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उस नैतिकता अथवा नैतिक आदर्श, जिसको आप अंगीकार करते हैं, से समझौता किए बिना क्या भावनात्मक बुद्धि अंतरात्मा के संकट की स्थिति से उबरने में सहायता करती है? आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
भावनात्मक बुद्धि (Emotional Intelligence, EI) नैतिकता और नैतिक आदर्शों के अनुरूप व्यवहार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। EI व्यक्ति को अपनी भावनाओं को समझने, नियंत्रित करने और दूसरों के भावनात्मक संकेतों को पहचानने की क्षमता प्रदान करती है। जब व्यक्ति अपने नैतिक आदर्शों से समझौता किए बिना किसीRead more
भावनात्मक बुद्धि (Emotional Intelligence, EI) नैतिकता और नैतिक आदर्शों के अनुरूप व्यवहार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। EI व्यक्ति को अपनी भावनाओं को समझने, नियंत्रित करने और दूसरों के भावनात्मक संकेतों को पहचानने की क्षमता प्रदान करती है। जब व्यक्ति अपने नैतिक आदर्शों से समझौता किए बिना किसी संकट का सामना करता है, तो EI उसकी मदद करती है।
सहायता के पहलू:
आलोचनात्मक दृष्टिकोण:
हालांकि EI महत्वपूर्ण है, लेकिन कभी-कभी भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ व्यक्ति को नैतिकता से भटकाने का कारण भी बन सकती हैं। ऐसे में, केवल EI पर निर्भर रहना उचित नहीं है। नैतिक निर्णय लेने के लिए तर्क और विश्लेषण भी आवश्यक हैं। इस प्रकार, EI नैतिक आदर्शों के साथ संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकती है, लेकिन यह एकमात्र समाधान नहीं है।
See lessलोक प्रशासन में उत्तरदायित्व की अवधारणा के मूल निहितार्थ क्या है?
लोक प्रशासन में उत्तरदायित्व की अवधारणा के मूल निहितार्थ उत्तरदायित्व (Accountability) लोक प्रशासन की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी अधिकारी और संस्थान जनता के प्रति अपने कार्यों और निर्णयों के लिए जिम्मेदार रहें। इसके मूल निहितार्थ निम्नलिखित हैं, जिनकRead more
लोक प्रशासन में उत्तरदायित्व की अवधारणा के मूल निहितार्थ
उत्तरदायित्व (Accountability) लोक प्रशासन की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी अधिकारी और संस्थान जनता के प्रति अपने कार्यों और निर्णयों के लिए जिम्मेदार रहें। इसके मूल निहितार्थ निम्नलिखित हैं, जिनके साथ हालिया उदाहरण भी दिए गए हैं:
**1. पारदर्शिता को बढ़ावा देना:
**2. जनता का विश्वास बढ़ाना:
**3. प्रभावी सेवा वितरण:
**4. भ्रष्टाचार की रोकथाम:
**5. कानूनी और नैतिक अनुपालन:
**6. नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना:
**7. नैतिक शासन को बढ़ावा देना:
**8. जोखिम प्रबंधन:
इन निहितार्थों को समझकर और लागू करके, हम लोक प्रशासन में उत्तरदायित्व को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे सरकारी कार्यों की पारदर्शिता, प्रभावशीलता और जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
See lessसिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता को सुधारने के लिए सुझाब लिखिए।
सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता को सुधारने के लिए सुझाव सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि सरकारी अधिकारियों द्वारा कार्यों का निष्पक्ष और प्रभावी संचालन हो सके। इसके लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं, जो हालिया उदाहरणों के साथ प्रस्तुत हRead more
सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता को सुधारने के लिए सुझाव
सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि सरकारी अधिकारियों द्वारा कार्यों का निष्पक्ष और प्रभावी संचालन हो सके। इसके लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं, जो हालिया उदाहरणों के साथ प्रस्तुत हैं:
1. नैतिक शिक्षा और प्रशिक्षण को मजबूत बनाना:
2. पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना:
3. व्हिसलब्लोइंग और व्हिसलब्लोअर के लिए सुरक्षा को प्रोत्साहित करना:
4. मेरिटोक्रेसी और निष्पक्षता को बढ़ावा देना:
5. सार्वजनिक सहभागिता और फीडबैक को बढ़ावा देना:
6. कठोर अनुशासनात्मक उपायों को लागू करना:
7. नेतृत्व द्वारा उदाहरण प्रस्तुत करना:
इन सुझावों को अपनाकर, सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता को बढ़ाया जा सकता है, जिससे सरकारी कार्यों की प्रभावशीलता और जनहित की सेवा सुनिश्चित हो सके।
See lessपूर्वाग्रहों को हम कैसे कम कर सकते हैं? कुछ महत्वपूर्ण तरीके लिखिए।
पूर्वाग्रहों को कम करने के तरीके पूर्वाग्रह, जो बिना उचित जानकारी के पूर्वनिर्धारित राय या विचार होते हैं, समाज में भेदभाव और असमानता को जन्म देते हैं। इन्हें कम करने के लिए विभिन्न प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण तरीके दिए गए हैं, जिनके साथ हालिया उदाहरण भी शामिल हैं: 1. शिक्षाRead more
पूर्वाग्रहों को कम करने के तरीके
पूर्वाग्रह, जो बिना उचित जानकारी के पूर्वनिर्धारित राय या विचार होते हैं, समाज में भेदभाव और असमानता को जन्म देते हैं। इन्हें कम करने के लिए विभिन्न प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण तरीके दिए गए हैं, जिनके साथ हालिया उदाहरण भी शामिल हैं:
1. शिक्षा और जागरूकता: शिक्षा पूर्वाग्रहों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और यह समझ और सहानुभूति को बढ़ावा देती है।
2. अंतरसमूह संपर्क को प्रोत्साहित करना: विभिन्न सामाजिक या जातीय समूहों के बीच बातचीत पूर्वाग्रहों को कम कर सकती है और आपसी समझ को बढ़ावा दे सकती है।
3. स्टीरियोटाइप और पूर्वाग्रहों को चुनौती देना: स्टीरियोटाइप और पूर्वाग्रहों को सक्रिय रूप से चुनौती देना उनके प्रसार को रोक सकता है।
4. सहानुभूति और परिप्रेक्ष्य-लेने को प्रोत्साहित करना: सहानुभूति को बढ़ावा देना लोगों को दूसरों के अनुभव को समझने और साझा करने में मदद कर सकता है।
5. कानून और नीतिगत बदलाव: सरकारी और संस्थागत नीतियाँ पूर्वाग्रहों को कम करने और समानता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
6. व्यक्तिगत आत्ममूल्यांकन और आत्म-जागरूकता: व्यक्तिगत स्तर पर आत्ममूल्यांकन और आत्म-जागरूकता पूर्वाग्रहों को कम करने में सहायक हो सकती है।
इन तरीकों को अपनाकर, हम समाज में पूर्वाग्रहों को कम करने और एक समान और समावेशी समाज की दिशा में कदम उठा सकते हैं।
See lessअरस्तू के अनुसार, आकार एवं पदार्थ की अवधारणा पर चर्चा कीजिए।
अरस्तू के अनुसार, आकार एवं पदार्थ की अवधारणा अरस्तू की आकार और पदार्थ की अवधारणा उसके दर्शनशास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने इसे "हाइलोमॉर्फिज़्म" के रूप में प्रस्तुत किया, जहाँ 'हायला' (पदार्थ) और 'मॉर्फ' (आकृति) का संयोजन किसी वस्तु का मौलिक स्वरूप बनाता है। 1. पदार्थ (हायला): अरस्तू केRead more
अरस्तू के अनुसार, आकार एवं पदार्थ की अवधारणा
अरस्तू की आकार और पदार्थ की अवधारणा उसके दर्शनशास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने इसे “हाइलोमॉर्फिज़्म” के रूप में प्रस्तुत किया, जहाँ ‘हायला’ (पदार्थ) और ‘मॉर्फ’ (आकृति) का संयोजन किसी वस्तु का मौलिक स्वरूप बनाता है।
1. पदार्थ (हायला): अरस्तू के अनुसार, पदार्थ वह चीज़ है जो किसी भी वस्तु का मौलिक आधार होता है। इसे ‘हायला’ कहा जाता है। यह अनिश्चित और बिना विशेष रूप के होता है। किसी वस्तु का आकार और विशेषताएँ केवल पदार्थ की रूपरेखा (आकृति) द्वारा निर्धारित होती हैं।
उदाहरण:
हाल ही में, नैनो टेक्नोलॉजी में, पदार्थ की मूल संरचना को बदलकर नए गुण प्राप्त किए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, गोल्ड नैनो पार्टिकल्स की आकार और संरचना को बदलकर उन्हें दवा वितरण में प्रयोग किया जा सकता है।
2. आकार (मॉर्फ): आकृति वह तत्व है जो पदार्थ को एक विशिष्ट स्वरूप प्रदान करता है। यह पदार्थ को विशेषता, पहचान और उपयोगिता देता है। अरस्तू के अनुसार, आकार और पदार्थ का संयोजन किसी वस्तु की पहचान बनाता है।
उदाहरण:
आर्किटेक्चर में, आधुनिक इमारतों के डिज़ाइन में विभिन्न आकृतियों का उपयोग किया जाता है जो उनकी कार्यक्षमता और सौंदर्यता को प्रभावित करती हैं। डिजिटल आर्किटेक्चर में, आकार और रूपरेखा के विभिन्न प्रयोगों से नवीन निर्माण तकनीकें विकसित की जा रही हैं।
3. आकार और पदार्थ का संयोजन: अरस्तू ने माना कि आकार और पदार्थ का मिलन ही वस्तु की वास्तविकता को स्थापित करता है। वे इसे ‘सार’ और ‘प्रकृति’ के संयुक्त परिणाम के रूप में देखते थे।
उदाहरण:
ऑरगैनिक फूड्स में, पदार्थ (जैसे कि पौधों की मिट्टी) और आकार (जैसे कि उनकी वृद्धि की दिशा) की विशेषता एक साथ मिलकर खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता और पोषणता को प्रभावित करती है।
अरस्तू के इस विचार ने बाद के दार्शनिकों और वैज्ञानिकों को वस्तुओं की गहराई से समझने के लिए प्रेरित किया, और यह आज भी विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी है।
See lessइस उप-सखंड में 05 प्रश्न होंगे तथा प्रत्येक उत्तर शब्द सीमा 100 शब्द होगी। प्रत्येक प्रश्न 04 अंक का है। [MPPSC 2023]
a. COVID-19 महामारी क्यों बहुत हानिकारक है? COVID-19 महामारी निम्नलिखित कारणों से बहुत हानिकारक है: आकस्मिकता और नवीनता: महामारी अचानक आई और इसकी नवीनता के कारण प्रारंभ में कोई स्पष्ट रणनीति या तैयारी नहीं थी। इसका परिणाम पैनिक और अनिश्चितता के रूप में सामने आया। उदाहरण के लिए, महामारी की शुरुआत मेंRead more
a. COVID-19 महामारी क्यों बहुत हानिकारक है?
COVID-19 महामारी निम्नलिखित कारणों से बहुत हानिकारक है:
b. COVID-19 महामारी के दौरान लोगों द्वारा किस प्रकार के मनोवैज्ञानिक परिणामों का सामना किया गया?
COVID-19 महामारी के दौरान लोगों ने निम्नलिखित मनोवैज्ञानिक परिणामों का सामना किया:
c. COVID महामारी के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव क्या हैं?
COVID-19 महामारी के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव निम्नलिखित हैं:
d. टीकाकरण में हिचकिचाहट के संभावित कारण क्या हैं?
टीकाकरण में हिचकिचाहट के निम्नलिखित संभावित कारण हैं:
e. लोगों को टीकाकरण के लिए अभिप्रेरित करने के उपायों पर सुझाव दीजिए।
टीकाकरण के लिए अभिप्रेरण के निम्नलिखित उपाय हैं:
इन उपायों को अपनाकर टीकाकरण की दर में सुधार किया जा सकता है और महामारी के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
See lessइस उप-सखंड में 05 प्रश्न होंगे तथा प्रत्येक उत्तर शब्द सीमा 100 शब्द होगी। प्रत्येक प्रश्न 04 अंक का है। [MPPSC 2023]
a. सांवेगिक कौशल क्यों महत्वपूर्ण होते हैं? सांवेगिक कौशल व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं: प्रभावी संप्रेषण: सांवेगिक कौशल से व्यक्ति अपनी भावनाओं को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से व्यक्त कर सकता है, और दूसरों के भावनात्मक संकेतों को समझ सकता है। उदाहरण के लिए, एक प्रबंधकRead more
a. सांवेगिक कौशल क्यों महत्वपूर्ण होते हैं?
सांवेगिक कौशल व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं:
b. किस प्रकार संवेग, लोगों के जीवन परिणामों को निर्मित करते हैं?
संवेग लोगों के जीवन परिणामों को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करते हैं:
c. सांवेगिक बुद्धि के प्रमुख तत्वों का उल्लेख कीजिए।
d. सांवेगिक बुद्धि के उन्नयन के लिए सुझाव दीजिए।
e. सांवेगिक कौशल, प्रशासनिक कार्यों के लिए किस प्रकार उपयोगी है?
भारत में लोकसेवकों में अनुशासन और उन पर नियन्त्रण काने में 'लोकसेवकों के लिये आचार संहिता' क्या भूमिका निभाती है? समझाइये।
भारत में लोकसेवकों में अनुशासन और उन पर नियन्त्रण काने में 'लोकसेवकों के लिये आचार संहिता' की भूमिका परिचय भारत में लोकसेवकों के लिए आचार संहिता (Code of Conduct for Civil Servants) एक महत्वपूर्ण ढांचा है जो लोकसेवकों के आचरण को नियंत्रित करता है। यह आचार संहिता अनुशासन और नियंत्रण सुनिश्चित करने मेRead more
भारत में लोकसेवकों में अनुशासन और उन पर नियन्त्रण काने में ‘लोकसेवकों के लिये आचार संहिता’ की भूमिका
परिचय
भारत में लोकसेवकों के लिए आचार संहिता (Code of Conduct for Civil Servants) एक महत्वपूर्ण ढांचा है जो लोकसेवकों के आचरण को नियंत्रित करता है। यह आचार संहिता अनुशासन और नियंत्रण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे सरकार के संचालन में पारदर्शिता और सटीकता बनी रहती है।
1. स्पष्ट नैतिक मानक स्थापित करना
2. जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना
3. अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए ढांचा प्रदान करना
4. पेशेवरता और सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देना
5. सार्वजनिक विश्वास को बढ़ाना
6. नैतिक निर्णय लेने में सहायता
7. सतत पेशेवर विकास को प्रोत्साहित करना
निष्कर्ष
भारत में लोकसेवकों के लिए आचार संहिता अनुशासन और नियंत्रण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह स्पष्ट नैतिक मानक, जवाबदेही और पारदर्शिता, अनुशासनात्मक ढांचा, पेशेवरता और सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देती है, सार्वजनिक विश्वास को बढ़ाती है, नैतिक निर्णय लेने में सहायता करती है, और सतत पेशेवर विकास को प्रोत्साहित करती है। हाल के उदाहरण यह प्रदर्शित करते हैं कि आचार संहिता किस प्रकार प्रभावी रूप से दुराचार को नियंत्रित करती है और सिविल सेवाओं की दक्षता और विश्वसनीयता को बनाए रखती है।
See lessसिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा के द्वास के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए।
सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा के द्वास के प्रमुख कारणों का वर्णन परिचय सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा का द्वास एक गंभीर चिंता का विषय है, जो सरकारी प्रशासन की दक्षता और जनता के विश्वास को प्रभावित करता है। यह समस्या कई कारकों के संयोजन से उत्पन्न होती है। इन कारणों को समझना महत्वपूर्ण है ताकि प्रभावी सुधRead more
सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा के द्वास के प्रमुख कारणों का वर्णन
परिचय
सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा का द्वास एक गंभीर चिंता का विषय है, जो सरकारी प्रशासन की दक्षता और जनता के विश्वास को प्रभावित करता है। यह समस्या कई कारकों के संयोजन से उत्पन्न होती है। इन कारणों को समझना महत्वपूर्ण है ताकि प्रभावी सुधारात्मक उपाय किए जा सकें।
1. राजनीतिक हस्तक्षेप
2. भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी
3. जवाबदेही की कमी
4. अपर्याप्त प्रशिक्षण और पेशेवर विकास
5. कम वेतन और खराब कार्य स्थितियाँ
6. पारदर्शिता की कमी
7. सामाजिक और सांस्कृतिक कारक
निष्कर्ष
सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा के द्वास के प्रमुख कारणों में राजनीतिक हस्तक्षेप, भ्रष्टाचार, जवाबदेही की कमी, अपर्याप्त प्रशिक्षण, कम वेतन, पारदर्शिता की कमी, और सामाजिक-सांस्कृतिक कारक शामिल हैं। हाल के उदाहरण इन समस्याओं के प्रभाव को उजागर करते हैं और सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। इन कारकों को समझकर और प्रभावी उपायों को लागू करके सिविल सेवाओं की सत्यनिष्ठा को पुनः स्थापित किया जा सकता है।
See lessएस० राधाकृष्णन के अनुसार, अंतर्ज्ञान और बुद्धि में क्या अंतर है?
एस. राधाकृष्णन के अनुसार अंतर्ज्ञान और बुद्धि में अंतर एस. राधाकृष्णन की परिभाषा डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो एक प्रमुख दार्शनिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति थे, ने अंतर्ज्ञान (Intuition) और बुद्धि (Intellect) के बीच महत्वपूर्ण भिन्नताओं को स्पष्ट किया। उनके अनुसार, ये दोनों ज्ञान प्राप्त करने और समझRead more
एस. राधाकृष्णन के अनुसार अंतर्ज्ञान और बुद्धि में अंतर
एस. राधाकृष्णन की परिभाषा
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो एक प्रमुख दार्शनिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति थे, ने अंतर्ज्ञान (Intuition) और बुद्धि (Intellect) के बीच महत्वपूर्ण भिन्नताओं को स्पष्ट किया। उनके अनुसार, ये दोनों ज्ञान प्राप्त करने और समझने के विभिन्न तरीके हैं।
1. अंतर्ज्ञान
परिभाषा और विशेषताएँ: राधाकृष्णन के अनुसार, अंतर्ज्ञान एक ऐसी प्रक्रिया है जो तात्कालिक, अदृश्य ज्ञान प्रदान करती है, बिना किसी सांविधानिक या तार्किक सोच के। यह एक प्रकार की “आंतरिक समझ” होती है जो बिना विचार प्रक्रिया के उत्पन्न होती है।
हालिया उदाहरण:
2. बुद्धि
परिभाषा और विशेषताएँ: बुद्धि तर्कशील, विश्लेषणात्मक और व्यवस्थित सोच को दर्शाती है। यह एक प्रौढ़ और सुसंगत प्रक्रिया होती है, जिसमें प्रमाण, तर्क और आलोचनात्मक विश्लेषण शामिल होते हैं।
हालिया उदाहरण:
मुख्य भिन्नताएँ
निष्कर्ष
एस. राधाकृष्णन के अनुसार, अंतर्ज्ञान और बुद्धि ज्ञान और समझने के दो विभिन्न तरीके हैं। अंतर्ज्ञान तात्कालिक, गैर-तर्कसंगत अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जबकि बुद्धि व्यवस्थित और तार्किक सोच पर आधारित है। दोनों की अपनी-अपनी भूमिकाएँ हैं और विभिन्न संदर्भों में महत्वपूर्ण होती हैं।
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