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"प्रभावी प्रशासन के लिये लोक सेवा के प्रति समर्पण आवश्यक होता है।" व्याख्या कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
प्रभावी प्रशासन और लोक सेवा के प्रति समर्पण 1. सेवा की प्रतिबद्धता: प्रभावी प्रशासन के लिए लोक सेवा के प्रति गहरी प्रतिबद्धता आवश्यक है। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली की COVID-19 प्रतिक्रिया में अधिकारियों की प्रतिबद्धता ने टीकों और संसाधनों के वितरण में दक्षता सुनिश्चित की, जिससे सार्वजनिक विश्वास और कलRead more
प्रभावी प्रशासन और लोक सेवा के प्रति समर्पण
1. सेवा की प्रतिबद्धता: प्रभावी प्रशासन के लिए लोक सेवा के प्रति गहरी प्रतिबद्धता आवश्यक है। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली की COVID-19 प्रतिक्रिया में अधिकारियों की प्रतिबद्धता ने टीकों और संसाधनों के वितरण में दक्षता सुनिश्चित की, जिससे सार्वजनिक विश्वास और कल्याण बढ़ा।
2. उत्तरदायित्व और पारदर्शिता: लोक सेवा के प्रति समर्पण में उच्च मानकों का पालन और पारदर्शिता शामिल है। प्रधानमंत्री जन धन योजना एक उदाहरण है, जहाँ प्रशासनिक समर्पण ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया और गरीबों के लिए बैंकों की सेवाओं को सुगम बनाया।
3. सक्रिय समस्या समाधान: प्रशासनिक अधिकारियों को सार्वजनिक मुद्दों का सक्रिय समाधान करना चाहिए। स्वच्छ भारत मिशन ने स्वच्छता और sanitation में समर्पण के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य और जीवन गुणवत्ता में सुधार किया।
4. नैतिक नेतृत्व: समर्पण में नैतिक आचरण और उदाहरण पेश करना शामिल है। उत्तर प्रदेश के भ्रष्टाचार विरोधी पहल ने दिखाया कि लोक सेवा के प्रति समर्पण भ्रष्टाचार को कम करने और शासन को बेहतर बनाने में सहायक होता है।
इस प्रकार, लोक सेवा के प्रति समर्पण प्रभावी प्रशासन के लिए आवश्यक है, जो बेहतर शासन और सार्वजनिक कल्याण को सुनिश्चित करता है।
See lessसंक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिये। a. लोक सेवक की नैतिक जिम्मेदारियाँ। b. लोकहित एवं सूचना का अधिकार। (125 Words) [UPPSC 2019]
a. लोक सेवक की नैतिक जिम्मेदारियाँ 1. ईमानदारी और सत्यनिष्ठा: लोक सेवकों को ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से काम करना चाहिए, जैसे कि सीवीसी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी। 2. उत्तरदायित्व: उनका उत्तरदायित्व जनता के प्रति होता है। सार्वजनिक लेखा परीक्षाएँ और सीएजी की रिपोर्ट्स उनकी जिम्मेदारी को सुनिश्चRead more
a. लोक सेवक की नैतिक जिम्मेदारियाँ
1. ईमानदारी और सत्यनिष्ठा: लोक सेवकों को ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से काम करना चाहिए, जैसे कि सीवीसी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी।
2. उत्तरदायित्व: उनका उत्तरदायित्व जनता के प्रति होता है। सार्वजनिक लेखा परीक्षाएँ और सीएजी की रिपोर्ट्स उनकी जिम्मेदारी को सुनिश्चित करती हैं।
3. निष्पक्षता: लोक सेवकों को निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए, जैसे कि आयकर विभाग में बिना भेदभाव के जांच।
b. लोकहित और सूचना का अधिकार
1. लोकहित: लोकहित का तात्पर्य ऐसी नीतियों से है जो समाज के व्यापक कल्याण को बढ़ावा देती हैं। उदाहरण स्वरूप, मौसम सेवा ऐप्स का उपयोग कृषि में किसानों की सहायता के लिए किया जाता है।
2. सूचना का अधिकार (RTI): RTI अधिनियम नागरिकों को सरकारी सूचनाओं तक पहुँच प्रदान करता है, जैसे कि COVID-19 टीकाकरण योजना की जानकारी की सार्वजनिक उपलब्धता।
निष्कर्ष: लोक सेवकों की नैतिक जिम्मेदारियाँ ईमानदारी और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करती हैं, जबकि लोकहित और RTI पारदर्शिता और सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देते हैं।
See lessलोक सेवको के अंदर सहनशीलता तथा करुणा को कैसे पोषित किया जा सकता है? अपना सुझाव दीजिए। (125 Words) [UPPSC 2021]
लोक सेवकों के अंदर सहनशीलता तथा करुणा को कैसे पोषित किया जा सकता है? 1. प्रशिक्षण कार्यक्रम: लोक सेवकों के लिए विविधता और समावेशिता पर प्रशिक्षण प्रदान करें। सांस्कृतिक संवेदनशीलता और सहमति समाधान कार्यशालाएँ उनकी समझ और सहनशीलता बढ़ा सकती हैं। 2. विभिन्न समुदायों के संपर्क में आना: फील्ड विज़िट्स औRead more
लोक सेवकों के अंदर सहनशीलता तथा करुणा को कैसे पोषित किया जा सकता है?
1. प्रशिक्षण कार्यक्रम: लोक सेवकों के लिए विविधता और समावेशिता पर प्रशिक्षण प्रदान करें। सांस्कृतिक संवेदनशीलता और सहमति समाधान कार्यशालाएँ उनकी समझ और सहनशीलता बढ़ा सकती हैं।
2. विभिन्न समुदायों के संपर्क में आना: फील्ड विज़िट्स और समुदाय सहभागिता कार्यक्रमों के माध्यम से विभिन्न समुदायों के साथ संबंध स्थापित करने के अवसर प्रदान करें। उदाहरण के लिए, ‘गाँव गोद लेने’ जैसे कार्यक्रम।
3. भावनात्मक बुद्धिमत्ता का विकास: भावनात्मक बुद्धिमत्ता प्रशिक्षण को शामिल करें ताकि लोक सेवक अपनी भावनाओं का प्रबंधन कर सकें और दूसरों के प्रति करुणामय हो सकें।
4. खुली संचार प्रथाएँ: ओपन डायलॉग्स और फीडबैक सेशंस का आयोजन करें, जहाँ लोक सेवक अनुभव साझा कर सकें।
5. करुणा का सम्मान: करुणामय व्यवहार को मान्यता और पुरस्कार देकर प्रोत्साहित करें।
निष्कर्ष: इन उपायों के माध्यम से लोक सेवकों के अंदर सहनशीलता और करुणा को प्रभावी ढंग से पोषित किया जा सकता है, जिससे प्रशासन अधिक संवेदनशील और प्रभावी बनेगा।
See lessआप ईमानदार तथा उत्तरदायी सिविल सेवक हैं। आप प्रायः निम्नलिखित को प्रक्षित करते हैं: a.एक सामान्य धारणा हैं कि नैतिक आचरण का पालन करने से स्वंय को भी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता हैं और परिवार के लिये भी समस्या पैदा हो सकती है, जबकि अनुचित आचरण जीविका लक्ष्यों तक पहुँचने में सहायक हो सकता हैं। b. जब अनुचित साधनों को अपनाने वालों की संख्या बढ़ी होती हैं, तो नैतिक साधन अपनाने वाले अल्पसंख्यक लोगों से कोई फर्क नहीं पड़ता। (125 Words) [UPPSC 2019]
ईमानदारी और नैतिक आचरण की चुनौतियाँ परिचय: ईमानदार सिविल सेवक के रूप में नैतिक आचरण के पालन से स्वंय और परिवार को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जबकि अनुचित आचरण करियर में लाभकारी प्रतीत हो सकता है। मुख्य बिंदु: नैतिक आचरण की चुनौतियाँ: नैतिक आचरण का पालन करने से व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याएँRead more
ईमानदारी और नैतिक आचरण की चुनौतियाँ
परिचय: ईमानदार सिविल सेवक के रूप में नैतिक आचरण के पालन से स्वंय और परिवार को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जबकि अनुचित आचरण करियर में लाभकारी प्रतीत हो सकता है।
मुख्य बिंदु:
निष्कर्ष: ईमानदारी और नैतिकता का पालन करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इसे बनाए रखना आवश्यक है। सार्वजनिक समर्थन और संस्थागत सुधार इसे सशक्त बना सकते हैं।
See lessहमें देश में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के बढ़ते हुए दृष्टान्त दिखाई दे रहे हैं। इस कुकृत्य के विरूद्ध विद्यमान विधिक उपबंधों के होते हुये भी ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही हैं। इस संकट से निपटने के लिये कुछ नवाचारी उपाय सुझाइये। (125 Words) [UPPSC 2019]
महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं का समाधान परिचय: यद्यपि भारत में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून मौजूद हैं, फिर भी घटनाओं में वृद्धि हो रही है। इस संकट से निपटने के लिए नवाचारी उपाय आवश्यक हैं। नवाचारी उपाय: स्मार्टफोन ऐप्स: "सुकन्या" और "माईसिक्योर" जैसे ऐप्स के माध्यम सेRead more
महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं का समाधान
परिचय: यद्यपि भारत में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून मौजूद हैं, फिर भी घटनाओं में वृद्धि हो रही है। इस संकट से निपटने के लिए नवाचारी उपाय आवश्यक हैं।
नवाचारी उपाय:
निष्कर्ष: इन नवाचारी उपायों को लागू करके, समाज में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न की घटनाओं को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है।
See lessहमें देश में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के बढ़ते हुए दृष्टांत दिखाई दे रहे हैं। इस कुकृत्य के विरुद्ध विद्यमान विधिक उपबन्धों के होते हुए भी, ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। इस संकट से निपटने के लिए कुछ नवाचारी उपाय सुझाइए।(150 words) [UPSC 2014]
महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न से निपटने के नवाचारी उपाय देश में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के बढ़ते दृष्टांतों को रोकने के लिए नवाचारी उपाय अपनाए जा सकते हैं: सर्विलांस और टेक्नोलॉजी का उपयोग: रीयल-टाइम मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। “निर्भया फंड” के तहत विकसिRead more
महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न से निपटने के नवाचारी उपाय
देश में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न के बढ़ते दृष्टांतों को रोकने के लिए नवाचारी उपाय अपनाए जा सकते हैं:
इन उपायों को अपनाकर हम महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न की घटनाओं को कम कर सकते हैं और उनके लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित कर सकते हैं।
See lessलोक-सेवा के सन्दर्भ में 'जवाबदेही' का क्या अर्थ है? लोक-सेवकों की व्यक्तिगत और सामूहिक जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं?(150 words) [UPSC 2014]
लोक-सेवा के संदर्भ में 'जवाबदेही' का अर्थ लोक-सेवा के संदर्भ में 'जवाबदेही' का अर्थ है कि लोक-सेवक अपनी कार्रवाईयों, निर्णयों, और संसाधनों के उपयोग के लिए जवाबदेह होते हैं। इसका तात्पर्य है कि वे पारदर्शिता, नैतिकता, और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखकर कार्य करें और अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके सेRead more
लोक-सेवा के संदर्भ में ‘जवाबदेही’ का अर्थ
लोक-सेवा के संदर्भ में ‘जवाबदेही’ का अर्थ है कि लोक-सेवक अपनी कार्रवाईयों, निर्णयों, और संसाधनों के उपयोग के लिए जवाबदेह होते हैं। इसका तात्पर्य है कि वे पारदर्शिता, नैतिकता, और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखकर कार्य करें और अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन करें।
व्यक्तिगत और सामूहिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के उपाय
इन उपायों को अपनाकर व्यक्तिगत और सामूहिक जवाबदेही को सुनिश्चित किया जा सकता है, जिससे लोक-सेवा की प्रभावशीलता और विश्वसनीयता बढ़ाई जा सके।
See lessलोक-सेवकों पर भारी नैतिक उत्तरदायित्व होता है, क्योंकि वे सत्ता के पदों पर आसीन होते हैं, लोक-निधियों की विशाल राशियों पर कार्रवाई करते हैं, और उनके निर्णयों का समाज और पर्यावरण पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। ऐसे उत्तरदायित्व को निभाने के लिए, अपनी नैतिक सक्षमता पुष्ट करने हेतु आपने क्या कदम उठाए हैं?(150 words) [UPSC 2014]
लोक-सेवकों का नैतिक उत्तरदायित्व लोक-सेवकों पर भारी नैतिक उत्तरदायित्व होता है क्योंकि वे समाज के लिए निर्णय लेते हैं जो व्यापक और दीर्घकालिक प्रभाव डालते हैं। वे लोक-निधियों का प्रबंधन करते हैं और सत्ता के पदों पर आसीन होते हैं, जिससे उनकी हर कार्रवाई का समाज और पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए,Read more
लोक-सेवकों का नैतिक उत्तरदायित्व
लोक-सेवकों पर भारी नैतिक उत्तरदायित्व होता है क्योंकि वे समाज के लिए निर्णय लेते हैं जो व्यापक और दीर्घकालिक प्रभाव डालते हैं। वे लोक-निधियों का प्रबंधन करते हैं और सत्ता के पदों पर आसीन होते हैं, जिससे उनकी हर कार्रवाई का समाज और पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए, नैतिक सक्षमता सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए।
नैतिक सक्षमता पुष्ट करने के लिए उठाए गए कदम
इन कदमों से लोक-सेवक अपने नैतिक उत्तरदायित्व को प्रभावी ढंग से निभा सकते हैं, जिससे समाज और पर्यावरण को लाभ होता है।
See lessलोक सेवकों के समक्ष 'हित संघर्ष (कन्फ्लिक्ट ऑफ इन्टरेस्ट) के मुद्दों का आ जाना संभव होता है। आप 'हित संघर्ष' पद से क्या समझते हैं और यह लोक सेवकों के द्वारा निर्णयन में किस प्रकार अभिव्यक्त होता है? यदि आपके सामने हित संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाय, तो आप उसका हल किस प्रकार निकालेंगे? उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिए। (150 words) [UPSC 2015]
हित संघर्ष (Conflict of Interest) और उसका समाधान हित संघर्ष की परिभाषा: हित संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब लोक सेवक के व्यक्तिगत हित—जैसे वित्तीय लाभ या व्यक्तिगत संबंध—उनके सार्वजनिक कर्तव्यों से टकराते हैं। इससे निर्णय लेने की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है और जनता के विश्वास को नुकसान पहुँच सकता हैRead more
हित संघर्ष (Conflict of Interest) और उसका समाधान
हित संघर्ष की परिभाषा:
हित संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब लोक सेवक के व्यक्तिगत हित—जैसे वित्तीय लाभ या व्यक्तिगत संबंध—उनके सार्वजनिक कर्तव्यों से टकराते हैं। इससे निर्णय लेने की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है और जनता के विश्वास को नुकसान पहुँच सकता है।
आम उदाहरण:
समाधान:
इन उपायों से लोक सेवकों की ईमानदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है।
See lessअन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर, अधिकांश राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय संबंध, अन्य राष्ट्रों के हितों का सम्मान किए बिना स्वयं के राष्ट्रीय हित की प्रोन्नति करने की नीति के द्वारा नियंत्रित होते हैं। इससे राष्ट्रों के बीच द्वंद्व और तनाव उत्पन्न होते हैं। ऐसे तनावों के समाधान में नैतिक विचार किस प्रकार सहायक हो सकते हैं? विशिष्ट उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिए। (150 words) [UPSC 2015]
नैतिक विचार और अंतर्राष्ट्रीय तनाव का समाधान 1. वैश्विक स्वास्थ्य संकट में सहयोग: कोविड-19 महामारी के दौरान, देशों ने वैक्सीन वितरण और स्वास्थ्य सहयोग में नैतिक दृष्टिकोण अपनाया। COVAX पहल, जिसमें उच्च आय वाले देश अपने संसाधनों को साझा कर रहे हैं, गरीब देशों को वैक्सीन प्रदान करने के लिए एक उदाहरण हRead more
नैतिक विचार और अंतर्राष्ट्रीय तनाव का समाधान
1. वैश्विक स्वास्थ्य संकट में सहयोग:
कोविड-19 महामारी के दौरान, देशों ने वैक्सीन वितरण और स्वास्थ्य सहयोग में नैतिक दृष्टिकोण अपनाया। COVAX पहल, जिसमें उच्च आय वाले देश अपने संसाधनों को साझा कर रहे हैं, गरीब देशों को वैक्सीन प्रदान करने के लिए एक उदाहरण है। इस नैतिक दृष्टिकोण से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ा और स्वास्थ्य संकट को सामूहिक प्रयास से हल करने की दिशा में कदम बढ़ाए गए।
2. पर्यावरणीय संरक्षण:
पैरिस समझौता ने देशों को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संयुक्त प्रयास करने के लिए प्रेरित किया। यह समझौता नैतिक जिम्मेदारी पर आधारित है, जिसमें सभी देशों ने मिलकर कार्बन उत्सर्जन कम करने का वादा किया, यह मानते हुए कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव वैश्विक है और इसका समाधान वैश्विक सहयोग से ही संभव है।
3. मानवाधिकार संरक्षण:
म्यांमार संकट में, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने रोहिंग्या मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा के लिए नैतिक दबाव बनाया। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने म्यांमार पर मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर दबाव डाला, जिससे कि एक अधिक न्यायपूर्ण और नैतिक समाधान की दिशा में प्रयास किए जा सकें।
इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि नैतिक विचार देशों को एक साझा हित की ओर प्रेरित कर सकते हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय तनाव और संघर्ष को कम किया जा सकता है।
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