प्रश्न का उत्तर अधिकतम 10 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 02 अंक का है। [MPPSC 2023] संतुलन सिद्धान्त किसने दिया था और यह सिद्धान्त क्या अध्ययन करता है?
अनुनयात्मक संचार में स्वतः शोध प्रक्रमण (Heuristic Processing in Persuasive Communication) स्वतः शोध प्रक्रमण या heuristic processing एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति त्वरित और आसान निर्णय लेने के लिए सरल नियमों या संकेतन का उपयोग करता है, बिना गहराई से विश्लेषण किए। अनुनयात्मक संचार में, यह प्Read more
अनुनयात्मक संचार में स्वतः शोध प्रक्रमण (Heuristic Processing in Persuasive Communication)
स्वतः शोध प्रक्रमण या heuristic processing एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति त्वरित और आसान निर्णय लेने के लिए सरल नियमों या संकेतन का उपयोग करता है, बिना गहराई से विश्लेषण किए। अनुनयात्मक संचार में, यह प्रक्रिया संदेशों की प्रभावशीलता को समझने और प्रतिक्रिया देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
1. स्वतः शोध प्रक्रमण की परिभाषा
- स्वतः शोध प्रक्रमण: यह एक प्रकार की संज्ञानात्मक प्रक्रिया है जहां व्यक्ति सूचनाओं को तेजी से और सरलता से प्रोसेस करता है, बिना जटिल विचारों और विश्लेषण के।
- संज्ञानात्मक शॉर्टकट्स: ये त्वरित निर्णय लेने के लिए उपयोग किए जाने वाले सरल नियम या संकेतन होते हैं।
स्वतः शोध प्रक्रमण और गहन विश्लेषण (systematic processing) के बीच अंतर है, जहां गहन विश्लेषण में सूचनाओं की विस्तार से जांच की जाती है।
- हाल का उदाहरण: 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में, राजनीतिक विज्ञापन अक्सर साधारण और प्रभावी संदेशों का उपयोग करते थे, जैसे कि “किसी पर भरोसा नहीं”। इस प्रकार के संदेश स्वायत्त खोज प्रक्रमण को प्रेरित करते हैं, जहां वोटर बिना गहराई से सोचें त्वरित निर्णय लेते हैं।
2. स्वतः शोध प्रक्रमण की तंत्रिकाएँ
स्वतः शोध प्रक्रमण में निम्नलिखित तंत्रिकाएँ शामिल होती हैं:
- प्रसिद्धि संकेतन (Familiarity Heuristic): परिचित या लोकप्रिय तत्वों पर भरोसा करना। उदाहरण के लिए, विज्ञापन में प्रसिद्ध हस्तियों का उपयोग।
- सामाजिक प्रमाण (Social Proof): दूसरों के व्यवहार का अनुसरण करना। उदाहरण के लिए, उपयोगकर्ता समीक्षाएँ और रेटिंग्स।
- हाल का उदाहरण: आयुष्मान भारत योजना के विज्ञापन में सरकारी योजनाओं को लोकप्रिय हस्तियों द्वारा प्रस्तुत करना एक प्रकार की प्रसिद्धि संकेतन है, जो जनता को योजनाओं की ओर आकर्षित करता है।
3. विज्ञापन और विपणन में स्वतः शोध प्रक्रमण
विज्ञापन और विपणन में, स्वतः शोध प्रक्रमण का उपयोग इस प्रकार किया जाता है:
- निर्णय लेने को सरल बनाना: विज्ञापन सरल और यादगार संदेशों का उपयोग करते हैं।
- ब्रांड याददाश्त बढ़ाना: ज्ञात लोगो, जिंगल्स, या साइनोड शब्दों का उपयोग।
- हाल का उदाहरण: “डॉ. पेप्पर” जैसे ब्रांड ने अपने विज्ञापनों में विशिष्ट जिंगल्स का उपयोग किया है जो स्वायत्त खोज प्रक्रमण को उत्तेजित करते हैं और उपभोक्ताओं के दिमाग में ब्रांड को स्थापित करते हैं।
4. जनमत और व्यवहार पर प्रभाव
स्वतः शोध प्रक्रमण जनमत और व्यवहार को इस प्रकार प्रभावित करता है:
- फैसलों को तेजी से आकार देना: यह आमतौर पर भावनात्मक और साधारण संदेशों पर आधारित होता है।
- भावनात्मक अपील: यह संदेशों को अधिक प्रभावशाली बनाता है और त्वरित प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करता है।
- हाल का उदाहरण: स्वास्थ्य संचार अभियानों में, जैसे कि कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रचार, सरल और भावनात्मक संदेशों का उपयोग किया गया है जैसे कि “टीका लगवाएं, सुरक्षित रहें”, जो लोगों को जल्दी और सरलता से निर्णय लेने में मदद करता है।
निष्कर्ष
स्वतः शोध प्रक्रमण अनुनयात्मक संचार में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो त्वरित निर्णय लेने और संज्ञानात्मक शॉर्टकट्स का उपयोग करती है। यह विज्ञापन, विपणन, और जनस्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग होता है। हाल के उदाहरण जैसे कि राजनीतिक अभियान, विज्ञापन रणनीतियाँ, और स्वास्थ्य संचार इस प्रक्रिया की प्रभावशीलता और महत्व को दर्शाते हैं। स्वतः शोध प्रक्रमण के माध्यम से, व्यक्तियों और संगठनों को त्वरित और प्रभावी निर्णय लेने में मदद मिलती है।
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संतुलन सिद्धांत: निर्माता और अध्ययन संतुलन सिद्धांत (Balance Theory) को फ्रिट्ज हाइडर (Fritz Heider) ने 1958 में प्रस्तुत किया था। यह सिद्धांत मनोविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है और इसका उद्देश्य यह समझना है कि व्यक्ति अपने विचारों, दृष्टिकोणों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखने के लिए कैसे प्रेरितRead more
संतुलन सिद्धांत: निर्माता और अध्ययन
संतुलन सिद्धांत (Balance Theory) को फ्रिट्ज हाइडर (Fritz Heider) ने 1958 में प्रस्तुत किया था। यह सिद्धांत मनोविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है और इसका उद्देश्य यह समझना है कि व्यक्ति अपने विचारों, दृष्टिकोणों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखने के लिए कैसे प्रेरित होते हैं।
1. संतुलन सिद्धांत का निर्माण
संतुलन सिद्धांत यह समझाता है कि व्यक्ति अपनी सामाजिक और व्यक्तिगत धाराओं में संतुलन बनाए रखने के लिए प्रेरित होते हैं।
2. संतुलन सिद्धांत की मुख्य अवधारणाएँ
संतुलन सिद्धांत तीन तत्वों के बीच संबंधों का अध्ययन करता है:
यह सिद्धांत निम्नलिखित सुझाव देता है:
3. संतुलन सिद्धांत के अनुप्रयोग
संतुलन सिद्धांत के अनुप्रयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में होते हैं:
4. आधुनिक संदर्भ और प्रासंगिकता
संतुलन सिद्धांत आधुनिक मनोविज्ञान और समाजशास्त्र में इस प्रकार उपयोगी है:
निष्कर्ष
संतुलन सिद्धांत, जिसे फ्रिट्ज हाइडर ने प्रस्तुत किया, व्यक्तियों के विचारों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा और प्रक्रिया का अध्ययन करता है। यह सिद्धांत संतुलित और असंतुलित स्थितियों के बीच के रिश्तों को समझने में मदद करता है और इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे कि विपणन, विवाद समाधान, और राजनीतिक रणनीतियाँ। हाल के उदाहरण और आधुनिक संदर्भ इस सिद्धांत की प्रभावशीलता और प्रासंगिकता को दर्शाते हैं।
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