प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] तृतीय मराठा युद्ध की घटनाओं का सिंधिया एवं होल्कर पर क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
भोपाल रियासत के विलीनीकरण (मर्जर) में सहायक तत्वों की विवेचना निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर की जा सकती है: राजनीतिक परिप्रेक्ष्य: ब्रिटिश शासन की समाप्ति और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन: जैसे-जैसे ब्रिटिश शासन समाप्त हो रहा था और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन अपनी चरम सीमा पर था, रियासतों के विलय की प्रक्रियRead more
भोपाल रियासत के विलीनीकरण (मर्जर) में सहायक तत्वों की विवेचना निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर की जा सकती है:
- राजनीतिक परिप्रेक्ष्य:
- ब्रिटिश शासन की समाप्ति और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन: जैसे-जैसे ब्रिटिश शासन समाप्त हो रहा था और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन अपनी चरम सीमा पर था, रियासतों के विलय की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई थी। भारतीय स्वतंत्रता के लिए संघर्ष और राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता ने रियासतों के विलय को एक अनिवार्यता बना दिया था।
- सामान्यीकरण की नीति:
- सर्दार पटेल और वी.पी. मेनन की भूमिका: भारतीय संघ की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए सर्दार पटेल और वी.पी. मेनन ने रियासतों के साथ तर्कसंगत वार्तालाप और समझौतों के जरिए विलय की प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा किया। उनकी रणनीति और कुशल वार्तालाप से भोपाल रियासत का विलय भी सहजता से हुआ।
- नवाब हामिदुल्ला खान की भूमिका:
- राजनीतिक निर्णय: भोपाल के नवाब हामिदुल्ला खान ने विलय की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रारंभ में उनकी कुछ संकोचता थी, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें विलय के लाभ और भारतीय संघ की स्थिरता का अहसास हुआ। उनकी स्वीकार्यता ने विलय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।
- आंतरिक राजनीतिक दबाव:
- जनता की राय और राजनीतिक दबाव: भोपाल में जनता की राय और विभिन्न राजनीतिक समूहों का दबाव भी महत्वपूर्ण था। जनमत और सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों ने नवाब को विलय की ओर प्रेरित किया।
- प्रशासनिक और रणनीतिक कारण:
- भौगोलिक स्थिति: भोपाल की भौगोलिक स्थिति और प्रशासनिक एकता की आवश्यकता ने विलय को व्यावहारिक बना दिया। भारतीय संघ के साथ प्रशासनिक समन्वय सुनिश्चित करने के लिए विलय आवश्यक था।
- प्रशासनिक सहायता: भारतीय सरकार ने रियासतों के विलय की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए प्रशासनिक और लॉजिस्टिक सहायता प्रदान की, जिससे विलय के लिए वातावरण अनुकूल हुआ।
- पड़ोसी रियासतों का प्रभाव:
- सामान्यीकरण का उदाहरण: पड़ोसी रियासतों जैसे इंदौर और ग्वालियर का सफल विलय एक सकारात्मक उदाहरण था। यह दिखाता था कि विलय की प्रक्रिया कितनी लाभकारी हो सकती है और इससे नवाब पर प्रभाव पड़ा।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य:
- उदित हो रहे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य और उपनिवेशवाद की समाप्ति ने रियासतों के विलय के लिए एक समर्थनकारी वातावरण उत्पन्न किया।
इन सभी तत्वों ने मिलकर भोपाल रियासत के भारतीय संघ में विलय को सहज और प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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तृतीय मराठा युद्ध (1817-1818) के परिणामस्वरूप सिंधिया और होल्कर पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस युद्ध ने मराठा साम्राज्य की शक्ति और प्रभाव को निर्णायक रूप से कमजोर कर दिया। आइए विस्तार से देखें कि ये प्रभाव क्या थे: सिंधिया पर प्रभाव: आर्थिक नुकसान: सिंधिया ने युद्ध के बाद अपने क्षेत्रीय नियंत्रण में कमी औRead more
तृतीय मराठा युद्ध (1817-1818) के परिणामस्वरूप सिंधिया और होल्कर पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस युद्ध ने मराठा साम्राज्य की शक्ति और प्रभाव को निर्णायक रूप से कमजोर कर दिया। आइए विस्तार से देखें कि ये प्रभाव क्या थे:
सिंधिया पर प्रभाव:
होल्कर पर प्रभाव:
सारांश में, तृतीय मराठा युद्ध के परिणामस्वरूप सिंधिया और होल्कर दोनों ही सामरिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर हो गए और ब्रिटिश साम्राज्य के प्रभाव में आ गए। इस युद्ध ने मराठा साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया को तेज कर दिया और भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश प्रभुत्व को मजबूत किया।
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