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करुणा की आधारभूत आवश्यकताएँ क्या हैं? लोक सेवा में कमज़ोर वर्ग के प्रति करुणा की क्या आवश्यकता है ? (200 Words) [UPPSC 2022]
करुणा की आधारभूत आवश्यकताएँ 1. सहानुभूति (Empathy): करुणा की पहली आवश्यकता दूसरों की भावनाओं और परिस्थितियों को समझने की है। सहानुभूति के बिना करुणा असंभव है। उदाहरण के लिए, कोविड-19 महामारी के दौरान, स्वास्थ्यकर्मियों ने मरीजों के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए उनकी देखभाल की। 2. सक्रिय सुनना (Active LRead more
करुणा की आधारभूत आवश्यकताएँ
1. सहानुभूति (Empathy):
2. सक्रिय सुनना (Active Listening):
3. सहायक कार्य (Supportive Actions):
लोक सेवा में कमज़ोर वर्ग के प्रति करुणा की आवश्यकता
1. समावेशी सेवा वितरण (Equitable Service Delivery):
2. विश्वास निर्माण (Building Trust):
3. असमानता घटाना (Reducing Inequality):
4. नीति प्रभावी कार्यान्वयन (Effective Policy Implementation):
नीतिशास्त्र केस स्टडी
a. “आपको क्या करने का अधिकार है और आपको क्या करना उचित है के बीच के अंतर को जानना नैतिकता है।” - पॉटर स्टीवर्ट पॉटर स्टीवर्ट के इस उद्धरण का अभिप्राय यह है कि नैतिकता केवल कानूनी अधिकारों के पालन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें यह समझना भी शामिल है कि किसी कार्रवाई का नैतिक पहलू क्या है। नैतिकता वह हैRead more
a. “आपको क्या करने का अधिकार है और आपको क्या करना उचित है के बीच के अंतर को जानना नैतिकता है।” – पॉटर स्टीवर्ट
पॉटर स्टीवर्ट के इस उद्धरण का अभिप्राय यह है कि नैतिकता केवल कानूनी अधिकारों के पालन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें यह समझना भी शामिल है कि किसी कार्रवाई का नैतिक पहलू क्या है। नैतिकता वह है जो सही और गलत के बीच का फर्क समझती है, न कि सिर्फ कानूनी सीमा के भीतर रहना। उदाहरण के लिए, किसी कंपनी के लिए यह कानूनी हो सकता है कि वह टैक्स छूट का लाभ उठाए, लेकिन नैतिक दृष्टिकोण से यह समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बचने जैसा हो सकता है। हालिया उदाहरण: फेसबुक और व्हाट्सएप द्वारा उपयोगकर्ता डेटा का दुरुपयोग, जो कानूनी रूप से सही हो सकता है लेकिन नैतिक रूप से विवादास्पद है।
b. “अगर किसी देश को भ्रष्टाचारमुक्त होना है और खूबसूरत दिमागों का देश बनना है, तो मैं दृढ़ता से मानता हूँ कि तीन प्रमुख सामाजिक सदस्य हैं, जो बदलाव ला सकते हैं। वे हैं पिता, माता और शिक्षक।” – ए० पी० जे० अब्दुल कलाम
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का यह उद्धरण पारिवारिक और शैक्षिक प्रभाव की महत्वता को दर्शाता है। पिता, माता और शिक्षक बच्चे के नैतिक और मूल्यात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पिता और माता घर में सच्चाई और ईमानदारी के मूल्यों को सिखाते हैं, जबकि शिक्षक स्कूल में आचार-व्यवहार और सामाजिक जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हालिया उदाहरण: मॉरल साइंस और वैल्यू एजुकेशन पाठ्यक्रमों का लक्ष्य बच्चों में नैतिक मूल्य विकसित करना है, जिससे भविष्य में भ्रष्टाचार की संभावना कम हो।
c. “आपकी सफलता का आकलन इस बात से हो कि इसे पाने के लिए आपको क्या छोड़ना पड़ा।” – दलाई लामा
दलाई लामा का यह उद्धरण सच्ची सफलता का मूल्यांकन संगर्ष और बलिदान के आधार पर करने की सलाह देता है। इसमें केवल प्राप्त उपलब्धियाँ ही नहीं, बल्कि सफलता के लिए की गई बलिदानों को भी महत्व देना चाहिए। सच्ची सफलता वह है जो नैतिकता और मूल्यों से समझौता किए बिना प्राप्त की जाती है। हालिया उदाहरण: स्वतंत्रता सेनानी जैसे महात्मा गांधी, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं की बलि दी, उनके संघर्ष और बलिदान ने उनकी सच्ची सफलता को दर्शाया।
See lessआज के शिक्षित भारतीयों में विद्यमान ऐसे अवांछनीय मूल्यों की विवेचना कीजिए ।
आज के शिक्षित भारतीयों में विद्यमान अवांछनीय मूल्य शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति के बावजूद, आज के शिक्षित भारतीय समाज में कुछ अवांछनीय मूल्य और विचारधाराएँ बनी हुई हैं। इन मूल्यों का समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और ये आधुनिक समाज की समता और समानता की अवधारणाओं के खिलाफ होते हैं। निम्नलिखित बिंदुRead more
आज के शिक्षित भारतीयों में विद्यमान अवांछनीय मूल्य
शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति के बावजूद, आज के शिक्षित भारतीय समाज में कुछ अवांछनीय मूल्य और विचारधाराएँ बनी हुई हैं। इन मूल्यों का समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और ये आधुनिक समाज की समता और समानता की अवधारणाओं के खिलाफ होते हैं। निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से इन अवांछनीय मूल्यों की विवेचना की जा रही है:
1. लिंग भेदभाव और पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण
प्रोफेशनल सेटिंग्स में लिंग भेदभाव: शिक्षा के बावजूद, कई शिक्षित भारतीय पेशेवर माहौल में लिंग भेदभाव का सामना करते हैं। हाल ही में, महिलाओं को समान अनुभव और योग्यता होने के बावजूद पदोन्नति और वेतन में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, कुछ कंपनियों में महिलाओं के नेतृत्व वाले पदों पर चयन की संख्या में कमी देखी गई है।
परिवारिक संदर्भ में पारंपरिक भूमिकाएँ: शिक्षित परिवारों में भी महिलाओं को पारंपरिक भूमिकाओं की अपेक्षाएँ की जाती हैं, जैसे घर की जिम्मेदारियाँ निभाना। यह धारणा कई बार महिलाओं के करियर विकास में बाधा बनती है, जैसे हाल ही के मीडिया रिपोर्ट्स में इस तरह की घटनाओं का उल्लेख किया गया है।
2. जाति आधारित भेदभाव
सामाजिक संपर्कों में सूक्ष्म जातिवाद: जाति आधारित भेदभाव आज भी शिक्षित व्यक्तियों के बीच विद्यमान है, हालांकि यह खुलकर नहीं प्रकट होता। हाल ही में किए गए अध्ययनों में यह पाया गया है कि नौकरी के दौरान जाति आधारित नाम वाले उम्मीदवारों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
शादी के लिए जाति आधारित प्राथमिकताएँ: शिक्षित परिवारों में भी जाति आधारित विवाह की प्राथमिकताएँ कायम हैं। यह देखा गया है कि शादी के लिए जाति को एक महत्वपूर्ण मानदंड माना जाता है, जो सामाजिक और पारिवारिक विज्ञापन में स्पष्ट रूप से प्रकट होता है।
3. अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति पूर्वाग्रह
धार्मिक असहिष्णुता: शिक्षित व्यक्तियों में धार्मिक असहिष्णुता अब भी एक समस्या है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के विवादों ने यह दर्शाया है कि शिक्षित वर्ग में भी अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति पूर्वाग्रह विद्यमान हैं।
एलजीबीटीक्यू+ व्यक्तियों के प्रति भेदभाव: शिक्षित वर्ग में भी एलजीबीटीक्यू+ व्यक्तियों के प्रति रूढ़िवादी दृष्टिकोण जारी है। हाल ही में, समाज और कानूनी चुनौतियों का सामना करने वाले एलजीबीटीक्यू+ व्यक्तियों की समस्याओं ने इस पूर्वाग्रह को उजागर किया है।
4. भौतिकवाद और उपभोक्तावाद
धन और स्थिति पर जोर: शिक्षित भारतीयों में भौतिक सफलता और स्थिति के प्रतीक पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है। यह भौतिकवाद सामाजिक स्तर पर भेदभाव और असमानता को बढ़ावा देता है। सोशल मीडिया पर लग्जरी जीवनशैली को दिखाना इस प्रवृत्ति को और मजबूत करता है।
उपभोक्तावाद और पर्यावरणीय प्रभाव: शिक्षित वर्ग में बढ़ते उपभोक्तावाद के कारण पर्यावरणीय समस्याएँ बढ़ रही हैं। हालांकि सततता के मुद्दों के प्रति जागरूकता है, फिर भी विलासिता की वस्तुओं और अत्यधिक उपभोग की प्रवृत्ति जारी है, जो पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ असंगत है।
निष्कर्ष
शिक्षा के बावजूद, भारतीय समाज में कई अवांछनीय मूल्य कायम हैं, जैसे लिंग भेदभाव, जातिवाद, धार्मिक असहिष्णुता और भौतिकवाद। इन समस्याओं का समाधान केवल शिक्षा के माध्यम से नहीं बल्कि सामाजिक सुधार, जागरूकता और सक्रिय प्रयासों से संभव है। इन मुद्दों पर विचार करना और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में काम करना महत्वपूर्ण है।
See less“मेरा दृढ़ विश्वास है कि यदि किसी राष्ट्र को भ्रष्टाचार मुक्त और सुंदर मनों वाला बनाना है, तो उसमें समाज के तीन प्रमुख लोग अंतर ला सकते हैं। वे हैं पिता, माता एवं शिक्षक ।" – ए.पी.जे. अब्दुल कलाम । विश्लेषण कीजिए । (150 words) [UPSC 2017]
भ्रष्टाचार-मुक्त समाज और प्रमुख समाजिक सदस्य ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने स्पष्ट किया कि एक भ्रष्टाचार-मुक्त और नैतिक समाज का निर्माण करने में पिता, माता, और शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन तीनों का प्रभाव बच्चों के मानसिक विकास और नैतिकता पर गहरा असर डालता है। पिता और माता: पारिवारिक मूल्यों औRead more
भ्रष्टाचार-मुक्त समाज और प्रमुख समाजिक सदस्य
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने स्पष्ट किया कि एक भ्रष्टाचार-मुक्त और नैतिक समाज का निर्माण करने में पिता, माता, और शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन तीनों का प्रभाव बच्चों के मानसिक विकास और नैतिकता पर गहरा असर डालता है।
पिता और माता:
पारिवारिक मूल्यों और नैतिकता की नींव घर से ही पड़ती है। मुकुल रोहतगी, भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल, ने अपने परिवार के सिद्धांतों को लेकर पारदर्शिता और ईमानदारी को अपनी व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी में लागू किया। परिवार के आचार-व्यवहार से बच्चे समाज में नैतिकता और जिम्मेदारी सीखते हैं।
शिक्षक:
शिक्षक बच्चों को ज्ञान और मूल्य सिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अशोक शर्मा, एक प्रमुख शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता, ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सामाजिक समावेशिता के सिद्धांतों पर जोर दिया, जिससे विद्यार्थियों में समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव पैदा हुआ।
इन प्रमुख समाजिक सदस्यों की भूमिका से बच्चों को सही मार्गदर्शन मिलता है, जो भविष्य में एक ईमानदार और नैतिक समाज की नींव रखता है।
See lessमनोवृत्ति परिवर्तन में विश्वासोत्पादक संचार के महत्त्व की व्याख्या कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
मनोवृत्ति परिवर्तन में विश्वासोत्पादक संचार का महत्त्व 1. विश्वासोत्पादक संचार: विश्वासोत्पादक संचार वह प्रक्रिया है जिसमें सच्चाई, स्पष्टता, और सहानुभूति के साथ विचार व्यक्त किए जाते हैं। इसका लक्ष्य संबंधित व्यक्तियों या समूहों को विश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करना है। 2. महत्त्व: विवेकपूरRead more
मनोवृत्ति परिवर्तन में विश्वासोत्पादक संचार का महत्त्व
1. विश्वासोत्पादक संचार: विश्वासोत्पादक संचार वह प्रक्रिया है जिसमें सच्चाई, स्पष्टता, और सहानुभूति के साथ विचार व्यक्त किए जाते हैं। इसका लक्ष्य संबंधित व्यक्तियों या समूहों को विश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करना है।
2. महत्त्व:
3. समाजिक बदलाव: विश्वासोत्पादक संचार सामाजिक व्यवहार और मानसिकता में बदलाव को बढ़ावा देता है, जिससे कि नए विचार और नीतियाँ स्वीकार की जाती हैं और अधिक प्रभावी होती हैं।
इस प्रकार, विश्वासोत्पादक संचार मानसिकता परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे कि लोगों को सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्मसात करने में सहायता मिलती है।
See lessनिम्नलिखित में विभेद कीजिये। a. सहिष्णुता और सहानुभूति b. अभिवृत्ति और अभिक्षमता (125 Words) [UPPSC 2020]
सहिष्णुता और सहानुभूति में विभेद 1. सहिष्णुता: सहिष्णुता का मतलब है दूसरों की भिन्नता को स्वीकार करना और सम्मान देना, भले ही व्यक्ति की अपनी राय अलग हो। उदाहरण के लिए, सुप्रीम कोर्ट द्वारा एलजीबीटीक्यू+ अधिकारों की स्वीकृति दर्शाती है कि समाज की विविधता को स्वीकारने में सहिष्णुता की भूमिका है। 2. सहRead more
सहिष्णुता और सहानुभूति में विभेद
1. सहिष्णुता: सहिष्णुता का मतलब है दूसरों की भिन्नता को स्वीकार करना और सम्मान देना, भले ही व्यक्ति की अपनी राय अलग हो। उदाहरण के लिए, सुप्रीम कोर्ट द्वारा एलजीबीटीक्यू+ अधिकारों की स्वीकृति दर्शाती है कि समाज की विविधता को स्वीकारने में सहिष्णुता की भूमिका है।
2. सहानुभूति: सहानुभूति का मतलब है दूसरों के दुःख और समस्याओं को समझना और उनकी मदद करने की इच्छा रखना। उदाहरण के लिए, कोविड-19 के दौरान स्वयंसेवी संगठनों और सरकारी अधिकारियों ने संक्रमित लोगों के इलाज और राहत कार्य में सहानुभूति दिखाई।
अभिवृत्ति और अभिक्षमता में विभेद
1. अभिवृत्ति: अभिवृत्ति एक व्यक्ति की मानसिकता या रवैया है। एक सकारात्मक अभिवृत्ति का उदाहरण आईएएस अधिकारियों की चुनौतियों के प्रति उत्साही दृष्टिकोण है।
2. अभिक्षमता: अभिक्षमता किसी विशेष क्षेत्र में प्राकृतिक क्षमता या कौशल है। उदाहरण के लिए, गणितीय अभिक्षमता वित्तीय योजना और डेटा विश्लेषण में महत्वपूर्ण होती है, जैसे कि यूपीएससी परीक्षा के अंक गणना में उम्मीदवारों की सफलता।
इन भेदों को समझना व्यक्तिगत और पेशेवर विकास में मदद करता है।
See less"नियुक्ति के लिए व्यक्तियों की खोज करते समय आप तीन गुणों को खोजते हैं: सत्य-निष्ठा, बुद्धिमत्ता और ऊर्जा । यदि उनमें पहला गुण नहीं है, तो अन्य दो गुण आपको समाप्त कर देंगे।" – वॉरेन बफेट
वॉरेन बफेट का बयान: विश्लेषण बयान का अर्थ सत्य-निष्ठा (Integrity): वॉरेन बफेट के अनुसार, सत्य-निष्ठा सबसे महत्वपूर्ण गुण है। अगर किसी व्यक्ति में यह गुण नहीं है, तो उसके पास अन्य गुण जैसे बुद्धिमत्ता और ऊर्जा होने पर भी वह संगठन को हानि पहुँचा सकता है। सत्य-निष्ठा सुनिश्चित करती है कि व्यक्तिRead more
वॉरेन बफेट का बयान: विश्लेषण
बयान का अर्थ
सत्य-निष्ठा (Integrity): वॉरेन बफेट के अनुसार, सत्य-निष्ठा सबसे महत्वपूर्ण गुण है। अगर किसी व्यक्ति में यह गुण नहीं है, तो उसके पास अन्य गुण जैसे बुद्धिमत्ता और ऊर्जा होने पर भी वह संगठन को हानि पहुँचा सकता है। सत्य-निष्ठा सुनिश्चित करती है कि व्यक्ति नैतिक सिद्धांतों का पालन करे, ईमानदार हो, और संगठन के सर्वोत्तम हित में कार्य करे।
बुद्धिमत्ता और ऊर्जा (Intelligence and Energy): बुद्धिमत्ता और ऊर्जा महत्वपूर्ण हैं, लेकिन यदि ये गुण सत्य-निष्ठा के बिना हों, तो व्यक्ति अपनी क्षमताओं का दुरुपयोग कर सकता है। इससे संगठन को गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य
सत्य-निष्ठा की कमी का उदाहरण: वेल्स फार्गो (Wells Fargo) की नकली खाते बनाने की घोटाला ने दिखाया कि कैसे सत्य-निष्ठा की कमी के कारण बुद्धिमत्ता और ऊर्जा के बावजूद संस्थान को गंभीर नुक्सान हुआ।
सत्य-निष्ठा का महत्व का उदाहरण: सत्य नडेला की माइक्रोसॉफ्ट में नेतृत्व ने उनकी ईमानदारी और नैतिकता की वजह से कंपनी को सकारात्मक दिशा दी, जिससे कंपनी की सफलता और सार्वजनिक विश्वास मजबूत हुआ।
निष्कर्ष: आज के जटिल और प्रतिस्पर्धात्मक व्यवसायिक परिदृश्य में, सत्य-निष्ठा की महत्वपूर्णता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह गुण किसी भी संगठन के दीर्घकालिक सफलता के लिए आवश्यक है।
See lessशिक्षा एक निषेधाज्ञा नहीं है, यह व्यक्ति के समग्र विकास और सामाजिक बदलाव के लिए एक प्रभावी और व्यापक साधन है।" उपरोक्त कथन के आलोक में नई शिक्षा नीति, 2020 (एन.इ.पी., 2020) का परीक्षण कीजिए । (150 words) [UPSC 2020]
शिक्षा: समग्र विकास और सामाजिक बदलाव का साधन परिचय "शिक्षा एक निषेधाज्ञा नहीं है, बल्कि व्यक्ति और समाज के विकास के लिए एक प्रभावी और व्यापक साधन है" - यह अवधारणा नई शिक्षा नीति, 2020 (एन.ई.पी. 2020) के प्रावधानों से स्पष्ट होती है। यह नीति भारतीय शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का प्रयास कRead more
शिक्षा: समग्र विकास और सामाजिक बदलाव का साधन
परिचय
“शिक्षा एक निषेधाज्ञा नहीं है, बल्कि व्यक्ति और समाज के विकास के लिए एक प्रभावी और व्यापक साधन है” – यह अवधारणा नई शिक्षा नीति, 2020 (एन.ई.पी. 2020) के प्रावधानों से स्पष्ट होती है। यह नीति भारतीय शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का प्रयास करती है।
समग्र विकास
एन.ई.पी. 2020 विविधतापूर्ण शिक्षा पर जोर देती है, जैसे कि मल्टी-डिसिप्लिनरी अप्रोच और वैकल्पिक पाठ्यक्रम। इससे छात्रों को व्यापक ज्ञान और कौशल प्राप्त होता है, जो उनके व्यक्तिगत विकास में सहायक होता है। अनौपचारिक शिक्षा और वोकेशनल ट्रेनिंग को भी प्राथमिकता दी गई है, जिससे छात्रों की समग्र क्षमता निखरती है।
सामाजिक बदलाव
नीति के तहत समावेशी शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है, जैसे कि नीति और योजनाओं में अनुसूचित जाति/जनजाति छात्रों के लिए विशेष प्रावधान। अक्षमता और अल्पसंख्यक समूहों को ध्यान में रखते हुए कई पहल की गई हैं, जिससे सामाजिक समानता और उन्नति को बल मिलता है।
उदाहरण
हाल ही में ‘स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ और ‘नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम’ की स्थापना ने शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये पहल शिक्षा को समाज के हर वर्ग तक पहुँचाने का प्रयास करती हैं, जिससे शिक्षा एक सशक्त बदलाव का माध्यम बनती है।
निष्कर्ष
एन.ई.पी. 2020 शिक्षा को न केवल एक निषेधाज्ञा के रूप में बल्कि एक प्रभावी और व्यापक साधन के रूप में प्रस्तुत करती है, जो व्यक्ति और समाज के समग्र विकास और बदलाव में सहायक है।
See less"सत्यनिष्ठा ऐसा मूल्य है, जो मनुष्य को सशक्त बनाता है।" उपयुक्त दृष्टांत सहित औचित्य सिद्ध कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
सत्यनिष्ठा और सशक्तिकरण परिचय सत्यनिष्ठा, जो ईमानदारी और नैतिकता पर आधारित है, मनुष्य को सशक्त बनाती है और समाज में विश्वास पैदा करती है। सशक्तिकरण के माध्यम 1. विश्वास और विश्वसनीयता: सत्यनिष्ठा से विश्वास पैदा होता है। महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन का उदाहरण लें। गांधीजी की सत्यनिष्ठा और अहिंसRead more
सत्यनिष्ठा और सशक्तिकरण
परिचय
सत्यनिष्ठा, जो ईमानदारी और नैतिकता पर आधारित है, मनुष्य को सशक्त बनाती है और समाज में विश्वास पैदा करती है।
सशक्तिकरण के माध्यम
1. विश्वास और विश्वसनीयता: सत्यनिष्ठा से विश्वास पैदा होता है। महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन का उदाहरण लें। गांधीजी की सत्यनिष्ठा और अहिंसा के प्रति प्रतिबद्धता ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया और लोगों को एकजुट किया, जिससे वे एक सशक्त और स्वतंत्र भारत की ओर बढ़े।
2. नैतिक नेतृत्व: ऐसे नेता जो सत्यनिष्ठ होते हैं, वे अधिक प्रभावशाली होते हैं। अरुण जेटली, पूर्व केंद्रीय मंत्री, ने अपने करियर में सच्चाई और नैतिकता को प्राथमिकता दी, जिसने उनके नेतृत्व को और अधिक प्रभावशाली और विश्वासनीय बना दिया।
3. समाज में आदर्श स्थापित करना: डॉ. ए. पी. जे. Abdul Kalam ने अपनी सच्चाई और ईमानदारी से युवाओं के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया, जिससे समाज में नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहन मिला।
निष्कर्ष
See lessसत्यनिष्ठा न केवल व्यक्तिगत सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में विश्वास और नैतिकता को भी बढ़ावा देती है, जिससे एक सशक्त और समृद्ध समाज की नींव रखी जाती है।
"बालक अपने चतुर्दिक जो देखता है, उससे मूल्यों को सीखता है" इस कथन के आलोक में मूल्यों के निर्माण में परिवार और समाज की भूमिका की विवेचना कीजिए । (125 Words) [UPPSC 2023]
परिवार और समाज की भूमिका में मूल्यों का निर्माण 1. परिवार का प्रभाव प्रारंभिक शिक्षा: परिवार बच्चे को प्रारंभिक मूल्यों और आचार-व्यवहार का पहला सबक सिखाता है। उदाहरण के लिए, अच्छे आदर्श और सच्चाई की शिक्षा से बच्चे में नैतिक गुण विकसित होते हैं, जैसा कि सिंधु स्वाति, एक प्रसिद्ध शिक्षिका, ने अपने बचRead more
परिवार और समाज की भूमिका में मूल्यों का निर्माण
1. परिवार का प्रभाव
2. समाज का प्रभाव
निष्कर्ष: परिवार और समाज दोनों मिलकर मूल्यों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो बच्चों के समाजिक और नैतिक विकास को दिशा प्रदान करते हैं।
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