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नीतिशास्त्र केस स्टडी
पुलिस अधीक्षक और पुलिस कर्मी के नैतिक आचरण पर टिप्पणी **1. पुलिस अधीक्षक का नैतिक आचरण पुलिस अधीक्षक का आदेश "पाठ पढ़ा दें" का व्याख्या और कार्यान्वयन विवादास्पद और नैतिक रूप से संदिग्ध है। यह आदेश अस्पष्ट था और इससे पुलिस कर्मियों को हिंसा का अधिकार मिल सकता था। नैतिक रूप से, पुलिस अधीक्षक को स्पष्Read more
पुलिस अधीक्षक और पुलिस कर्मी के नैतिक आचरण पर टिप्पणी
**1. पुलिस अधीक्षक का नैतिक आचरण
पुलिस अधीक्षक का आदेश “पाठ पढ़ा दें” का व्याख्या और कार्यान्वयन विवादास्पद और नैतिक रूप से संदिग्ध है। यह आदेश अस्पष्ट था और इससे पुलिस कर्मियों को हिंसा का अधिकार मिल सकता था। नैतिक रूप से, पुलिस अधीक्षक को स्पष्ट और कानून के अनुसार निर्देश देने चाहिए थे, जिससे कि सार्वजनिक धरनों के दौरान शांतिपूर्ण और वैधानिक तरीके से प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके।
**2. पुलिस कर्मी का नैतिक आचरण
पुलिस कर्मी का धरना देने वाले व्यक्ति पर हिंसात्मक हमला अनुचित और अवैध था। उसे कानून के अनुसार काम करना चाहिए था और किसी भी प्रकार की हिंसा से बचना चाहिए था। उसके द्वारा किए गए अत्याचार ने न केवल कानून की अवहेलना की बल्कि पुलिस की छवि को भी प्रभावित किया।
**3. हाल का उदाहरण
2023 में, दिल्ली में एक पुलिस अधीक्षक के अस्पष्ट आदेशों के कारण एक धरने के दौरान हिंसा हुई, जिससे सार्वजनिक और मीडिया में आलोचना का सामना करना पड़ा।
निष्कर्ष:
See lessपुलिस अधीक्षक और पुलिस कर्मी दोनों को अपने आदेशों और कार्यों में नैतिकता और कानूनी तर्कसंगतता का पालन करना चाहिए। उचित दिशा-निर्देश और संवेदनशीलता से ही कानून व्यवस्था को बनाए रखा जा सकता है।
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सड़क दुर्घटनाओं और उदासीनता: विश्लेषण और समाधान **1. सड़क दुर्घटना के प्रति सही प्रतिक्रिया यदि मैं राजीव के स्थान पर होता, तो तत्कालिक प्रतिक्रिया के बजाय, शांत और समझदारी से कार्य करना प्राथमिक होता। कार चालक के खिलाफ कार्रवाई के लिए घटना की सूचना पुलिस को देना और गवाहों से जानकारी एकत्रित करना आवRead more
सड़क दुर्घटनाओं और उदासीनता: विश्लेषण और समाधान
**1. सड़क दुर्घटना के प्रति सही प्रतिक्रिया
यदि मैं राजीव के स्थान पर होता, तो तत्कालिक प्रतिक्रिया के बजाय, शांत और समझदारी से कार्य करना प्राथमिक होता। कार चालक के खिलाफ कार्रवाई के लिए घटना की सूचना पुलिस को देना और गवाहों से जानकारी एकत्रित करना आवश्यक होता। किसी भी प्रकार की शारीरिक झगड़ा या हिंसा से बचना चाहिए, क्योंकि इससे स्थिति और भी जटिल हो सकती है।
**2. उदासीनता और निष्क्रियता के कारण
अज्ञानता: बहुत से लोग दुर्घटना पीड़ितों के लिए समय पर चिकित्सा सहायता के महत्व को नहीं समझते। उदाहरण के लिए, 2023 में दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना के बाद, लोगों ने समय पर सहायता नहीं दी, जिससे पीड़ित की स्थिति बिगड़ गई।
कानूनी डर: कुछ लोग कानूनी दुष्परिणामों के डर से दुर्घटनाओं में हस्तक्षेप करने से बचते हैं।
भावनात्मक संवेदनहीनता: दुर्घटनाओं के बार-बार देखने से लोग संवेदनहीन हो सकते हैं और उनकी प्रतिक्रिया धीमी हो जाती है।
**3. समाधान और सुधार
जन जागरूकता अभियान: सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाना चाहिए, जो लोगों को दुर्घटना के समय मदद करने की आवश्यकता और कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी प्रदान करे। भारत में “गुड समैरिटन कानून” के तहत, लोगों को दुर्घटनाओं में मदद करने के लिए कानूनी सुरक्षा दी जाती है।
शिक्षा और प्रशिक्षण: सड़क सुरक्षा और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए नियमित प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।
कानूनी सुधार: सड़क पर असावधानी बरतने वाले चालकों के लिए कठोर दंड और त्वरित कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने से भी सुधार हो सकता है।
**4. हाल का उदाहरण
2023 में, मुंबई में एक सार्वजनिक जागरूकता अभियान ने दुर्घटनाओं के समय मदद देने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि की। यह अभियान लोगों को मदद के महत्व और कानूनी संरक्षण के बारे में जागरूक करने में सफल रहा।
निष्कर्ष:
See lessसड़क दुर्घटनाओं में सही प्रतिक्रिया और लोगों की उदासीनता को दूर करने के लिए जागरूकता, शिक्षा और कानूनी सुधार आवश्यक हैं। एक समग्र दृष्टिकोण से, इन उपायों से सड़क सुरक्षा और दुर्घटनाओं में प्रभावी मदद सुनिश्चित की जा सकती है।
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शराब बंदी पर सरकार की भूमिका: तर्कसंगत समीक्षा 1. जन स्वास्थ्य के मुद्दे शराब का अत्यधिक सेवन विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा है, जैसे कि लिवर की बीमारियाँ, हृदय रोग, और मानसिक स्वास्थ्य विकार। उदाहरण के लिए, "राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण" (NFHS) 2023 ने भारत में शराब से संबंधित स्वास्थ्Read more
शराब बंदी पर सरकार की भूमिका: तर्कसंगत समीक्षा
1. जन स्वास्थ्य के मुद्दे
शराब का अत्यधिक सेवन विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा है, जैसे कि लिवर की बीमारियाँ, हृदय रोग, और मानसिक स्वास्थ्य विकार। उदाहरण के लिए, “राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण” (NFHS) 2023 ने भारत में शराब से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ते मामलों की जानकारी दी है। इस संदर्भ में, शराब पर प्रतिबंध लगाने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद मिल सकती है।
2. सामाजिक प्रभाव और अपराध में कमी
शराब का दुरुपयोग अक्सर घरेलू हिंसा, सड़क दुर्घटनाएँ, और अपराध से जुड़ा होता है। बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में, जहां शराब पर प्रतिबंध है, वहाँ अपराध दर में कमी देखी गई है। “गुजरात प्रोहिबिशन एक्ट” के अनुसार, शराब से संबंधित अपराधों में कमी आई है, जो इस नीति की सामाजिक प्रभावशीलता को दर्शाता है।
3. आर्थिक विचार
शराब उद्योग राज्य के राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देता है, और पूर्ण प्रतिबंध से आर्थिक प्रभाव पड़ सकता है। केरल में शराब बंदी के बाद, राज्य को “केरल स्टेट बेवरेजेज कॉर्पोरेशन” द्वारा राजस्व में कमी का सामना करना पड़ा, जो आर्थिक चुनौती को उजागर करता है।
4. व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वायत्तता
शराब सेवन व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है और पूर्ण प्रतिबंध व्यक्तिगत अधिकारों में हस्तक्षेप कर सकता है। सरकार को वैकल्पिक उपायों पर विचार करना चाहिए, जैसे कि नियंत्रित बिक्री, सार्वजनिक जागरूकता अभियान, और मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू करना, ताकि स्वास्थ्य और सामाजिक मुद्दों का समाधान किया जा सके बिना पूर्ण प्रतिबंध लगाए।
5. हाल के उदाहरण और संतुलन
हाल ही में तमिलनाडु और कर्नाटका में शराब पर प्रतिबंध को आंशिक रूप से रिलैक्स किया गया है, जिससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आर्थिक प्रभावों के बीच संतुलन की आवश्यकता स्पष्ट होती है। यह दर्शाता है कि पूर्ण प्रतिबंध की बजाय संतुलित दृष्टिकोण अधिक व्यावहारिक हो सकता है।
निष्कर्ष:
See lessशराब पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर सरकार का हस्तक्षेप जन स्वास्थ्य और सामाजिक लाभ के संदर्भ में तर्कसंगत हो सकता है, लेकिन व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आर्थिक प्रभावों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। एक संतुलित और विचारशील दृष्टिकोण अधिक प्रभावी और व्यवहारिक समाधान प्रदान कर सकता है।
नीतिशास्त्र
आपातकालीन स्थिति में कार्रवाई के कदम: 1. तत्काल सहायता और सुरक्षा पहले स्थिति का त्वरित मूल्यांकन करें। स्थिति की जाँच करें: यदि बुजुर्ग व्यक्ति बेहोश हैं, तो तुरंत प्राथमिक चिकित्सा शुरू करें। सहायता के लिए कॉल करें: स्थानीय आपातकालीन सेवाओं (जैसे 108 या 112) को तुरंत कॉल करें और स्थिति की सही जानकRead more
आपातकालीन स्थिति में कार्रवाई के कदम:
1. तत्काल सहायता और सुरक्षा
पहले स्थिति का त्वरित मूल्यांकन करें। स्थिति की जाँच करें: यदि बुजुर्ग व्यक्ति बेहोश हैं, तो तुरंत प्राथमिक चिकित्सा शुरू करें। सहायता के लिए कॉल करें: स्थानीय आपातकालीन सेवाओं (जैसे 108 या 112) को तुरंत कॉल करें और स्थिति की सही जानकारी प्रदान करें।
2. प्राथमिक चिकित्सा का प्रावधान
यदि आप प्राथमिक चिकित्सा और सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) में प्रशिक्षित हैं, तो पेशेवर सहायता के आने तक इसे प्रदान करें। हाल ही में, “दिल के दौरे की तात्कालिकता” पर जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए गए हैं। जैसे “इंडियन हार्ट एसोसिएशन” ने सामान्य लोगों को सीपीआर के महत्व पर प्रशिक्षित किया है।
3. पोती को सांत्वना दें
बुजुर्ग की पोती को सांत्वना दें और उसे आश्वस्त करें कि मदद आ रही है। उसकी चिंता को कम करने के लिए आप उसकी भावनात्मक स्थिति को समझें और शांतिपूर्ण संवाद करें।
4. आपातकालीन सेवाओं को सटीक जानकारी दें
जब आपातकालीन सेवाएं पहुंचें, उन्हें घटनाक्रम की पूरी जानकारी दें, जिसमें बुजुर्ग की स्थिति, आपके द्वारा किए गए प्राथमिक उपचार की जानकारी शामिल हो।
5. मामले की रिपोर्ट और दस्तावेज़ीकरण
घटना के बाद, यदि साक्षात्कार पैनल या संबंधित अधिकारियों से आवश्यक हो, तो एक संक्षिप्त रिपोर्ट तैयार करें। इससे आपकी आपातकालीन प्रबंधन की क्षमता और जिम्मेदारी का प्रमाण मिलेगा।
हाल का उदाहरण:
सितंबर 2023 में, दिल्ली में एक राहगीर ने सड़क पर दिल का दौरा पड़ने वाले व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की। इस त्वरित कार्रवाई ने बुजुर्ग व्यक्ति की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो आपातकालीन सेवाओं के आने से पहले किया गया था। इस प्रकार की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई कितनी महत्वपूर्ण होती है।
निष्कर्ष:
See lessआपातकालीन स्थिति में तुरंत कार्रवाई, प्राथमिक चिकित्सा, और भावनात्मक समर्थन प्रदान करने की क्षमता दिखाना पीसीएस अधिकारी के रूप में आपकी क्षमता और पेशेवर व्यवहार को दर्शाता है।
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मीनू के व्यवहार के संभावित स्पष्टीकरण: **1. प्रेरणा और वास्तविकता का अंतर मीनू का समाज सेवा के प्रति लगाव का दावा शायद उसके भीतर की इच्छा और वास्तविकता के बीच अंतर को दर्शाता है। वह समाज सेवा के महत्व को समझती है लेकिन उसे खुद को इसमें संलग्न होने के लिए प्रेरित नहीं कर पा रही है। यह स्थिति "हाइपोक्Read more
मीनू के व्यवहार के संभावित स्पष्टीकरण:
**1. प्रेरणा और वास्तविकता का अंतर
मीनू का समाज सेवा के प्रति लगाव का दावा शायद उसके भीतर की इच्छा और वास्तविकता के बीच अंतर को दर्शाता है। वह समाज सेवा के महत्व को समझती है लेकिन उसे खुद को इसमें संलग्न होने के लिए प्रेरित नहीं कर पा रही है। यह स्थिति “हाइपोक्रेसी” (पाखंड) के लक्षण हो सकती है जहां व्यक्ति अपने विचारों और कार्यों के बीच असंगति दिखाता है।
**2. आत्म-प्रेरणा की कमी
मीनू की सक्रिय भागीदारी की कमी उसकी “आत्म-प्रेरणा” की कमी को दर्शा सकती है। मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुसार, जब व्यक्ति अपने कार्यों के लिए व्यक्तिगत प्रेरणा नहीं रखता, तो वह सक्रिय रूप से भाग लेने में रुचि नहीं दिखाता। उदाहरण के लिए, “मास्लो का ज़रूरतों का अनुक्रम” (Maslow’s Hierarchy of Needs) सिद्धांत के अनुसार, व्यक्ति की मूलभूत जरूरतें पूरी नहीं होने पर उसे उच्चतर सामाजिक जरूरतों के प्रति सक्रिय होने में कठिनाई हो सकती है।
**3. समाज में वास्तविक प्रभाव का एहसास न होना
मीनू का समाज सेवा के प्रति उदासीनता का एक कारण यह हो सकता है कि उसे यह विश्वास नहीं है कि उसकी भागीदारी से वास्तव में कोई सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। यह “मनोवैज्ञानिक निराशा” (Psychological Disengagement) का एक रूप हो सकता है, जहां व्यक्ति को लगता है कि उसके प्रयास का समाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
**4. सामाजिक दबाव और पहचान का अभाव
मीनू का एन.जी.ओ. के साथ जुड़ने में अनिच्छा इस बात का संकेत हो सकती है कि उसे समाज सेवा के लिए कोई सामाजिक दबाव महसूस नहीं होता। जब व्यक्ति के सामाजिक या व्यक्तिगत पहचान से जुड़ी जरूरतें पूरी नहीं होतीं, तो वह समाज सेवा में भाग लेने के प्रति उदासीन हो सकता है।
उपसंहार:
See lessमीनू का व्यवहार उसकी व्यक्तिगत प्रेरणा, आत्म-प्रेरणा की कमी, और समाज में प्रभाव के एहसास की कमी का परिणाम हो सकता है। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, इन कारकों को समझने से मीनू की समाज सेवा में भागीदारी बढ़ाने के उपाय सुझाए जा सकते हैं।
नीतिशास्त्र
परिचय: जन सूचना अधिकारी (PIO) एक नैतिक और कानूनी दुविधा का सामना कर रहे हैं। उन्हें यह निर्णय लेना है कि जानकारी को पूर्ण रूप से प्रकट करें जिससे अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, या फिर जानकारी को आंशिक रूप से छुपाकर स्वयं और अपने सहयोगियों को बचाने का प्रयास करें। सूचना का अधिकार (RRead more
परिचय: जन सूचना अधिकारी (PIO) एक नैतिक और कानूनी दुविधा का सामना कर रहे हैं। उन्हें यह निर्णय लेना है कि जानकारी को पूर्ण रूप से प्रकट करें जिससे अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, या फिर जानकारी को आंशिक रूप से छुपाकर स्वयं और अपने सहयोगियों को बचाने का प्रयास करें। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 का मुख्य उद्देश्य शासन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना है।
कानूनी और नैतिक दायित्व: RTI अधिनियम के अनुसार, सूचना को प्रकट करना अनिवार्य है जब तक कि वह अधिनियम की धारा 8 या 9 के तहत छूट प्राप्त न हो। इस मामले में, जानकारी ऐसी नहीं लगती जो छूट श्रेणी में आती हो (जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा, गोपनीयता, आदि)। अतः PIO कानूनी रूप से जानकारी प्रकट करने के लिए बाध्य हैं।
सलाह:
निष्कर्ष: PIO को जानकारी को पूर्ण और सत्यता के साथ प्रकट करना चाहिए। यह न केवल RTI अधिनियम के तहत उनके कानूनी दायित्वों के अनुरूप है, बल्कि यह सार्वजनिक सेवा के नैतिक मानकों को भी बनाए रखता है। जबकि इस निर्णय से तत्काल परिणाम हो सकते हैं, यह पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, और अखंडता के सिद्धांतों को सुदृढ़ करेगा, जो एक जिम्मेदार और उत्तरदायी शासन प्रणाली के स्तंभ हैं।
See lessविभेद कीजिए: (125 Words) [UPPSC 2022] a. सदाचार-संहिता और आचार संहिता में b. सहिष्णुता और करुणा में।
a. सदाचार-संहिता और आचार संहिता सदाचार-संहिता (Code of Ethics) परिभाषा: सदाचार-संहिता व्यक्तिगत या पेशेवर नैतिक मानदंडों का समूह है, जो सही और गलत के बीच अंतर बताता है। उदाहरण: सिविल सेवकों के लिए नैतिक संहिता में भ्रष्टाचार, भेदभाव और अन्याय के खिलाफ दिशानिर्देश होते हैं। आचार संहिता (Code of ConduRead more
a. सदाचार-संहिता और आचार संहिता
b. सहिष्णुता और करुणा
निष्कर्ष
सदाचार-संहिता और आचार संहिता में नैतिक मानदंडों और व्यवहारिक नियमों का अंतर है, जबकि सहिष्णुता और करुणा में सामाजिक समरसता और मानवता के प्रति दृष्टिकोण का अंतर है।
See lessलोक सेवा के संदर्भ में निम्नलिखित की प्रासंगिकता का निरूपण कीजियेः (125 Words) [UPPSC 2021]
लोक सेवा के संदर्भ में प्रासंगिकता a. नैतिक शासन प्रासंगिकता: नैतिक शासन (Ethical Governance) लोक सेवा में पारदर्शिता, ईमानदारी और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। यह भ्रष्टाचार और अन्याय को रोकने में सहायक होता है। हाल ही में, दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी ने नैतिक शासन के तहत भ्रष्टाचार विरोधी कदम उठाएRead more
लोक सेवा के संदर्भ में प्रासंगिकता
a. नैतिक शासन
प्रासंगिकता: नैतिक शासन (Ethical Governance) लोक सेवा में पारदर्शिता, ईमानदारी और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। यह भ्रष्टाचार और अन्याय को रोकने में सहायक होता है। हाल ही में, दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी ने नैतिक शासन के तहत भ्रष्टाचार विरोधी कदम उठाए हैं, जैसे कि ई-गवर्नेंस पहल और RTI प्रौद्योगिकी का उपयोग, जो पारदर्शिता को बढ़ावा देते हैं।
b. लोक जीवन में सत्यनिष्ठा
प्रासंगिकता: लोक जीवन में सत्यनिष्ठा (Integrity) का मतलब है व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सच्चाई और ईमानदारी बनाए रखना। यह नागरिकों का विश्वास बढ़ाता है और सरकारी संस्थाओं की विश्वसनीयता को मजबूत करता है। पंकज कुमार, एक आईएएस अधिकारी, ने सार्वजनिक सेवाओं में सुधार के लिए सत्यनिष्ठा का उदाहरण पेश किया है, जब उन्होंने स्थानीय प्रशासन में सुधार के लिए कई पारदर्शी पहल कीं।
निष्कर्ष
नैतिक शासन और सत्यनिष्ठा लोक सेवा में विश्वास और प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं, जिससे जनसेवा की गुणवत्ता और सरकारी नीतियों की प्रभावशीलता में सुधार होता है।
See lessविभेद कीजियेः a. वस्तुनिष्ठता एवं निष्ठा में b. अभिवृत्ति की संरचना एवं प्रकार्यों में। (125 Words) [UPPSC 2021]
a. वस्तुनिष्ठता एवं निष्ठा वस्तुनिष्ठता परिभाषा: वस्तुनिष्ठता (Objectivity) किसी विषय के प्रति निष्पक्ष दृष्टिकोण है, जो व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों या भावनाओं से मुक्त होता है। उदाहरण: एक जज का निर्णय कानूनी तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित होना चाहिए, न कि व्यक्तिगत मान्यताओं पर। निष्ठा परिभाषा: निRead more
a. वस्तुनिष्ठता एवं निष्ठा
b. अभिवृत्ति की संरचना एवं प्रकार
निष्कर्ष
वस्तुनिष्ठता निष्पक्षता को दर्शाती है, जबकि निष्ठा नैतिकता और ईमानदारी को। अभिवृत्ति की संरचना और प्रकार व्यक्ति के मानसिक रुझानों और प्रतिक्रियाओं को विभिन्न परिप्रेक्ष्य में व्यक्त करते हैं।
See lessनिम्नलिखित में विभेद कीजिये: a.अभिवृत्ति एवं मूल्य। b.अभिवृत्ति एवं मत।(125 Words) [UPPSC 2018]
a. अभिवृत्ति एवं मूल्य अभिवृत्ति परिभाषा: अभिवृत्ति एक व्यक्ति की किसी विशेष विषय, वस्तु, या व्यक्ति के प्रति सकारात्मक या नकारात्मक भावना होती है, जो उनके व्यवहार को प्रभावित करती है। उदाहरण: किसी व्यक्ति की सरकारी स्कूलों के प्रति सकारात्मक अभिवृत्ति हो सकती है, जिससे वह सरकारी स्कूलों को समर्थन कRead more
a. अभिवृत्ति एवं मूल्य
b. अभिवृत्ति एवं मत
निष्कर्ष
अभिवृत्ति और मूल्य व्यक्ति की स्थायी मानसिकता और विश्वासों को दर्शाते हैं, जबकि अभिवृत्ति और मत समयानुसार बदलने वाले विचार और राय को प्रदर्शित करते हैं।
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