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भ्रष्टाचार की पारिभाषिक जटिलता की विवेचना कीजिये।
भ्रष्टाचार की पारिभाषिक जटिलता: विवेचना परिचय भ्रष्टाचार एक जटिल और बहुपरकारी समस्या है, जिसकी पारिभाषिक जटिलता विभिन्न संदर्भों और प्रकारों के आधार पर उत्पन्न होती है। इस जटिलता को समझना आवश्यक है ताकि प्रभावी रूप से भ्रष्टाचार का निवारण किया जा सके। 1. परिभाषाओं की विविधता संदर्भानुसार भिन्नता: भ्Read more
भ्रष्टाचार की पारिभाषिक जटिलता: विवेचना
परिचय
भ्रष्टाचार एक जटिल और बहुपरकारी समस्या है, जिसकी पारिभाषिक जटिलता विभिन्न संदर्भों और प्रकारों के आधार पर उत्पन्न होती है। इस जटिलता को समझना आवश्यक है ताकि प्रभावी रूप से भ्रष्टाचार का निवारण किया जा सके।
1. परिभाषाओं की विविधता
2. भ्रष्टाचार के विभिन्न रूप
3. कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण
4. वैश्वीकरण का प्रभाव
5. समय के साथ परिवर्तन
निष्कर्ष
भ्रष्टाचार की पारिभाषिक जटिलता विभिन्न सांस्कृतिक और कानूनी संदर्भों, विभिन्न रूपों, कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण, वैश्वीकरण के प्रभाव और समय के साथ परिभाषाओं के विकास से उत्पन्न होती है। हाल के उदाहरण इन जटिलताओं को स्पष्ट करते हैं और भ्रष्टाचार के प्रभावी निवारण के लिए व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
See lessकिसने कहा कि, 'सत्यनिष्ठा वित्तीय ईमानदारी से अधिक व्यापक है'?
सत्यनिष्ठा पर विचार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 'सत्यनिष्ठा वित्तीय ईमानदारी से अधिक व्यापक है' यह बयान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिया था। इस बयान के माध्यम से उन्होंने सत्यनिष्ठा की व्यापकता और उसके महत्व को रेखांकित किया, जो केवल वित्तीय ईमानदारी तक सीमित नहीं है। संदर्भ और महत्व सत्यनिष्ठा की परRead more
सत्यनिष्ठा पर विचार
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
‘सत्यनिष्ठा वित्तीय ईमानदारी से अधिक व्यापक है’ यह बयान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिया था। इस बयान के माध्यम से उन्होंने सत्यनिष्ठा की व्यापकता और उसके महत्व को रेखांकित किया, जो केवल वित्तीय ईमानदारी तक सीमित नहीं है।
संदर्भ और महत्व
हालिया उदाहरण और प्रभाव
निष्कर्ष
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा कहा गया ‘सत्यनिष्ठा वित्तीय ईमानदारी से अधिक व्यापक है’ बयान सत्यनिष्ठा की व्यापकता और उसके सभी पहलुओं को शामिल करने की आवश्यकता को स्पष्ट करता है। यह सभी क्षेत्रों में नैतिकता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
See lessकेन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित किये गये भ्रष्टाचार के कोई पाँच प्रकार बताइये।
केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित किये गये भ्रष्टाचार के पाँच प्रकार परिचय केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भ्रष्टाचार को नियंत्रित और समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचार की पहचान करता है। ये विभिन्न प्रकार भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं और उनकी पहचान से प्रभावी निवारण उपायोंRead more
केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित किये गये भ्रष्टाचार के पाँच प्रकार
परिचय
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भ्रष्टाचार को नियंत्रित और समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचार की पहचान करता है। ये विभिन्न प्रकार भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं और उनकी पहचान से प्रभावी निवारण उपायों की योजना बनाई जा सकती है।
1. रिश्वतखोरी (Bribery)
2. धन की हेराफेरी (Embezzlement)
3. रिश्तेदारी और पक्षपात (Nepotism and Favoritism)
4. बलात्कारी गतिविधियाँ (Extortion)
5. धोखाधड़ी (Fraud)
निष्कर्ष
केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विहित भ्रष्टाचार के इन पाँच प्रकार—रिश्वतखोरी, धन की हेराफेरी, रिश्तेदारी और पक्षपात, बलात्कारी गतिविधियाँ, और धोखाधड़ी—को समझना और उनका मुकाबला करना महत्वपूर्ण है। हाल के उदाहरण इन प्रकारों की गंभीरता को दर्शाते हैं और भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
See lessलोक प्रशासन की 'सामाजिक जिम्मेदारी' से आप क्या समझते हैं?
लोक प्रशासन की 'सामाजिक जिम्मेदारी': परिभाषा और महत्व परिभाषा लोक प्रशासन की 'सामाजिक जिम्मेदारी' से तात्पर्य है कि सरकारी अधिकारी और संस्थाएँ केवल नीतियों और कानूनों को लागू करने का काम नहीं करतीं, बल्कि वे समाज के प्रति अपनी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारियों को भी पूरा करती हैं। इसका मतलब है कि प्रशासRead more
लोक प्रशासन की ‘सामाजिक जिम्मेदारी’: परिभाषा और महत्व
परिभाषा
लोक प्रशासन की ‘सामाजिक जिम्मेदारी’ से तात्पर्य है कि सरकारी अधिकारी और संस्थाएँ केवल नीतियों और कानूनों को लागू करने का काम नहीं करतीं, बल्कि वे समाज के प्रति अपनी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारियों को भी पूरा करती हैं। इसका मतलब है कि प्रशासन को समाज के सभी वर्गों की भलाई के लिए काम करना चाहिए और इसके कार्यों में सामाजिक न्याय, समानता और पारदर्शिता को प्राथमिकता देनी चाहिए।
मुख्य पहलू
हाल के उदाहरण
निष्कर्ष
लोक प्रशासन की ‘सामाजिक जिम्मेदारी’ केवल सरकारी कार्यों की कानूनी अनुपालना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों के प्रति संवेदनशीलता, समानता, और पारदर्शिता की भावना को भी शामिल करती है। हाल के उदाहरण और प्रयास दर्शाते हैं कि समाज के प्रति उत्तरदायित्व को निभाना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारियों में से एक है।
See lessकेन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति, राष्ट्रपति किनकी अनुशंसा पर करते हैं?
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति की नियुक्ति केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह और चयन के आधार पर की जाए। नियुक्ति की प्रक्रिया चRead more
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति
प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति की नियुक्ति
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह और चयन के आधार पर की जाए।
नियुक्ति की प्रक्रिया
हालिया उदाहरण
निष्कर्ष
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें प्रधानमंत्री की भूमिका केंद्रीय होती है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर नियुक्ति करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि एक सक्षम व्यक्ति इस महत्वपूर्ण पद के लिए चुना जाए।
See lessभ्रष्टाचार के विरूद्ध, संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को किस वर्ष अंगीकार किया गया था?
संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का अवलोकन संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Convention against Corruption - UNCAC) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकना और उसकी जांच करना है। यह सम्मेलन सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने कRead more
संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का अवलोकन
संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Convention against Corruption – UNCAC) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकना और उसकी जांच करना है। यह सम्मेलन सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने के लिए सदस्य देशों को मार्गदर्शन प्रदान करता है।
अंगीकरण का वर्ष
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन को 2003 में अंगीकार किया गया था। यह सम्मेलन 15 दिसंबर 2003 को मैक्सिको सिटी में आयोजित एक विशेष सत्र के दौरान अपनाया गया। इसके अंगीकरण से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढांचा स्थापित हुआ, जिसने वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार से निपटने के प्रयासों को सशक्त बनाया।
सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ
हाल के उदाहरण और केस स्टडीज
निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन को 2003 में अंगीकार किया गया था, और यह सम्मेलन वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार की रोकथाम और उसकी जांच के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इसके अंगीकरण ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को सशक्त किया है और सदस्य देशों को भ्रष्टाचार से निपटने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश प्रदान किए हैं। हाल के वर्षों में, UNCAC ने भ्रष्टाचार विरोधी वैश्विक पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और कई देशों ने इसके दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रभावी कार्यवाही की है।
See lessविश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मूल बिन्दु कौन-से बताये गये हैं?
विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मूल बिन्दु विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मुख्य बिन्दु जवाबदेही (Accountability) और पारदर्शिता (Transparency) के रूप में बताए गए हैं। ये बिन्दु सुशासन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और सरकार के कार्यों की प्रभावशीलता और निष्पक्षता को बढ़Read more
विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मूल बिन्दु
विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मुख्य बिन्दु जवाबदेही (Accountability) और पारदर्शिता (Transparency) के रूप में बताए गए हैं। ये बिन्दु सुशासन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और सरकार के कार्यों की प्रभावशीलता और निष्पक्षता को बढ़ावा देते हैं।
1. जवाबदेही (Accountability)
जवाबदेही का तात्पर्य है कि सरकार के अधिकारियों, संगठनों और संस्थाओं को अपनी क्रियाओं और निर्णयों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए। यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक संसाधनों और वित्त का उपयोग उचित तरीके से और जनता की भलाई के लिए किया जाए।
2. पारदर्शिता (Transparency)
पारदर्शिता का तात्पर्य है कि सरकार की कार्रवाइयाँ और निर्णय सार्वजनिक जांच के लिए खुले और सुलभ हों। यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी प्रक्रियाओं की जानकारी जनता के लिए उपलब्ध हो, जिससे वे सरकारी कार्यों की समीक्षा कर सकें और विश्वास बढ़े।
निष्कर्ष
विश्व बैंक द्वारा सुशासन के दो मुख्य बिन्दु जवाबदेही और पारदर्शिता हैं। जवाबदेही यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी अधिकारी अपनी कार्रवाइयों के लिए उत्तरदायी हों, जबकि पारदर्शिता यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी प्रक्रियाएँ और निर्णय जनता के लिए खुले और सुलभ हों। हाल के उदाहरण, जैसे लोकपाल की कार्यप्रणाली और RTI अधिनियम, इन बिन्दुओं की महत्वपूर्णता और प्रभावशीलता को दर्शाते हैं, जो सुशासन की गुणवत्ता और सार्वजनिक विश्वास को बढ़ावा देने में सहायक हैं।
See lessकिस प्रशासनिक सुधार आयोग ने शासन में नैतिक सद्गुणों पर जोर दिया था?
शासन में नैतिक सद्गुणों पर जोर देने वाला प्रशासनिक सुधार आयोग द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (Second Administrative Reforms Commission) ने शासन में नैतिक सद्गुणों पर विशेष ध्यान दिया। इस आयोग की स्थापना 2005 में की गई थी और इसका नेतृत्व एम. वीरप्पा मोइली ने किया था। आयोग ने सरकारी प्रशासन की दक्षता औरRead more
शासन में नैतिक सद्गुणों पर जोर देने वाला प्रशासनिक सुधार आयोग
द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (Second Administrative Reforms Commission) ने शासन में नैतिक सद्गुणों पर विशेष ध्यान दिया। इस आयोग की स्थापना 2005 में की गई थी और इसका नेतृत्व एम. वीरप्पा मोइली ने किया था। आयोग ने सरकारी प्रशासन की दक्षता और नैतिक मानकों को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण सिफारिशें कीं।
1. द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग का अवलोकन
2. शासन में नैतिक सद्गुणों पर जोर
द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने शासन में नैतिक सद्गुणों को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया। प्रमुख बिंदुओं में शामिल हैं:
3. द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की प्रमुख सिफारिशें
आयोग की रिपोर्ट “Promoting Ethics in Governance” में कई महत्वपूर्ण सिफारिशें शामिल थीं:
4. प्रभाव और कार्यान्वयन
द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों का प्रभाव निम्नलिखित क्षेत्रों में देखा गया है:
निष्कर्ष
द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने शासन में नैतिक सद्गुणों को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया। इसकी सिफारिशों ने ईमानदारी, पारदर्शिता, और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधारों की सिफारिश की। हाल के उदाहरण और कार्यान्वयन प्रक्रियाएँ इस सिद्धांत की प्रभावशीलता और प्रासंगिकता को दर्शाती हैं, जिससे भारतीय प्रशासनिक प्रणाली में नैतिकता को बढ़ावा मिलता है।
See lessसंतुलन सिद्धान्त किसने दिया था और यह सिद्धान्त क्या अध्ययन करता है?
संतुलन सिद्धांत: निर्माता और अध्ययन संतुलन सिद्धांत (Balance Theory) को फ्रिट्ज हाइडर (Fritz Heider) ने 1958 में प्रस्तुत किया था। यह सिद्धांत मनोविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है और इसका उद्देश्य यह समझना है कि व्यक्ति अपने विचारों, दृष्टिकोणों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखने के लिए कैसे प्रेरितRead more
संतुलन सिद्धांत: निर्माता और अध्ययन
संतुलन सिद्धांत (Balance Theory) को फ्रिट्ज हाइडर (Fritz Heider) ने 1958 में प्रस्तुत किया था। यह सिद्धांत मनोविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है और इसका उद्देश्य यह समझना है कि व्यक्ति अपने विचारों, दृष्टिकोणों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखने के लिए कैसे प्रेरित होते हैं।
1. संतुलन सिद्धांत का निर्माण
संतुलन सिद्धांत यह समझाता है कि व्यक्ति अपनी सामाजिक और व्यक्तिगत धाराओं में संतुलन बनाए रखने के लिए प्रेरित होते हैं।
2. संतुलन सिद्धांत की मुख्य अवधारणाएँ
संतुलन सिद्धांत तीन तत्वों के बीच संबंधों का अध्ययन करता है:
यह सिद्धांत निम्नलिखित सुझाव देता है:
3. संतुलन सिद्धांत के अनुप्रयोग
संतुलन सिद्धांत के अनुप्रयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में होते हैं:
4. आधुनिक संदर्भ और प्रासंगिकता
संतुलन सिद्धांत आधुनिक मनोविज्ञान और समाजशास्त्र में इस प्रकार उपयोगी है:
निष्कर्ष
संतुलन सिद्धांत, जिसे फ्रिट्ज हाइडर ने प्रस्तुत किया, व्यक्तियों के विचारों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा और प्रक्रिया का अध्ययन करता है। यह सिद्धांत संतुलित और असंतुलित स्थितियों के बीच के रिश्तों को समझने में मदद करता है और इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे कि विपणन, विवाद समाधान, और राजनीतिक रणनीतियाँ। हाल के उदाहरण और आधुनिक संदर्भ इस सिद्धांत की प्रभावशीलता और प्रासंगिकता को दर्शाते हैं।
See lessअनुनयात्मक संचार में स्वतः शोध प्रक्रमण क्या है?
अनुनयात्मक संचार में स्वतः शोध प्रक्रमण (Heuristic Processing in Persuasive Communication) स्वतः शोध प्रक्रमण या heuristic processing एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति त्वरित और आसान निर्णय लेने के लिए सरल नियमों या संकेतन का उपयोग करता है, बिना गहराई से विश्लेषण किए। अनुनयात्मक संचार में, यह प्Read more
अनुनयात्मक संचार में स्वतः शोध प्रक्रमण (Heuristic Processing in Persuasive Communication)
स्वतः शोध प्रक्रमण या heuristic processing एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति त्वरित और आसान निर्णय लेने के लिए सरल नियमों या संकेतन का उपयोग करता है, बिना गहराई से विश्लेषण किए। अनुनयात्मक संचार में, यह प्रक्रिया संदेशों की प्रभावशीलता को समझने और प्रतिक्रिया देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
1. स्वतः शोध प्रक्रमण की परिभाषा
स्वतः शोध प्रक्रमण और गहन विश्लेषण (systematic processing) के बीच अंतर है, जहां गहन विश्लेषण में सूचनाओं की विस्तार से जांच की जाती है।
2. स्वतः शोध प्रक्रमण की तंत्रिकाएँ
स्वतः शोध प्रक्रमण में निम्नलिखित तंत्रिकाएँ शामिल होती हैं:
3. विज्ञापन और विपणन में स्वतः शोध प्रक्रमण
विज्ञापन और विपणन में, स्वतः शोध प्रक्रमण का उपयोग इस प्रकार किया जाता है:
4. जनमत और व्यवहार पर प्रभाव
स्वतः शोध प्रक्रमण जनमत और व्यवहार को इस प्रकार प्रभावित करता है:
निष्कर्ष
स्वतः शोध प्रक्रमण अनुनयात्मक संचार में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो त्वरित निर्णय लेने और संज्ञानात्मक शॉर्टकट्स का उपयोग करती है। यह विज्ञापन, विपणन, और जनस्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग होता है। हाल के उदाहरण जैसे कि राजनीतिक अभियान, विज्ञापन रणनीतियाँ, और स्वास्थ्य संचार इस प्रक्रिया की प्रभावशीलता और महत्व को दर्शाते हैं। स्वतः शोध प्रक्रमण के माध्यम से, व्यक्तियों और संगठनों को त्वरित और प्रभावी निर्णय लेने में मदद मिलती है।
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