Home/मानवीय मूल्य/महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों से शिक्षा
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"परस्पर निर्भरता के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है। हमें एक-दूसरे की जरूरत है और जितनी हम जल्दी इसे सीख लें यह हम सबके लिए उतना ही अच्छा है।" एरिक एरिक्सन (150 words) [UPSC 2021]
परिचय: एरिक एरिक्सन का यह कथन जीवन में परस्पर निर्भरता के महत्व को दर्शाता है। मानव समाज और विश्व की संरचना ऐसी है कि हम सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं। यदि हम इस सच्चाई को शीघ्र समझ लें, तो हम अधिक समृद्ध, शांतिपूर्ण और संगठित समाज की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। परस्पर निर्भरता का महत्व: वैश्विक सहयोगRead more
परिचय:
एरिक एरिक्सन का यह कथन जीवन में परस्पर निर्भरता के महत्व को दर्शाता है। मानव समाज और विश्व की संरचना ऐसी है कि हम सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं। यदि हम इस सच्चाई को शीघ्र समझ लें, तो हम अधिक समृद्ध, शांतिपूर्ण और संगठित समाज की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।
परस्पर निर्भरता का महत्व:
निष्कर्ष:
परस्पर निर्भरता को जितनी जल्दी हम स्वीकार करेंगे, उतनी ही जल्दी हम एक सशक्त और समृद्ध वैश्विक समुदाय का निर्माण कर सकते हैं।
See lessजीवन में नैतिक आचरण के सन्दर्भ में आपको किस विख्यात व्यक्तित्व ने सर्वाधिक प्रेरणा दी है? उसकी शिक्षाओं का सार प्रस्तुत कीजिए। विशिष्ट उदाहरण देते हुए वर्णन कीजिए कि आप अपने नैतिक विकास के लिए उन शिक्षाओं को किस प्रकार लागू कर पाए हैं।(150 words) [UPSC 2014]
प्रेरणादायक व्यक्तित्व: मदन मोहन मालवीय शिक्षाओं का सार: मदन मोहन मालवीय, नैतिक आचरण के प्रेरणास्रोत, सत्य, अहिंसा, और सेवाभाव जैसे मौलिक सिद्धांतों पर बल दिया। उनकी शिक्षाएं 'सर्वोदय' - सभी का कल्याण, और 'सत्याग्रह' - सत्य की शक्ति और 'अहिंसा' - हिंसा रहितता को सामाजिक परिवर्तन के उपकरण के रूप मेंRead more
प्रेरणादायक व्यक्तित्व: मदन मोहन मालवीय
शिक्षाओं का सार: मदन मोहन मालवीय, नैतिक आचरण के प्रेरणास्रोत, सत्य, अहिंसा, और सेवाभाव जैसे मौलिक सिद्धांतों पर बल दिया। उनकी शिक्षाएं ‘सर्वोदय’ – सभी का कल्याण, और ‘सत्याग्रह’ – सत्य की शक्ति और ‘अहिंसा’ – हिंसा रहितता को सामाजिक परिवर्तन के उपकरण के रूप में स्थापित करती हैं।
नैतिक विकास में लागू करना:
1. सत्यवाद: मैंने सभी क्षेत्रों में ईमानदारी को अपनाया है, मुश्किल परिस्थितियों में भी, जैसे गांधी ने ब्रिटिश अत्याचार के खिलाफ नमक सत्याग्रह के दौरान अपना संकल्प दिखाया।
2. अहिंसा: शांतिपूर्ण तरीके से विवादों का समाधान करना, गांधी के अन्याय के खिलाफ आंदोलन में हिंसा का सहारा न लेते हुए, जैसे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका।
3. सेवाभाव: समुदाय सेवा के लिए स्वयं स्वेच्छा से योगदान देना और समुदाय के कल्याण को प्राथमिकता देना, जैसे गांधी का समाज के उत्थान के लिए समर्पित जीवन।
निष्कर्ष: मालवीय के नैतिक सिद्धांत मेरे नैतिक विकास की दिशा दिखाते हैं, जिससे मेरा नैतिक विकास एक अधिक धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदार जीवन की ओर बढ़ता है।
See lessआचरण की शुद्धि के लिये बुद्ध द्वारा बताए गए अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या कीजिये । (200 Words) [UPPSC 2022]
आचरण की शुद्धि के लिए बुद्ध द्वारा बताए गए अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या 1. सही समझ (सम्मा-दिट्ठि): परिभाषा: वास्तविकता और चार आर्य सत्य को समझना। उदाहरण: बुद्ध के प्रवचन में चार आर्य सत्य का ज्ञान प्राप्त करना, जैसे कि जीवन में दुख का कारण और उसे समाप्त करने का मार्ग। 2. सही इरादा (सम्मा-संकप्पा): परRead more
आचरण की शुद्धि के लिए बुद्ध द्वारा बताए गए अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या
1. सही समझ (सम्मा-दिट्ठि):
2. सही इरादा (सम्मा-संकप्पा):
3. सही भाषण (सम्मा-वाचा):
4. सही क्रिया (सम्मा-कम्मन्ता):
5. सही जीविका (सम्मा-आजीवा):
6. सही प्रयास (सम्मा-वायामा):
7. सही सतर्कता (सम्मा-सति):
8. सही ध्यान (सम्मा-समाधि):
इन आठ तत्वों का अनुसरण करके व्यक्ति आचरण की शुद्धि और मानसिक स्पष्टता प्राप्त कर सकता है, जो अंततः आध्यात्मिक मुक्ति की ओर ले जाता है।
See lessनीतिशास्त्र केस स्टडी
a. “आपको क्या करने का अधिकार है और आपको क्या करना उचित है के बीच के अंतर को जानना नैतिकता है।” - पॉटर स्टीवर्ट पॉटर स्टीवर्ट के इस उद्धरण का अभिप्राय यह है कि नैतिकता केवल कानूनी अधिकारों के पालन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें यह समझना भी शामिल है कि किसी कार्रवाई का नैतिक पहलू क्या है। नैतिकता वह हैRead more
a. “आपको क्या करने का अधिकार है और आपको क्या करना उचित है के बीच के अंतर को जानना नैतिकता है।” – पॉटर स्टीवर्ट
पॉटर स्टीवर्ट के इस उद्धरण का अभिप्राय यह है कि नैतिकता केवल कानूनी अधिकारों के पालन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें यह समझना भी शामिल है कि किसी कार्रवाई का नैतिक पहलू क्या है। नैतिकता वह है जो सही और गलत के बीच का फर्क समझती है, न कि सिर्फ कानूनी सीमा के भीतर रहना। उदाहरण के लिए, किसी कंपनी के लिए यह कानूनी हो सकता है कि वह टैक्स छूट का लाभ उठाए, लेकिन नैतिक दृष्टिकोण से यह समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बचने जैसा हो सकता है। हालिया उदाहरण: फेसबुक और व्हाट्सएप द्वारा उपयोगकर्ता डेटा का दुरुपयोग, जो कानूनी रूप से सही हो सकता है लेकिन नैतिक रूप से विवादास्पद है।
b. “अगर किसी देश को भ्रष्टाचारमुक्त होना है और खूबसूरत दिमागों का देश बनना है, तो मैं दृढ़ता से मानता हूँ कि तीन प्रमुख सामाजिक सदस्य हैं, जो बदलाव ला सकते हैं। वे हैं पिता, माता और शिक्षक।” – ए० पी० जे० अब्दुल कलाम
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का यह उद्धरण पारिवारिक और शैक्षिक प्रभाव की महत्वता को दर्शाता है। पिता, माता और शिक्षक बच्चे के नैतिक और मूल्यात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पिता और माता घर में सच्चाई और ईमानदारी के मूल्यों को सिखाते हैं, जबकि शिक्षक स्कूल में आचार-व्यवहार और सामाजिक जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हालिया उदाहरण: मॉरल साइंस और वैल्यू एजुकेशन पाठ्यक्रमों का लक्ष्य बच्चों में नैतिक मूल्य विकसित करना है, जिससे भविष्य में भ्रष्टाचार की संभावना कम हो।
c. “आपकी सफलता का आकलन इस बात से हो कि इसे पाने के लिए आपको क्या छोड़ना पड़ा।” – दलाई लामा
दलाई लामा का यह उद्धरण सच्ची सफलता का मूल्यांकन संगर्ष और बलिदान के आधार पर करने की सलाह देता है। इसमें केवल प्राप्त उपलब्धियाँ ही नहीं, बल्कि सफलता के लिए की गई बलिदानों को भी महत्व देना चाहिए। सच्ची सफलता वह है जो नैतिकता और मूल्यों से समझौता किए बिना प्राप्त की जाती है। हालिया उदाहरण: स्वतंत्रता सेनानी जैसे महात्मा गांधी, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं की बलि दी, उनके संघर्ष और बलिदान ने उनकी सच्ची सफलता को दर्शाया।
See less“मेरा दृढ़ विश्वास है कि यदि किसी राष्ट्र को भ्रष्टाचार मुक्त और सुंदर मनों वाला बनाना है, तो उसमें समाज के तीन प्रमुख लोग अंतर ला सकते हैं। वे हैं पिता, माता एवं शिक्षक ।" – ए.पी.जे. अब्दुल कलाम । विश्लेषण कीजिए । (150 words) [UPSC 2017]
भ्रष्टाचार-मुक्त समाज और प्रमुख समाजिक सदस्य ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने स्पष्ट किया कि एक भ्रष्टाचार-मुक्त और नैतिक समाज का निर्माण करने में पिता, माता, और शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन तीनों का प्रभाव बच्चों के मानसिक विकास और नैतिकता पर गहरा असर डालता है। पिता और माता: पारिवारिक मूल्यों औRead more
भ्रष्टाचार-मुक्त समाज और प्रमुख समाजिक सदस्य
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने स्पष्ट किया कि एक भ्रष्टाचार-मुक्त और नैतिक समाज का निर्माण करने में पिता, माता, और शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन तीनों का प्रभाव बच्चों के मानसिक विकास और नैतिकता पर गहरा असर डालता है।
पिता और माता:
पारिवारिक मूल्यों और नैतिकता की नींव घर से ही पड़ती है। मुकुल रोहतगी, भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल, ने अपने परिवार के सिद्धांतों को लेकर पारदर्शिता और ईमानदारी को अपनी व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी में लागू किया। परिवार के आचार-व्यवहार से बच्चे समाज में नैतिकता और जिम्मेदारी सीखते हैं।
शिक्षक:
शिक्षक बच्चों को ज्ञान और मूल्य सिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अशोक शर्मा, एक प्रमुख शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता, ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सामाजिक समावेशिता के सिद्धांतों पर जोर दिया, जिससे विद्यार्थियों में समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा हुआ।
इन प्रमुख समाजिक सदस्यों की भूमिका से बच्चों को सही मार्गदर्शन मिलता है, जो भविष्य में एक ईमानदार और नैतिक समाज की नींव रखता है।
See less"नियुक्ति के लिए व्यक्तियों की खोज करते समय आप तीन गुणों को खोजते हैं: सत्य-निष्ठा, बुद्धिमत्ता और ऊर्जा । यदि उनमें पहला गुण नहीं है, तो अन्य दो गुण आपको समाप्त कर देंगे।" – वॉरेन बफेट
वॉरेन बफेट का बयान: विश्लेषण बयान का अर्थ सत्य-निष्ठा (Integrity): वॉरेन बफेट के अनुसार, सत्य-निष्ठा सबसे महत्वपूर्ण गुण है। अगर किसी व्यक्ति में यह गुण नहीं है, तो उसके पास अन्य गुण जैसे बुद्धिमत्ता और ऊर्जा होने पर भी वह संगठन को हानि पहुँचा सकता है। सत्य-निष्ठा सुनिश्चित करती है कि व्यक्तिRead more
वॉरेन बफेट का बयान: विश्लेषण
बयान का अर्थ
सत्य-निष्ठा (Integrity): वॉरेन बफेट के अनुसार, सत्य-निष्ठा सबसे महत्वपूर्ण गुण है। अगर किसी व्यक्ति में यह गुण नहीं है, तो उसके पास अन्य गुण जैसे बुद्धिमत्ता और ऊर्जा होने पर भी वह संगठन को हानि पहुँचा सकता है। सत्य-निष्ठा सुनिश्चित करती है कि व्यक्ति नैतिक सिद्धांतों का पालन करे, ईमानदार हो, और संगठन के सर्वोत्तम हित में कार्य करे।
बुद्धिमत्ता और ऊर्जा (Intelligence and Energy): बुद्धिमत्ता और ऊर्जा महत्वपूर्ण हैं, लेकिन यदि ये गुण सत्य-निष्ठा के बिना हों, तो व्यक्ति अपनी क्षमताओं का दुरुपयोग कर सकता है। इससे संगठन को गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य
सत्य-निष्ठा की कमी का उदाहरण: वेल्स फार्गो (Wells Fargo) की नकली खाते बनाने की घोटाला ने दिखाया कि कैसे सत्य-निष्ठा की कमी के कारण बुद्धिमत्ता और ऊर्जा के बावजूद संस्थान को गंभीर नुक्सान हुआ।
सत्य-निष्ठा का महत्व का उदाहरण: सत्य नडेला की माइक्रोसॉफ्ट में नेतृत्व ने उनकी ईमानदारी और नैतिकता की वजह से कंपनी को सकारात्मक दिशा दी, जिससे कंपनी की सफलता और सार्वजनिक विश्वास मजबूत हुआ।
निष्कर्ष: आज के जटिल और प्रतिस्पर्धात्मक व्यवसायिक परिदृश्य में, सत्य-निष्ठा की महत्वपूर्णता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह गुण किसी भी संगठन के दीर्घकालिक सफलता के लिए आवश्यक है।
See lessशिक्षा एक निषेधाज्ञा नहीं है, यह व्यक्ति के समग्र विकास और सामाजिक बदलाव के लिए एक प्रभावी और व्यापक साधन है।" उपरोक्त कथन के आलोक में नई शिक्षा नीति, 2020 (एन.इ.पी., 2020) का परीक्षण कीजिए । (150 words) [UPSC 2020]
शिक्षा: समग्र विकास और सामाजिक बदलाव का साधन परिचय "शिक्षा एक निषेधाज्ञा नहीं है, बल्कि व्यक्ति और समाज के विकास के लिए एक प्रभावी और व्यापक साधन है" - यह अवधारणा नई शिक्षा नीति, 2020 (एन.ई.पी. 2020) के प्रावधानों से स्पष्ट होती है। यह नीति भारतीय शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का प्रयास कRead more
शिक्षा: समग्र विकास और सामाजिक बदलाव का साधन
परिचय
“शिक्षा एक निषेधाज्ञा नहीं है, बल्कि व्यक्ति और समाज के विकास के लिए एक प्रभावी और व्यापक साधन है” – यह अवधारणा नई शिक्षा नीति, 2020 (एन.ई.पी. 2020) के प्रावधानों से स्पष्ट होती है। यह नीति भारतीय शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का प्रयास करती है।
समग्र विकास
एन.ई.पी. 2020 विविधतापूर्ण शिक्षा पर जोर देती है, जैसे कि मल्टी-डिसिप्लिनरी अप्रोच और वैकल्पिक पाठ्यक्रम। इससे छात्रों को व्यापक ज्ञान और कौशल प्राप्त होता है, जो उनके व्यक्तिगत विकास में सहायक होता है। अनौपचारिक शिक्षा और वोकेशनल ट्रेनिंग को भी प्राथमिकता दी गई है, जिससे छात्रों की समग्र क्षमता निखरती है।
सामाजिक बदलाव
नीति के तहत समावेशी शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है, जैसे कि नीति और योजनाओं में अनुसूचित जाति/जनजाति छात्रों के लिए विशेष प्रावधान। अक्षमता और अल्पसंख्यक समूहों को ध्यान में रखते हुए कई पहल की गई हैं, जिससे सामाजिक समानता और उन्नति को बल मिलता है।
उदाहरण
हाल ही में ‘स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ और ‘नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम’ की स्थापना ने शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये पहल शिक्षा को समाज के हर वर्ग तक पहुँचाने का प्रयास करती हैं, जिससे शिक्षा एक सशक्त बदलाव का माध्यम बनती है।
निष्कर्ष
एन.ई.पी. 2020 शिक्षा को न केवल एक निषेधाज्ञा के रूप में बल्कि एक प्रभावी और व्यापक साधन के रूप में प्रस्तुत करती है, जो व्यक्ति और समाज के समग्र विकास और बदलाव में सहायक है।
See lessगुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थी ? समकालीन दुनिया में उनकी प्रासंगिकता की व्याख्या कीजिए । (150 words)[UPSC 2023]
गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएँ ईश्वर की एकता: गुरु नानक ने एक निराकार और सर्वव्यापी ईश्वर की उपासना की बात की, जो सभी का सृजनहार और पालनहार है। समानता और सामाजिक न्याय: उन्होंने जाति, धर्म, और लिंग भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और सभी मानवों की समानता का समर्थन किया। निःस्वार्थ सेवा (सेवा): गुरु नानक ने नRead more
गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएँ
समकालीन प्रासंगिकता
गुरु नानक की शिक्षाएँ आज भी समाज में समानता, सेवा, और ईमानदारी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
See lessभारतीय गणराज्य ने सारनाथ स्थित सम्राट अशोक के सिंह शीर्ष को अपने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में चुना, ताकि वैसी ही सद्भावना को प्रतिबिंबित किया जा सके जैसी सम्राट अशोक द्वारा हासिल की गई थी और आधुनिक भारतीय राष्ट्र के लोगों के लिए उनके द्वारा लागू की गई मानवीय नीतियों की निरंतरता बनी रहे। इस पृष्ठभूमि में, उन नैतिक शिक्षाओं पर चर्चा कीजिए जो सम्राट अशोक के जीवन में प्रतिलक्षित होती हैं। (150 शब्दों में उत्तर दें)
सम्राट अशोक के जीवन में प्रतिलक्षित नैतिक शिक्षाएँ उनके शासन की मानवता और शांति की दिशा को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं। 1. अहिंसा और शांति: अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद अहिंसा की नीति अपनाई, जो युद्ध और हिंसा के स्थान पर शांति और सहिष्णुता को प्रोत्साहित करती थी। उन्होंने अहिंसा के सिद्धांत को अपने शासनRead more
सम्राट अशोक के जीवन में प्रतिलक्षित नैतिक शिक्षाएँ उनके शासन की मानवता और शांति की दिशा को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।
1. अहिंसा और शांति: अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद अहिंसा की नीति अपनाई, जो युद्ध और हिंसा के स्थान पर शांति और सहिष्णुता को प्रोत्साहित करती थी। उन्होंने अहिंसा के सिद्धांत को अपने शासन की आधारशिला बनाया।
2. सामाजिक कल्याण: अशोक ने अस्पताल, सड़कें और जलाशय बनवाए, और गरीबों तथा बीमारों की देखभाल के लिए पहल की।
3. धार्मिक सहिष्णुता: उन्होंने विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के प्रति सम्मान और सहिष्णुता को बढ़ावा दिया, जिससे विविधता में एकता का संदेश फैलाया।
4. नैतिक शासन: अशोक के शिलालेखों में न्याय, सत्य, और दया की बातें थीं, जो उनके शासन के नैतिक और मानवतावादी दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।
इन शिक्षाओं के माध्यम से अशोक ने एक उदार और न्यायपूर्ण शासन की नींव रखी, जो आज भी भारतीय राष्ट्र के मूल्यों में प्रतिबिंबित होती है।
See lessमहात्मा गाँधी के मत के अनुसार वे कौन-से आवश्यक सद्गुण हैं जो एक आदर्श मानवीय नैतिक व्यवहार हेतु उत्तरदायी होते हैं? विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
महात्मा गांधी के अनुसार आदर्श मानवीय नैतिक व्यवहार के आवश्यक सद्गुण 1. सत्य (Satya): गांधीजी ने सत्य को नैतिकता का आधार मानते हुए सत्यवादिता और ईमानदारी को महत्वपूर्ण बताया। उदाहरण: उनके सत्याग्रह आंदोलन में सत्य की शक्ति का उपयोग सामाजिक न्याय के लिए किया गया। 2. अहिंसा (Ahimsa): अहिंसा, अर्थात् हिRead more
महात्मा गांधी के अनुसार आदर्श मानवीय नैतिक व्यवहार के आवश्यक सद्गुण
1. सत्य (Satya): गांधीजी ने सत्य को नैतिकता का आधार मानते हुए सत्यवादिता और ईमानदारी को महत्वपूर्ण बताया। उदाहरण: उनके सत्याग्रह आंदोलन में सत्य की शक्ति का उपयोग सामाजिक न्याय के लिए किया गया।
2. अहिंसा (Ahimsa): अहिंसा, अर्थात् हिंसा से परहेज, गांधीजी के नैतिक सिद्धांतों का केंद्रीय हिस्सा था। उदाहरण: भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में अहिंसात्मक प्रतिरोध ने व्यापक समर्थन प्राप्त किया।
3. आत्म-निर्भरता (Swaraj): गांधीजी ने व्यक्तिगत आत्म-निर्भरता और स्वावलंबन को नैतिक उत्कृष्टता के तत्व के रूप में देखा। उदाहरण: खादी आंदोलन के माध्यम से स्वदेशी वस्त्रों का प्रचार किया।
4. करुणा (Karuna): दूसरों के प्रति दया और सहानुभूति रखना भी गांधीजी के सिद्धांतों में शामिल था। उदाहरण: उन्होंने अछूतों के उत्थान के लिए विशेष प्रयास किए।
निष्कर्ष: महात्मा गांधी के अनुसार, सत्य, अहिंसा, आत्म-निर्भरता, और करुणा ये सद्गुण आदर्श मानवीय नैतिक व्यवहार के लिए अनिवार्य हैं।
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