यांकन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
उन्नीसवीं सदी में उत्तर प्रदेश में पुनर्जागरण एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन का दौर था। इस समय की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं: सांस्कृतिक पुनरुत्थान: हिंदी और उर्दू भाषाओं में साहित्यिक गतिविधियाँ बढ़ीं। लेखक जैसे महात्मा गांधी, हसरत मोहानी, और नवाब सैयद अहमद खान ने सांस्कृतिक और सRead more
उन्नीसवीं सदी में उत्तर प्रदेश में पुनर्जागरण एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन का दौर था। इस समय की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं:
- सांस्कृतिक पुनरुत्थान: हिंदी और उर्दू भाषाओं में साहित्यिक गतिविधियाँ बढ़ीं। लेखक जैसे महात्मा गांधी, हसरत मोहानी, और नवाब सैयद अहमद खान ने सांस्कृतिक और साहित्यिक योगदान दिया, जिससे क्षेत्रीय भाषा और साहित्य को नया जीवन मिला।
- सामाजिक सुधार: इस अवधि में सामाजिक सुधारक जैसे राजा राममोहन राय और ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने सती प्रथा और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने महिला शिक्षा और सामाजिक समानता के लिए अभियान चलाए।
- राजनीतिक जागरूकता: इस समय ने राजनीतिक जागरूकता और आत्म-शासन के लिए आंदोलनों को प्रेरित किया, जो भविष्य के राष्ट्रीय आंदोलन की नींव रखी।
कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश का पुनर्जागरण सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक जागरूकता में एक महत्वपूर्ण अध्याय था।
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main-surface-primary text-token-text-primary h-8 w-8"> उत्तर प्रदेश के क्रान्तिकारियों ने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रमुख क्रान्तिकारियों में: राम प्रसाद बिस्मिल - काकोरी ट्रेन डकैती के नेता, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह को बढ़ावा दिया। चंद्रशेखर आज़Read more
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उत्तर प्रदेश के क्रान्तिकारियों ने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रमुख क्रान्तिकारियों में:
इन क्रान्तिकारियों ने सशस्त्र संघर्ष, जन जागरूकता और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपार साहस दिखाया, जिससे स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा मिली और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरणा मिली।
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