प्रश्न का उत्तर अधिकतम 10 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 02 अंक का है। [MPPSC 2023] महावीर के अनुसार, पाँच महाव्रतों का नाम लिखिए।
एस. राधाकृष्णन के अनुसार अंतर्ज्ञान और बुद्धि में अंतर एस. राधाकृष्णन की परिभाषा डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो एक प्रमुख दार्शनिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति थे, ने अंतर्ज्ञान (Intuition) और बुद्धि (Intellect) के बीच महत्वपूर्ण भिन्नताओं को स्पष्ट किया। उनके अनुसार, ये दोनों ज्ञान प्राप्त करने और समझRead more
एस. राधाकृष्णन के अनुसार अंतर्ज्ञान और बुद्धि में अंतर
एस. राधाकृष्णन की परिभाषा
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो एक प्रमुख दार्शनिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति थे, ने अंतर्ज्ञान (Intuition) और बुद्धि (Intellect) के बीच महत्वपूर्ण भिन्नताओं को स्पष्ट किया। उनके अनुसार, ये दोनों ज्ञान प्राप्त करने और समझने के विभिन्न तरीके हैं।
1. अंतर्ज्ञान
परिभाषा और विशेषताएँ: राधाकृष्णन के अनुसार, अंतर्ज्ञान एक ऐसी प्रक्रिया है जो तात्कालिक, अदृश्य ज्ञान प्रदान करती है, बिना किसी सांविधानिक या तार्किक सोच के। यह एक प्रकार की “आंतरिक समझ” होती है जो बिना विचार प्रक्रिया के उत्पन्न होती है।
हालिया उदाहरण:
- सर्जनात्मकता और आविष्कार: स्टीव जॉब्स ने अपने डिजाइन और उत्पाद विकास में गहन अंतर्ज्ञान का उपयोग किया। उनके द्वारा विकसित किए गए उत्पाद जैसे कि iPhone और iPad ने तकनीकी नवाचार में महत्वपूर्ण बदलाव लाए, जो उनकी अंतर्ज्ञान की शक्ति को दर्शाता है।
2. बुद्धि
परिभाषा और विशेषताएँ: बुद्धि तर्कशील, विश्लेषणात्मक और व्यवस्थित सोच को दर्शाती है। यह एक प्रौढ़ और सुसंगत प्रक्रिया होती है, जिसमें प्रमाण, तर्क और आलोचनात्मक विश्लेषण शामिल होते हैं।
हालिया उदाहरण:
- विज्ञान और गणना: क्लाइमेट चेंज मॉडलिंग और डेटा एनालिसिस में बुद्धि का प्रयोग प्रमुख रूप से किया जाता है। जैसे कि IPCC (Intergovernmental Panel on Climate Change) द्वारा जलवायु परिवर्तन के पूर्वानुमान और समाधान की योजना में वैज्ञानिक बुद्धि का प्रयोग होता है, जो एक व्यवस्थित और तर्कशील दृष्टिकोण को दर्शाता है।
मुख्य भिन्नताएँ
- ज्ञान का स्वभाव: अंतर्ज्ञान तात्कालिक और गैर-तर्कसंगत समझ प्रदान करता है, जबकि बुद्धि विश्लेषणात्मक और संरचित सोच पर आधारित है।
- समझने का आधार: अंतर्ज्ञान व्यक्तिगत अंतर्दृष्टियों और आंतरिक संकेतों पर निर्भर करता है, जबकि बुद्धि साक्ष्य, तर्क, और विश्लेषण पर आधारित होती है।
- प्रक्रिया: अंतर्ज्ञान त्वरित अंतर्दृष्टियों का स्रोत होता है, जबकि बुद्धि चरणबद्ध और तार्किक प्रक्रिया द्वारा काम करती है।
निष्कर्ष
एस. राधाकृष्णन के अनुसार, अंतर्ज्ञान और बुद्धि ज्ञान और समझने के दो विभिन्न तरीके हैं। अंतर्ज्ञान तात्कालिक, गैर-तर्कसंगत अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जबकि बुद्धि व्यवस्थित और तार्किक सोच पर आधारित है। दोनों की अपनी-अपनी भूमिकाएँ हैं और विभिन्न संदर्भों में महत्वपूर्ण होती हैं।
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महावीर के अनुसार, पाँच महाव्रतों का नाम स्वामी महावीर, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, ने मोक्ष की प्राप्ति के लिए एक अनुशासित और संयमित जीवन जीने की शिक्षा दी। उनके अनुसार, पाँच महाव्रत (पंच महाव्रत) जैन साधु-साधिकाओं के लिए अनिवार्य हैं, लेकिन ये सिद्धांत सामान्य जीवन जीने वाले जैनियों के लिए भी मार्गRead more
महावीर के अनुसार, पाँच महाव्रतों का नाम
स्वामी महावीर, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, ने मोक्ष की प्राप्ति के लिए एक अनुशासित और संयमित जीवन जीने की शिक्षा दी। उनके अनुसार, पाँच महाव्रत (पंच महाव्रत) जैन साधु-साधिकाओं के लिए अनिवार्य हैं, लेकिन ये सिद्धांत सामान्य जीवन जीने वाले जैनियों के लिए भी मार्गदर्शक हैं। ये महाव्रत जीवन की नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए आवश्यक हैं।
1. अहिंसा (Non-Violence)
अहिंसा का मतलब है कि किसी भी जीवित प्राणी को शारीरिक, मानसिक या वाक् द्वारा हानि न पहुँचाई जाए। महावीर के अनुसार, अहिंसा सबसे महत्वपूर्ण व्रत है क्योंकि यह सभी प्रकार की हिंसा से बचने की सलाह देता है, जिसमें जानवरों, पौधों और यहां तक कि सूक्ष्मजीवों को भी नुकसान न पहुंचाना शामिल है।
2. सत्य (Truthfulness)
सत्य का अर्थ है हमेशा सच्चाई बोलना और झूठ से दूर रहना। महावीर के अनुसार, सत्य बोलने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और दूसरों के साथ संबंध भी स्पष्ट रहते हैं।
3. अस्तेय (Non-Stealing)
अस्तेय का अर्थ है किसी भी वस्तु को बिना अनुमति के न लेना। महावीर ने बताया कि चोरी केवल भौतिक वस्तुओं की नहीं होती, बल्कि किसी की भी बौद्धिक या नैतिक संपत्ति का दुरुपयोग भी चोरी के दायरे में आता है।
4. ब्रह्मचर्य (Celibacy)
महावीर के अनुसार, ब्रह्मचर्य का पालन पूर्ण विवाहिक संयम और सेक्सुअल अवशिष्टता के रूप में होता है। यह संयमित जीवन जीने में मदद करता है और मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
5. अपरिग्रह (Non-Possessiveness)
अपरिग्रह का मतलब है सामग्री की अति-प्राप्ति और संग्रह से बचना। महावीर ने यह व्रत सिखाया कि व्यक्ति को केवल उतना ही स्वीकार करना चाहिए जितना आवश्यक हो और सभी अनावश्यक वस्तुओं से दूर रहना चाहिए।
निष्कर्ष
महावीर के पाँच महाव्रत—अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह—जीवन की नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं। ये व्रत न केवल जैन साधु-साधिकाओं के लिए, बल्कि आधुनिक समाज के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, जो सच्चाई, संयम, और नैतिकता की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इन व्रतों की अवधारणा आज भी सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में प्रासंगिक है।
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