उन्नीसवीं सदी में उत्तर प्रदेश में पुनर्जागरण के स्वरूप पर प्रकाश डालिए। (125 Words) [UPPSC 2022]
असहयोग आन्दोलन (1920-1922) के दौरान उत्तर प्रदेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधीजी ने इस आन्दोलन के लिए प्रदेश के व्यापक जनसमर्थन का लाभ उठाया। उत्तर प्रदेश में हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक माने जाने वाले इस आन्दोलन ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ व्यापक जनसंगठनों की स्थापना की। मुख्य रूप से, चंद्रशेखरRead more
असहयोग आन्दोलन (1920-1922) के दौरान उत्तर प्रदेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधीजी ने इस आन्दोलन के लिए प्रदेश के व्यापक जनसमर्थन का लाभ उठाया। उत्तर प्रदेश में हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक माने जाने वाले इस आन्दोलन ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ व्यापक जनसंगठनों की स्थापना की।
मुख्य रूप से, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल जैसे नेता सक्रिय थे, जिन्होंने जन जागरूकता और असहयोग के सिद्धांत को फैलाया। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा और खादी आंदोलन को भी बल मिला। इस दौरान, शिक्षण संस्थानों का बहिष्कार और सरकारी नौकरियों से इस्तीफे की गतिविधियाँ जोर पकड़ीं।
हालांकि, चौरी-चौरा कांड (1922) के बाद आन्दोलन में हिंसा की घटनाएँ हुईं, जिससे गांधीजी ने आन्दोलन को समाप्त कर दिया। बावजूद इसके, उत्तर प्रदेश की भूमिका असहयोग आन्दोलन में केंद्रीय और प्रेरणादायक रही।
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उन्नीसवीं सदी में उत्तर प्रदेश में पुनर्जागरण एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन का दौर था। इस समय की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं: सांस्कृतिक पुनरुत्थान: हिंदी और उर्दू भाषाओं में साहित्यिक गतिविधियाँ बढ़ीं। लेखक जैसे महात्मा गांधी, हसरत मोहानी, और नवाब सैयद अहमद खान ने सांस्कृतिक और सRead more
उन्नीसवीं सदी में उत्तर प्रदेश में पुनर्जागरण एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन का दौर था। इस समय की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं:
कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश का पुनर्जागरण सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक जागरूकता में एक महत्वपूर्ण अध्याय था।
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