“मेरा दृढ़ विश्वास है कि यदि किसी राष्ट्र को भ्रष्टाचार मुक्त और सुंदर मनों वाला बनाना है, तो उसमें समाज के तीन प्रमुख लोग अंतर ला सकते हैं। वे हैं पिता, माता एवं शिक्षक ।” – ए.पी.जे. अब्दुल कलाम । ...
महात्मा गांधी के अनुसार आदर्श मानवीय नैतिक व्यवहार के आवश्यक सद्गुण 1. सत्य (Satya): गांधीजी ने सत्य को नैतिकता का आधार मानते हुए सत्यवादिता और ईमानदारी को महत्वपूर्ण बताया। उदाहरण: उनके सत्याग्रह आंदोलन में सत्य की शक्ति का उपयोग सामाजिक न्याय के लिए किया गया। 2. अहिंसा (Ahimsa): अहिंसा, अर्थात् हिRead more
महात्मा गांधी के अनुसार आदर्श मानवीय नैतिक व्यवहार के आवश्यक सद्गुण
1. सत्य (Satya): गांधीजी ने सत्य को नैतिकता का आधार मानते हुए सत्यवादिता और ईमानदारी को महत्वपूर्ण बताया। उदाहरण: उनके सत्याग्रह आंदोलन में सत्य की शक्ति का उपयोग सामाजिक न्याय के लिए किया गया।
2. अहिंसा (Ahimsa): अहिंसा, अर्थात् हिंसा से परहेज, गांधीजी के नैतिक सिद्धांतों का केंद्रीय हिस्सा था। उदाहरण: भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में अहिंसात्मक प्रतिरोध ने व्यापक समर्थन प्राप्त किया।
3. आत्म-निर्भरता (Swaraj): गांधीजी ने व्यक्तिगत आत्म-निर्भरता और स्वावलंबन को नैतिक उत्कृष्टता के तत्व के रूप में देखा। उदाहरण: खादी आंदोलन के माध्यम से स्वदेशी वस्त्रों का प्रचार किया।
4. करुणा (Karuna): दूसरों के प्रति दया और सहानुभूति रखना भी गांधीजी के सिद्धांतों में शामिल था। उदाहरण: उन्होंने अछूतों के उत्थान के लिए विशेष प्रयास किए।
निष्कर्ष: महात्मा गांधी के अनुसार, सत्य, अहिंसा, आत्म-निर्भरता, और करुणा ये सद्गुण आदर्श मानवीय नैतिक व्यवहार के लिए अनिवार्य हैं।
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भ्रष्टाचार-मुक्त समाज और प्रमुख समाजिक सदस्य ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने स्पष्ट किया कि एक भ्रष्टाचार-मुक्त और नैतिक समाज का निर्माण करने में पिता, माता, और शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन तीनों का प्रभाव बच्चों के मानसिक विकास और नैतिकता पर गहरा असर डालता है। पिता और माता: पारिवारिक मूल्यों औRead more
भ्रष्टाचार-मुक्त समाज और प्रमुख समाजिक सदस्य
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने स्पष्ट किया कि एक भ्रष्टाचार-मुक्त और नैतिक समाज का निर्माण करने में पिता, माता, और शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन तीनों का प्रभाव बच्चों के मानसिक विकास और नैतिकता पर गहरा असर डालता है।
पिता और माता:
पारिवारिक मूल्यों और नैतिकता की नींव घर से ही पड़ती है। मुकुल रोहतगी, भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल, ने अपने परिवार के सिद्धांतों को लेकर पारदर्शिता और ईमानदारी को अपनी व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी में लागू किया। परिवार के आचार-व्यवहार से बच्चे समाज में नैतिकता और जिम्मेदारी सीखते हैं।
शिक्षक:
शिक्षक बच्चों को ज्ञान और मूल्य सिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अशोक शर्मा, एक प्रमुख शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता, ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सामाजिक समावेशिता के सिद्धांतों पर जोर दिया, जिससे विद्यार्थियों में समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा हुआ।
इन प्रमुख समाजिक सदस्यों की भूमिका से बच्चों को सही मार्गदर्शन मिलता है, जो भविष्य में एक ईमानदार और नैतिक समाज की नींव रखता है।
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