भारत के संदर्भ में सामाजिक न्याय की जॉन रॉल्स की संकल्पना का विश्लेषण कीजिए । (150 words) [UPSC 2016]
कौटिल्य के भ्रष्टाचार पर विचार 1. सरकारी राजकोष का दुरुपयोग: व्याख्या: कौटिल्य की अर्थशास्त्र में भ्रष्टाचार को राज्य के संसाधनों के दुरुपयोग के रूप में देखा गया है। भ्रष्ट अधिकारी सरकारी धन का उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए करते हैं, जिससे राज्य को वित्तीय हानि होती है। उदाहरण: 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला जैRead more
कौटिल्य के भ्रष्टाचार पर विचार
1. सरकारी राजकोष का दुरुपयोग:
- व्याख्या: कौटिल्य की अर्थशास्त्र में भ्रष्टाचार को राज्य के संसाधनों के दुरुपयोग के रूप में देखा गया है। भ्रष्ट अधिकारी सरकारी धन का उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए करते हैं, जिससे राज्य को वित्तीय हानि होती है।
- उदाहरण: 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला जैसे मामले दिखाते हैं कि कैसे भ्रष्टाचार के कारण सरकारी धन का अत्यधिक दुरुपयोग होता है।
2. प्रशासनिक अदक्षता:
- व्याख्या: कौटिल्य के अनुसार, भ्रष्टाचार प्रशासनिक दक्षता को नष्ट करता है। जब अधिकारियों में भ्रष्टाचार होता है, तो वे अपने कर्तव्यों में लापरवाह हो जाते हैं और निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
- उदाहरण: पासपोर्ट जारी करने में देरी जैसी समस्याएँ अक्सर भ्रष्टाचार के कारण प्रशासनिक अदक्षता को दर्शाती हैं।
3. राष्ट्रीय विकास में बाधा:
- व्याख्या: कौटिल्य का मानना था कि भ्रष्टाचार राष्ट्रीय विकास की राह में बड़ी बाधा उत्पन्न करता है। यह सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी और विकास की गति को धीमा कर देता है।
- उदाहरण: राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में भ्रष्टाचार से जुड़ी समस्याएँ, जैसे कि विलंब और लागत में वृद्धि, विकास की दिशा में बाधाएँ उत्पन्न करती हैं।
निष्कर्ष: कौटिल्य के विचार दर्शाते हैं कि भ्रष्टाचार न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग और प्रशासनिक दक्षता को प्रभावित करता है, बल्कि यह राष्ट्रीय विकास की गति को भी रोकता है। इसका प्रभाव व्यापक और विनाशकारी होता है।
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भारत के संदर्भ में सामाजिक न्याय की जॉन रॉल्स की संकल्पना 1. न्याय का सिद्धांत: व्याख्या: जॉन रॉल्स का सिद्धांत "न्याय को समानता के रूप में" प्रस्तुत करता है, जिसमें दो प्रमुख सिद्धांत होते हैं: समान मूलभूत स्वतंत्रताएँ और समान अवसरों की निष्पक्षता, साथ ही फर्क सिद्धांत जो आर्थिक असमानताओं की अनुमतिRead more
भारत के संदर्भ में सामाजिक न्याय की जॉन रॉल्स की संकल्पना
1. न्याय का सिद्धांत:
2. समान मूलभूत स्वतंत्रताएँ:
3. समान अवसरों की निष्पक्षता:
4. फर्क सिद्धांत:
निष्कर्ष: जॉन रॉल्स की सामाजिक न्याय की संकल्पना भारतीय संविधान और नीतियों में समानता, स्वतंत्रता, और कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए प्रयुक्त होती है।
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