आचरण की शुद्धि के लिये बुद्ध द्वारा बताए गए अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या कीजिये । (200 Words) [UPPSC 2022]
सहिष्णुता और करुणा के मूल्य लोक सेवा में 1. सहिष्णुता: सहिष्णुता लोक सेवा में विविध दृष्टिकोणों और सांस्कृतिक भिन्नताओं का सम्मान करने की क्षमता है। यह सुनिश्चित करता है कि नीतियाँ और सेवाएँ समावेशी और समान हों। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने विभिन्न भाषाओं और सीखने की आवश्यकताओंRead more
सहिष्णुता और करुणा के मूल्य लोक सेवा में
1. सहिष्णुता: सहिष्णुता लोक सेवा में विविध दृष्टिकोणों और सांस्कृतिक भिन्नताओं का सम्मान करने की क्षमता है। यह सुनिश्चित करता है कि नीतियाँ और सेवाएँ समावेशी और समान हों। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने विभिन्न भाषाओं और सीखने की आवश्यकताओं के अनुसार समावेशी शिक्षा को बढ़ावा दिया, जो समाज में सहिष्णुता की दिशा में एक कदम है।
2. करुणा: करुणा का तात्पर्य है समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता और सहानुभूति। यह सार्वजनिक सेवकों को ऐसे नीतियाँ और योजनाएँ तैयार करने के लिए प्रेरित करती है जो कमजोर वर्गों के जीवन को सुधार सकें। प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए सस्ते आवास की सुविधा प्रदान की, जो करुणा का एक उदाहरण है।
निष्कर्ष: लोक सेवा में सहिष्णुता और करुणा महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये समानता और समर्थन सुनिश्चित करती हैं, विशेष रूप से कमजोर वर्गों के लिए।
See less
आचरण की शुद्धि के लिए बुद्ध द्वारा बताए गए अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या 1. सही समझ (सम्मा-दिट्ठि): परिभाषा: वास्तविकता और चार आर्य सत्य को समझना। उदाहरण: बुद्ध के प्रवचन में चार आर्य सत्य का ज्ञान प्राप्त करना, जैसे कि जीवन में दुख का कारण और उसे समाप्त करने का मार्ग। 2. सही इरादा (सम्मा-संकप्पा): परRead more
आचरण की शुद्धि के लिए बुद्ध द्वारा बताए गए अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या
1. सही समझ (सम्मा-दिट्ठि):
2. सही इरादा (सम्मा-संकप्पा):
3. सही भाषण (सम्मा-वाचा):
4. सही क्रिया (सम्मा-कम्मन्ता):
5. सही जीविका (सम्मा-आजीवा):
6. सही प्रयास (सम्मा-वायामा):
7. सही सतर्कता (सम्मा-सति):
8. सही ध्यान (सम्मा-समाधि):
इन आठ तत्वों का अनुसरण करके व्यक्ति आचरण की शुद्धि और मानसिक स्पष्टता प्राप्त कर सकता है, जो अंततः आध्यात्मिक मुक्ति की ओर ले जाता है।
See less