“विभिन प्रतियोगी क्षेत्रों और साझेदारों के मध्य नीतिगत बिरोधाभासों के परिणामस्वरूप पर्यावरण के संरक्षण तथा उसके निम्नीकरण की रोकथाम’ अपर्याप्त रही है।” सुसंगत उदाहरणों सहित टिप्पणी कीजिए। (150 words) [UPSC 2018]
सरकार की दो समांतर चलाई जा रही योजनाएं: आधार कार्ड और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एन.पी.आर.) भूमिका: आधार कार्ड और एन.पी.आर. देश में नागरिकता और पहचान के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं हैं, लेकिन इनकी स्वैच्छिक और अनिवार्य प्रकृति के कारण विवाद उत्पन्न हुआ है। आधार कार्ड की विशेषताएं: स्वैच्छिक पRead more
सरकार की दो समांतर चलाई जा रही योजनाएं: आधार कार्ड और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एन.पी.आर.)
भूमिका:
आधार कार्ड और एन.पी.आर. देश में नागरिकता और पहचान के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं हैं, लेकिन इनकी स्वैच्छिक और अनिवार्य प्रकृति के कारण विवाद उत्पन्न हुआ है।
आधार कार्ड की विशेषताएं:
- स्वैच्छिक प्रकृति: आधार कार्ड एक स्वैच्छिक पहचान प्रमाण पत्र है, जिसे व्यक्ति अपनी मर्जी से प्राप्त कर सकता है।
- विकासात्मक लाभ: आधार से व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिलता है, जैसे कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) उदाहरण के तौर पर, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में।
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एन.पी.आर.) की विशेषताएं:
- अनिवार्यता: एन.पी.आर. को अनिवार्यता के रूप में देखा जाता है, जिसमें सभी नागरिकों का डेटा संग्रहित किया जाता है।
- विवाद: एन.पी.आर. हाल ही में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के संदर्भ में विवाद का विषय बना है। लोगों में यह आशंका है कि यह पहचान के लिए खतरा हो सकता है।
साथ-साथ चलाना: आवश्यक या नहीं?
- गुण: दोनों योजनाएं पहचान को मजबूत करने में मददगार हैं। आधार की डिजिटलीकरण की प्रक्रिया एन.पी.आर. के साथ समन्वयित हो सकती है।
- अवगुण: संगठित डेटा संग्रहण और नागरिक स्वतंत्रता की सुरक्षा में संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है। अनिवार्यता के चलते सीधी वर्गीकरण की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
निष्कर्ष:
दुनिया में डेटा सुरक्षा और अधिकार का महत्व बढ़ता जा रहा है। इस दृष्टिकोण से, आधार कार्ड और एन.पी.आर. को एक संतुलित और पारदर्शी तरीके से चलाना आवश्यक है, ताकि विकासात्मक लाभ सुनिश्चित हो और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा भी हो सके।
नीतिगत विरोधाभासों का पर्यावरण संरक्षण पर प्रभाव 1. उद्योग और पर्यावरण संरक्षण: विभिन्न प्रतियोगी क्षेत्रों के बीच नीतिगत विरोधाभासों के परिणामस्वरूप पर्यावरण संरक्षण में कमी आई है। उदाहरण के तौर पर, भारत में खनन और औद्योगिकीकरण की नीतियां अक्सर पर्यावरण नियमों के साथ टकराती हैं। मणिपुर में खनन परियRead more
नीतिगत विरोधाभासों का पर्यावरण संरक्षण पर प्रभाव
1. उद्योग और पर्यावरण संरक्षण: विभिन्न प्रतियोगी क्षेत्रों के बीच नीतिगत विरोधाभासों के परिणामस्वरूप पर्यावरण संरक्षण में कमी आई है। उदाहरण के तौर पर, भारत में खनन और औद्योगिकीकरण की नीतियां अक्सर पर्यावरण नियमों के साथ टकराती हैं। मणिपुर में खनन परियोजनाओं ने जलवायु परिवर्तन और स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
2. कृषि और जलवायु परिवर्तन: कृषि नीतियां और जलवायु संरक्षण के बीच असंगति के कारण जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव पड़ा है। पंजाब और हरियाणा में अत्यधिक फसल अवशेष जलाना नीतिगत विरोधाभास का परिणाम है, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ा और पर्यावरणीय गुणवत्ता पर असर पड़ा।
3. शहरीकरण और हरित क्षेत्रों: शहरीकरण की नीतियों और हरित क्षेत्रों के संरक्षण के बीच विरोधाभास भी पर्यावरणीय नुकसान का कारण बना है। दिल्ली में मेट्रो परियोजनाओं और हरित पट्टों के बीच की नीति असंगति ने वृक्षारोपण और वायु गुणवत्ता को प्रभावित किया।
ये उदाहरण दर्शाते हैं कि नीतिगत विरोधाभासों के कारण पर्यावरण संरक्षण और उसके निम्नीकरण की दिशा में प्रभावी कदम उठाने में चुनौतियां उत्पन्न होती हैं।
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