सार्वभौम धर्म क्या हैं? इसके प्रमुख तत्त्वों की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2019]
परिचय: एरिक एरिक्सन का यह कथन जीवन में परस्पर निर्भरता के महत्व को दर्शाता है। मानव समाज और विश्व की संरचना ऐसी है कि हम सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं। यदि हम इस सच्चाई को शीघ्र समझ लें, तो हम अधिक समृद्ध, शांतिपूर्ण और संगठित समाज की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। परस्पर निर्भरता का महत्व: वैश्विक सहयोगRead more
परिचय:
एरिक एरिक्सन का यह कथन जीवन में परस्पर निर्भरता के महत्व को दर्शाता है। मानव समाज और विश्व की संरचना ऐसी है कि हम सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं। यदि हम इस सच्चाई को शीघ्र समझ लें, तो हम अधिक समृद्ध, शांतिपूर्ण और संगठित समाज की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।
परस्पर निर्भरता का महत्व:
- वैश्विक सहयोग के बिना आज के जटिल मुद्दों का समाधान असंभव है। उदाहरण के लिए, COVID-19 महामारी के दौरान देशों ने वैक्सीन और चिकित्सा आपूर्ति साझा की, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वैश्विक संकटों का समाधान परस्पर निर्भरता के माध्यम से ही संभव है।
- आर्थिक परस्पर निर्भरता भी स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है। 2023 में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में आई समस्याओं, जैसे चिप की कमी, ने उद्योगों को प्रभावित किया, जो यह दर्शाता है कि हमारी अर्थव्यवस्थाएँ कितनी जुड़ी हुई हैं।
- सांस्कृतिक और सामाजिक परस्पर निर्भरता भी समाजों को समृद्ध बनाती है। भारत की सॉफ्ट पावर, जैसे योग और आयुर्वेद का प्रसार, अन्य देशों में सांस्कृतिक समृद्धि का उदाहरण है।
निष्कर्ष:
परस्पर निर्भरता को जितनी जल्दी हम स्वीकार करेंगे, उतनी ही जल्दी हम एक सशक्त और समृद्ध वैश्विक समुदाय का निर्माण कर सकते हैं।
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सार्वभौम धर्म: अवधारणा और प्रमुख तत्त्व **1. सार्वभौम धर्म की अवधारणा: सार्वभौम धर्म का उद्देश्य सांस्कृतिक, जातीय, और भौगोलिक सीमाओं को पार कर एक साझा आध्यात्मिक समझ को बढ़ावा देना है। यह विभिन्न जातियों के बीच एकता को प्रोत्साहित करता है। **2. प्रमुख तत्त्व: सामान्य नैतिक सिद्धांत: दयालुता, न्याय,Read more
सार्वभौम धर्म: अवधारणा और प्रमुख तत्त्व
**1. सार्वभौम धर्म की अवधारणा: सार्वभौम धर्म का उद्देश्य सांस्कृतिक, जातीय, और भौगोलिक सीमाओं को पार कर एक साझा आध्यात्मिक समझ को बढ़ावा देना है। यह विभिन्न जातियों के बीच एकता को प्रोत्साहित करता है।
**2. प्रमुख तत्त्व:
निष्कर्ष: सार्वभौम धर्म भिन्नताओं को दूर करके एक एकीकृत आध्यात्मिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, सामान्य नैतिक मानदंड और समावेशिता पर केंद्रित होता है।
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