न्यायपालिका सहित सार्वजनिक सेवा के हर क्षेत्र में निष्पादन, जवाबदेही और नैतिक आचरण सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र और सशक्त सामाजिक अंकेक्षण तंत्र परम आवश्यक है। सविस्तार समझाइए। (150 words) [UPSC 2021]
लोक सेवकों की लोकतंत्रीय और अधिकारीतंत्रीय अभिवृति में विभेद लोकतंत्रीय अभिवृति: जन भागीदारी: लोकतंत्रीय अभिवृति वाले लोक सेवक जनता के साथ सक्रिय सहभागिता को प्राथमिकता देते हैं, जैसे शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों में भागीदारी के माध्यम से। पारदर्शिता और उत्तरदायित्व: ये लोक सेवक पारदर्शिता और उत्Read more
लोक सेवकों की लोकतंत्रीय और अधिकारीतंत्रीय अभिवृति में विभेद
लोकतंत्रीय अभिवृति:
- जन भागीदारी: लोकतंत्रीय अभिवृति वाले लोक सेवक जनता के साथ सक्रिय सहभागिता को प्राथमिकता देते हैं, जैसे शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों में भागीदारी के माध्यम से।
- पारदर्शिता और उत्तरदायित्व: ये लोक सेवक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व पर जोर देते हैं, जैसे मूल्यांकन और निगरानी प्रणालियों के माध्यम से।
- लचीला दृष्टिकोण: जनता की फीडबैक के आधार पर लचीला और प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाते हैं।
अधिकारीतंत्रीय अभिवृति:
- संबंधित प्रक्रियाएँ: अधिकारीतंत्रीय अभिवृति वाले लोक सेवक कठोर नियम और प्रक्रियाओं का पालन करते हैं, जैसे पारंपरिक प्रशासनिक नियम और ब्यूक्रेटिक प्रक्रियाएँ।
- औपचारिकता: इनकी औपचारिकता और प्रणालीगत दृष्टिकोण अधिक होता है, जैसे विभागीय रिपोर्टिंग और लंबी प्रक्रियाएँ।
- ऊर्ध्वाधर निर्णय प्रक्रिया: ऊर्ध्वाधर और शीर्ष-डाउन निर्णय प्रक्रियाओं को अपनाते हैं, जैसे नियामक निर्णय केवल उच्च अधिकारियों द्वारा लिए जाते हैं।
हालिया उदाहरण: प्रधानमंत्री जन धन योजना और स्वच्छ भारत मिशन लोकतंत्रीय दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, जिसमें नागरिकों की भागीदारी और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया गया है।
निष्कर्ष: लोकतंत्रीय अभिवृति जन सहभागिता, पारदर्शिता, और लचीलेपन पर आधारित होती है, जबकि अधिकारीतंत्रीय अभिवृति औपचारिकता, प्रक्रियागत कठोरता, और ऊर्ध्वाधर निर्णय प्रक्रिया पर केंद्रित होती है।
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स्वतंत्र और सशक्त सामाजिक अंकेक्षण तंत्र की आवश्यकता 1. निष्पादन और जवाबदेही स्वतंत्र सामाजिक अंकेक्षण तंत्र नियंत्रण और पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है। उदाहरण स्वरूप, केरल के ग्रामीण विकास परियोजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण ने भ्रष्टाचार और अक्षमताओं को उजागर किया, जिससे सेवा वितरण में सुधार हुआ। 2. नRead more
स्वतंत्र और सशक्त सामाजिक अंकेक्षण तंत्र की आवश्यकता
1. निष्पादन और जवाबदेही
स्वतंत्र सामाजिक अंकेक्षण तंत्र नियंत्रण और पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है। उदाहरण स्वरूप, केरल के ग्रामीण विकास परियोजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण ने भ्रष्टाचार और अक्षमताओं को उजागर किया, जिससे सेवा वितरण में सुधार हुआ।
2. नैतिक आचरण
सामाजिक अंकेक्षण नैतिक मानदंडों के पालन को सुनिश्चित करता है। RTI (सूचना का अधिकार) कानून ने सरकारी कार्यों में पारदर्शिता बढ़ाई, जिससे अधिकारियों की नैतिक जिम्मेदारी बढ़ी।
3. न्यायपालिका में पारदर्शिता
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) का उद्देश्य न्यायालयों के प्रदर्शन की निगरानी और रिपोर्टिंग है, जिससे न्यायपालिका की जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
निष्कर्ष
See lessस्वतंत्र और सशक्त सामाजिक अंकेक्षण तंत्र सार्वजनिक सेवाओं में निष्पादन, जवाबदेही और नैतिक आचरण को बढ़ावा देता है। यह पारदर्शिता को बढ़ाता है, अक्षमताओं की पहचान करता है, और जनता का विश्वास निर्माण करता है।