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उत्तर प्रदेश के क्रान्तिकारियों का भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में योगदानों का मूल्यांकन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
main-surface-primary text-token-text-primary h-8 w-8"> उत्तर प्रदेश के क्रान्तिकारियों ने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रमुख क्रान्तिकारियों में: राम प्रसाद बिस्मिल - काकोरी ट्रेन डकैती के नेता, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह को बढ़ावा दिया। चंद्रशेखर आज़Read more
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उत्तर प्रदेश के क्रान्तिकारियों ने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रमुख क्रान्तिकारियों में:
इन क्रान्तिकारियों ने सशस्त्र संघर्ष, जन जागरूकता और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपार साहस दिखाया, जिससे स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा मिली और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरणा मिली।
See lessउन्नीसवीं सदी में उत्तर प्रदेश में पुनर्जागरण के स्वरूप पर प्रकाश डालिए। (125 Words) [UPPSC 2022]
उन्नीसवीं सदी में उत्तर प्रदेश में पुनर्जागरण एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन का दौर था। इस समय की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं: सांस्कृतिक पुनरुत्थान: हिंदी और उर्दू भाषाओं में साहित्यिक गतिविधियाँ बढ़ीं। लेखक जैसे महात्मा गांधी, हसरत मोहानी, और नवाब सैयद अहमद खान ने सांस्कृतिक और सRead more
उन्नीसवीं सदी में उत्तर प्रदेश में पुनर्जागरण एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन का दौर था। इस समय की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं:
कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश का पुनर्जागरण सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक जागरूकता में एक महत्वपूर्ण अध्याय था।
See less1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश के योद्धाओं के योगदान पर प्रकाश डालिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश के योद्धाओं के योगदान परिचय 1857 का स्वतंत्रता संग्राम भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है। उत्तर प्रदेश, जो उस समय संयुक्त प्रांत कहलाता था, इस संग्राम का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। यहां के योद्धाओं और आम जनता ने इस संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निRead more
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश के योद्धाओं के योगदान
परिचय
1857 का स्वतंत्रता संग्राम भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है। उत्तर प्रदेश, जो उस समय संयुक्त प्रांत कहलाता था, इस संग्राम का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। यहां के योद्धाओं और आम जनता ने इस संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रमुख योद्धाओं का योगदान
जन सामान्य की भागीदारी
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश के योद्धाओं और आम जनता ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके साहस और बलिदान ने संग्राम को एक विशाल और ऐतिहासिक घटना में परिवर्तित कर दिया, जिससे स्वतंत्रता की लड़ाई को नई दिशा मिली।
See lessएक किसान नेता के रूप में बाबा रामचन्द्र की उपलब्धियों का विश्लेषण कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
बाबा रामचंद्र की किसान नेता के रूप में उपलब्धियाँ 1. किसान आंदोलनों में नेतृत्व: बाबा रामचंद्र, जिनका पूरा नाम बाबा रामचंद्र यादव था, ने 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में किसान आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने किसान सभा के माध्यम से जमींदारों और ब्रिटिश शासन की नीतियों के खिलाफ किसानोंRead more
बाबा रामचंद्र की किसान नेता के रूप में उपलब्धियाँ
1. किसान आंदोलनों में नेतृत्व: बाबा रामचंद्र, जिनका पूरा नाम बाबा रामचंद्र यादव था, ने 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में किसान आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने किसान सभा के माध्यम से जमींदारों और ब्रिटिश शासन की नीतियों के खिलाफ किसानों को संगठित किया और उनकी समस्याओं को उठाया।
2. चंपारण आंदोलन में भूमिका: बाबा रामचंद्र ने 1917 के चंपारण किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। यद्यपि महात्मा गांधी को इस आंदोलन का मुख्य नेता माना जाता है, लेकिन बाबा रामचंद्र ने स्थानीय किसानों को संगठित करने और उनकी समस्याओं को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस आंदोलन ने भारतीय किसान आंदोलनों की एक नई दिशा दी।
3. उचित किराया और ऋण राहत: बाबा रामचंद्र ने किसानों के उचित किराए और ऋण राहत के लिए संघर्ष किया। उन्होंने जमींदारों द्वारा शोषणकारी किराया वसूलने की नीतियों का विरोध किया और सरकार से किसानों के ऋणों में राहत के लिए दबाव डाला। उनके प्रयासों से कुछ agrarian सुधारों की शुरुआत हुई।
4. किसान एकता को प्रोत्साहित करना: बाबा रामचंद्र ने यूनाइटेड किसान सभा की स्थापना की, जिसने किसानों के बीच एकता और सामूहिक आवाज़ को मजबूत किया। इस एकता ने किसानों को जमींदारों और सरकार के साथ बेहतर वार्तालाप और समझौते के लिए सशक्त बनाया।
5. भविष्य की आंदोलनों पर प्रभाव: बाबा रामचंद्र के प्रयासों ने भविष्य के किसान आंदोलनों और भूमि सुधार नीतियों के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया। उनके कार्यों ने जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल जैसे नेताओं को प्रेरित किया, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद की भारत में भूमि सुधारों को आगे बढ़ाया।
बाबा रामचंद्र की किसान नेता के रूप में उपलब्धियाँ उनके नेतृत्व, संघर्ष और किसानों के अधिकारों की रक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। उनकी विरासत आज भी भारतीय किसान आंदोलनों के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
See lessअसहयोग आन्दोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के भूमिका की विवेचना कीजिए । (125 Words) [UPPSC 2023]
असहयोग आन्दोलन (1920-1922) के दौरान उत्तर प्रदेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधीजी ने इस आन्दोलन के लिए प्रदेश के व्यापक जनसमर्थन का लाभ उठाया। उत्तर प्रदेश में हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक माने जाने वाले इस आन्दोलन ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ व्यापक जनसंगठनों की स्थापना की। मुख्य रूप से, चंद्रशेखरRead more
असहयोग आन्दोलन (1920-1922) के दौरान उत्तर प्रदेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधीजी ने इस आन्दोलन के लिए प्रदेश के व्यापक जनसमर्थन का लाभ उठाया। उत्तर प्रदेश में हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक माने जाने वाले इस आन्दोलन ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ व्यापक जनसंगठनों की स्थापना की।
मुख्य रूप से, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल जैसे नेता सक्रिय थे, जिन्होंने जन जागरूकता और असहयोग के सिद्धांत को फैलाया। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा और खादी आंदोलन को भी बल मिला। इस दौरान, शिक्षण संस्थानों का बहिष्कार और सरकारी नौकरियों से इस्तीफे की गतिविधियाँ जोर पकड़ीं।
हालांकि, चौरी-चौरा कांड (1922) के बाद आन्दोलन में हिंसा की घटनाएँ हुईं, जिससे गांधीजी ने आन्दोलन को समाप्त कर दिया। बावजूद इसके, उत्तर प्रदेश की भूमिका असहयोग आन्दोलन में केंद्रीय और प्रेरणादायक रही।
See lessउत्तर प्रदेश में हड़प्पा सभ्यता से संबंधित पुरास्थलों की पहचान कीजिए । (125 Words) [UPPSC 2023]
उत्तर प्रदेश में हड़प्पा सभ्यता से संबंधित पुरास्थल 1. कौसांबी: आधुनिक इलाहाबाद के पास स्थित, कौसांबी में हड़प्पा सभ्यता के शहरी नियोजन और जल निकासी प्रणाली के प्रमाण मिले हैं, जो इस सभ्यता की उन्नत बुनियादी ढांचे को दर्शाते हैं। 2. सरोई नाहर राय: फतेहपुर जिले में स्थित, सरोई नाहर राय में मिट्टी केRead more
उत्तर प्रदेश में हड़प्पा सभ्यता से संबंधित पुरास्थल
1. कौसांबी: आधुनिक इलाहाबाद के पास स्थित, कौसांबी में हड़प्पा सभ्यता के शहरी नियोजन और जल निकासी प्रणाली के प्रमाण मिले हैं, जो इस सभ्यता की उन्नत बुनियादी ढांचे को दर्शाते हैं।
2. सरोई नाहर राय: फतेहपुर जिले में स्थित, सरोई नाहर राय में मिट्टी के बर्तन और मोहरें प्राप्त हुई हैं, जो हड़प्पा सभ्यता की उपस्थिति को दर्शाती हैं।
3. आहीछत्र: बरेली जिले में स्थित आहीछत्र में संस्कृतिक और वास्तुकला की समानताएँ पाई गई हैं, जो हड़प्पा सभ्यता के विस्तृत नेटवर्क को दर्शाती हैं।
ये स्थल उत्तर प्रदेश में हड़प्पा सभ्यता की पहुंच और इसके प्रभाव को उजागर करते हैं।
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