“धार्मिक कट्टरता किसी भी लोकतांत्रिक देश की उन्नति में बाधक रही हैं।” विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
राम मूर्ति के आचरण का नैतिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन **1. उद्देश्य और करुणा: राम मूर्ति का अनाथ बालक को अपने घर लाकर और उसे सहायता देने का प्रस्ताव करुणा और मानवता को दर्शाता है। उनका उद्देश्य बालक की तत्कालिक समस्याओं का समाधान करना और उसे दीर्घकालिक समर्थन प्रदान करना है, जो नैतिक दृष्टिकोण से सराहनRead more
राम मूर्ति के आचरण का नैतिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन
**1. उद्देश्य और करुणा: राम मूर्ति का अनाथ बालक को अपने घर लाकर और उसे सहायता देने का प्रस्ताव करुणा और मानवता को दर्शाता है। उनका उद्देश्य बालक की तत्कालिक समस्याओं का समाधान करना और उसे दीर्घकालिक समर्थन प्रदान करना है, जो नैतिक दृष्टिकोण से सराहनीय है।
**2. नैतिक चिंताएँ:
- शोषण की संभावना: एक नैतिक चिंता शोषण की संभावना है। राम मूर्ति द्वारा बालक को वृद्ध माता-पिता की देखभाल करने के बदले में दैनिक मजदूरी और शिक्षा की पेशकश करने से यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है कि बालक को केवल एक साधन के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इसे प्रोफेशनल चाइल्ड वेलफेयर के मानदंडों के साथ संरेखित करना महत्वपूर्ण है।
- सत्ता का असंतुलन: राम मूर्ति और बालक के बीच सत्ता का असंतुलन हो सकता है। बालक पर निर्भरता और उसके भविष्य के लिए जिम्मेदारी निभाने के दबाव के कारण, वह स्वतंत्रता और स्वायत्तता की कमी का सामना कर सकता है।
**3. कानूनी और संस्थागत विचार: नैतिक रूप से, बालक की भलाई को संस्थागत देखभाल और प्रोफेशनल चाइल्ड वेलफेयर के मानकों के अनुसार देखना चाहिए। बालक को अधिकतम सुरक्षा और विकास की आवश्यकता होती है, जो केवल एक पेशेवर संस्था ही सुनिश्चित कर सकती है।
**4. संभावित सकारात्मक प्रभाव: राम मूर्ति की पहल का सकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है यदि यह पारदर्शिता और उचित देखभाल के साथ की जाए। अगर बालक की ज़रूरतों को पूरा किया जाता है और उसकी भूमिका स्पष्ट रूप से परिभाषित की जाती है, तो यह बालक को स्थिरता और शिक्षा के अवसर प्रदान कर सकता है।
निष्कर्ष: राम मूर्ति का आचरण नैतिक करुणा और सहायता को दर्शाता है। हालांकि, शोषण और सत्ता असंतुलन की संभावनाओं को देखते हुए, यह आवश्यक है कि उनकी पहल पारदर्शी हो और बालक की भलाई और अधिकारों को प्राथमिकता दी जाए। उचित देखभाल और संस्थागत समर्थन के साथ, उनके प्रयास अधिक नैतिक रूप से मान्य हो सकते हैं।
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धार्मिक कट्टरता और लोकतांत्रिक उन्नति परिभाषा और प्रभाव: धार्मिक कट्टरता का तात्पर्य ऐसे असहिष्णुता और पूर्वाग्रह से है जो धार्मिक मान्यताओं के आधार पर व्यक्तियों या समुदायों के प्रति होता है। यह कट्टरता लोकतांत्रिक देशों की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में प्रमुख बाधक बनती है। ऐतिहासिक उदाहरण: भारत काRead more
धार्मिक कट्टरता और लोकतांत्रिक उन्नति
परिभाषा और प्रभाव: धार्मिक कट्टरता का तात्पर्य ऐसे असहिष्णुता और पूर्वाग्रह से है जो धार्मिक मान्यताओं के आधार पर व्यक्तियों या समुदायों के प्रति होता है। यह कट्टरता लोकतांत्रिक देशों की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में प्रमुख बाधक बनती है।
ऐतिहासिक उदाहरण:
उन्नति पर प्रभाव:
निष्कर्ष: धार्मिक कट्टरता लोकतांत्रिक देशों की उन्नति में बाधक है, क्योंकि यह सामाजिक विघटन, आर्थिक विकास में रुकावट, और मानवाधिकार उल्लंघन को जन्म देती है। असहिष्णुता को समाप्त करना और समावेशिता को बढ़ावा देना लोकतांत्रिक समाजों की स्थिरता और विकास के लिए आवश्यक है।
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