भारतीय गणराज्य ने सारनाथ स्थित सम्राट अशोक के सिंह शीर्ष को अपने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में चुना, ताकि वैसी ही सद्भावना को प्रतिबिंबित किया जा सके जैसी सम्राट अशोक द्वारा हासिल की गई थी और आधुनिक भारतीय राष्ट्र के ...
गुरु नानक देव की शिक्षाएं आज के युवाओं के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं: समानता और भाईचारा: गुरु नानक ने जाति, धर्म, और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने समानता और मानवता के सिद्धांत को बढ़ावा दिया, जो आज के समाज में भी विविधता और सामंजस्य को प्रोत्साहित करता है। ईमानदारी और मेहनत: गुरु नानक नेRead more
गुरु नानक देव की शिक्षाएं आज के युवाओं के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं:
समानता और भाईचारा: गुरु नानक ने जाति, धर्म, और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने समानता और मानवता के सिद्धांत को बढ़ावा दिया, जो आज के समाज में भी विविधता और सामंजस्य को प्रोत्साहित करता है।
ईमानदारी और मेहनत: गुरु नानक ने सच्चे प्रयास और ईमानदारी की महत्ता को रेखांकित किया। उनका संदेश युवाओं को प्रेरित करता है कि मेहनत और ईमानदारी से ही सफलता प्राप्त होती है।
सर्वधर्म समभाव: उन्होंने सभी धर्मों और पंथों के प्रति सम्मान की बात की। यह सिखाता है कि विविधता को अपनाना और एकता बनाए रखना आवश्यक है।
सेवा और दया: गुरु नानक ने मानवता की सेवा और दया की प्रेरणा दी। युवाओं को सामाजिक जिम्मेदारी और दूसरों की मदद करने का संदेश मिलता है।
ये शिक्षाएं आज के युवाओं को एक नैतिक और सशक्त जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं।
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सम्राट अशोक के जीवन में प्रतिलक्षित नैतिक शिक्षाएँ उनके शासन की मानवता और शांति की दिशा को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं। 1. अहिंसा और शांति: अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद अहिंसा की नीति अपनाई, जो युद्ध और हिंसा के स्थान पर शांति और सहिष्णुता को प्रोत्साहित करती थी। उन्होंने अहिंसा के सिद्धांत को अपने शासनRead more
सम्राट अशोक के जीवन में प्रतिलक्षित नैतिक शिक्षाएँ उनके शासन की मानवता और शांति की दिशा को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।
1. अहिंसा और शांति: अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद अहिंसा की नीति अपनाई, जो युद्ध और हिंसा के स्थान पर शांति और सहिष्णुता को प्रोत्साहित करती थी। उन्होंने अहिंसा के सिद्धांत को अपने शासन की आधारशिला बनाया।
2. सामाजिक कल्याण: अशोक ने अस्पताल, सड़कें और जलाशय बनवाए, और गरीबों तथा बीमारों की देखभाल के लिए पहल की।
3. धार्मिक सहिष्णुता: उन्होंने विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के प्रति सम्मान और सहिष्णुता को बढ़ावा दिया, जिससे विविधता में एकता का संदेश फैलाया।
4. नैतिक शासन: अशोक के शिलालेखों में न्याय, सत्य, और दया की बातें थीं, जो उनके शासन के नैतिक और मानवतावादी दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।
इन शिक्षाओं के माध्यम से अशोक ने एक उदार और न्यायपूर्ण शासन की नींव रखी, जो आज भी भारतीय राष्ट्र के मूल्यों में प्रतिबिंबित होती है।
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