भारत में, कुछ आचरण नियम हैं, जो एक अधिकारी के व्यवहार और आचरण को नियंत्रित करते हैं। इनमें केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 1964; अखिल भारतीय सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 1968 आदि शामिल हैं। क्या आपको लगता है कि भारत ...
आचार-सिद्धांत के पाँच प्रमुख सिद्धांत और उनकी प्राथमिकता 1. ईमानदारी: ईमानदारी हर कार्य में सत्यता और पारदर्शिता बनाए रखने का आदर्श है। यह सिद्धांत लोक सेवा में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनता के विश्वास को मजबूत करता है। उदाहरण के लिए, लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाRead more
आचार-सिद्धांत के पाँच प्रमुख सिद्धांत और उनकी प्राथमिकता
1. ईमानदारी: ईमानदारी हर कार्य में सत्यता और पारदर्शिता बनाए रखने का आदर्श है। यह सिद्धांत लोक सेवा में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनता के विश्वास को मजबूत करता है। उदाहरण के लिए, लोकपाल और लोकायुक्त कानून के तहत भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई ने ईमानदारी की आवश्यकता को प्रमुखता दी है।
2. नैतिकता: नैतिकता का तात्पर्य है कि सभी निर्णय सही और उचित आधार पर किए जाएं। नैतिकता सुनिश्चित करती है कि अधिकारी अपने कर्तव्यों को नैतिक नियमों के अनुसार निभाएं। मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ई-गवर्नेंस के तहत नैतिकता को प्रोत्साहित किया, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी।
3. उचितता: उचितता का सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि सभी निर्णय समानता और निष्पक्षता के आधार पर लिए जाएं। स्वच्छ भारत मिशन में, अधिकारियों ने सभी वर्गों के लोगों को स्वच्छता सुविधाओं का समान लाभ देने के लिए उचितता को प्राथमिकता दी।
4. प्रोफेशनलिज़्म: प्रोफेशनलिज़्म का मतलब है कि कार्यों को उच्च मानकों और प्रोफेशनल व्यवहार के अनुसार किया जाए। कोविड-19 टीकाकरण अभियान में, अधिकारियों ने पेशेवर तरीके से टीकाकरण प्रक्रिया को संचालित किया, जिससे कि मिशन की सफलता सुनिश्चित हो सकी।
5. जवाबदेही: जवाबदेही का तात्पर्य है कि अधिकारी अपने कार्यों के लिए उत्तरदायी हों और जनता के सामने जवाब दें। मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत, स्वास्थ्य विभाग ने सभी टीकाकरण गतिविधियों की जवाबदेही सुनिश्चित की।
निष्कर्ष: इन पाँच सिद्धांतों – ईमानदारी, नैतिकता, उचितता, प्रोफेशनलिज़्म, और जवाबदेही – को प्राथमिकता देने से लोक सेवा में सच्ची सेवा और जनता के विश्वास को बढ़ाया जा सकता है। इन सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित करता है कि सरकारी कार्य समाज के हित में और उच्च मानकों के अनुसार किए जाएं।
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भारत में सिविल सेवकों के लिए एक पृथक आचार संहिता की आवश्यकता है, क्योंकि यह उनके पेशेवर और नैतिक मानकों को स्पष्ट रूप से परिभाषित कर सकती है और पारदर्शिता को बढ़ावा दे सकती है। वर्तमान नियमावली में कुछ खामियां और अस्पष्टताएँ हैं जो विभिन्न परिस्थितियों में भ्रम और विवाद उत्पन्न कर सकती हैं। एक पृथकRead more
भारत में सिविल सेवकों के लिए एक पृथक आचार संहिता की आवश्यकता है, क्योंकि यह उनके पेशेवर और नैतिक मानकों को स्पष्ट रूप से परिभाषित कर सकती है और पारदर्शिता को बढ़ावा दे सकती है। वर्तमान नियमावली में कुछ खामियां और अस्पष्टताएँ हैं जो विभिन्न परिस्थितियों में भ्रम और विवाद उत्पन्न कर सकती हैं।
एक पृथक आचार संहिता में निम्नलिखित महत्वपूर्ण मूल्य शामिल होने चाहिए:
यह आचार संहिता सिविल सेवकों के पेशेवर व्यवहार को स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करेगी और सरकारी कामकाज में नैतिकता की नींव मजबूत करेगी।
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