उत्तर लेखन के लिए रोडमैप 1. परिचय हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) की भौगोलिक स्थिति और इसका महत्व। भारत की प्राचीन समुद्री परंपरा का उल्लेख। 2. हिंद महासागर का रणनीतिक महत्व आर्थिक महत्व: भारत के व्यापार और ऊर्जा आयात में भूमिका। भू-राजनीतिक प्रभाव: क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों ...
मॉडल उत्तर प्रस्तावना भारत का स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो न केवल ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करती है, बल्कि आर्थिक विकास और जलवायु लचीलेपन में भी योगदान देती है। यह परिवर्तन जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम करते हुए लाखों लोगों के लिए बिजली सुलभता प्रदान करता है। स्वच्छ ऊर्जा पRead more
मॉडल उत्तर
प्रस्तावना
भारत का स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो न केवल ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करती है, बल्कि आर्थिक विकास और जलवायु लचीलेपन में भी योगदान देती है। यह परिवर्तन जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम करते हुए लाखों लोगों के लिए बिजली सुलभता प्रदान करता है।
स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन का महत्व
स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन से भारत की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ती है, क्योंकि देश अपनी आवश्यकताओं का लगभग 85% कच्चा तेल और 50% प्राकृतिक गैस आयात करता है। घरेलू नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार करने से आयात पर निर्भरता कम होती है। आर्थिक विकास के संदर्भ में, यह औद्योगिक विस्तार और रोजगार सृजन में मदद करता है। ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (CEEW) का अनुमान है कि यह क्षेत्र 2030 तक 10 लाख लोगों को रोजगार प्रदान कर सकता है। अंत में, जलवायु लचीलेपन की दृष्टि से, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन कार्बन उत्सर्जन को कम करने और वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान कर सकता है।
प्रमुख चुनौतियाँ
हालांकि, इस परिवर्तन में कई चुनौतियाँ भी हैं। पहली, अपर्याप्त ग्रिड अवसंरचना नवीकरणीय ऊर्जा की परिवर्तनशीलता का प्रबंधन करने में असमर्थ है। दूसरी, जीवाश्म ईंधन लॉबी को कोयला और तेल उद्योगों की सब्सिडी मिलती है, जिससे स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की ओर संक्रमण धीमा हो जाता है। तीसरी, DISCOMs पर वित्तीय दबाव है, जिससे वे स्वच्छ ऊर्जा अवसंरचना में निवेश नहीं कर पा रहे हैं। चौथी, घरेलू विनिर्माण में कमी के कारण भारत आयात पर निर्भर है। अंत में, भूमि अधिग्रहण और अनुमोदन में बाधाएँ किसानों के साथ संघर्ष उत्पन्न करती हैं।
व्यवहारिक नीतिगत उपाय
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए कुछ नीतिगत उपाय किए जा सकते हैं। ग्रिड और ऊर्जा भंडारण को सुधारने के लिए स्मार्ट ग्रिड और बैटरी भंडारण में निवेश करना होगा। DISCOMs की वित्तीय स्थिति में सुधार करने के लिए राजस्व संग्रह को बढ़ाना आवश्यक है। घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए PLI योजना का विस्तार किया जाना चाहिए। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना भी आवश्यक है। अंत में, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार करना होगा।
आगे की राह
इस प्रकार, भारत का स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन न केवल ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और जलवायु लचीलेपन के लिए आवश्यक है, बल्कि इसे गति देने के लिए उपयुक्त नीतियों की आवश्यकता है। दीर्घकालिक सफलता के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा, जो संधारणीयता और आजीविका सुरक्षा दोनों को सुनिश्चित करे।
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मॉडल उत्तर परिचय हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) की भौगोलिक स्थिति इसे वैश्विक व्यापार और ऊर्जा मार्गों का प्रमुख केंद्र बनाती है। यह क्षेत्र न केवल भारत के लिए बल्कि अन्य वैश्विक शक्तियों के लिए भी रणनीतिक महत्व रखता है। भारत की प्राचीन समुद्री परंपरा और उसके आर्थिक हित इसे इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्णRead more
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परिचय
हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) की भौगोलिक स्थिति इसे वैश्विक व्यापार और ऊर्जा मार्गों का प्रमुख केंद्र बनाती है। यह क्षेत्र न केवल भारत के लिए बल्कि अन्य वैश्विक शक्तियों के लिए भी रणनीतिक महत्व रखता है। भारत की प्राचीन समुद्री परंपरा और उसके आर्थिक हित इसे इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाते हैं।
हिंद महासागर का रणनीतिक महत्व
हिंद महासागर भारत का प्राथमिक व्यापार मार्ग है, जो लगभग 80% बाहरी व्यापार और 90% ऊर्जा आयात का संचालन करता है। इसके अलावा, यह क्षेत्र वैश्विक शक्तियों के लिए भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन गया है, जहाँ अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश प्रभाव के लिए होड़ कर रहे हैं। सुरक्षा मुद्दों के संदर्भ में, समुद्री डकैती और आतंकवाद जैसे खतरे इस क्षेत्र की स्थिरता को चुनौती देते हैं।
भारत की विदेश नीति और रणनीतिक हित
भारत की सागरमाला परियोजना जैसे उपाय बंदरगाह विकास और व्यापार को बढ़ावा देती है। SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) और हिंद-प्रशांत महासागर पहल के माध्यम से, भारत अपने क्षेत्रीय नेतृत्व को सुदृढ़ कर रहा है। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों जैसे QUAD और BIMSTEC भारत को इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करते हैं।
बढ़ती भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा:
चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति, विशेष रूप से स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स रणनीति के माध्यम से, भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है। इसके अतिरिक्त, अमेरिका और रूस जैसी अन्य शक्तियाँ भी अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रही हैं, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा में जटिलताएँ बढ़ रही हैं।
भारत के लिए उपाय
भारत को अपनी नौसेना और समुद्री क्षमताओं का विस्तार करना चाहिए। अधिक विमान वाहक, परमाणु पनडुब्बियाँ और बहु-भूमिका वाले युद्धपोतों को शामिल करना आवश्यक है। इसके साथ ही, सुरक्षा साझेदारियों को मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। आर्थिक और व्यापार कूटनीति के तहत नए व्यापार गलियारों का विकास और साइबर सुरक्षा में निवेश करना भी महत्वपूर्ण है।
आगे की राह
हिंद महासागर में भारत के सामरिक हित इसके ऐतिहासिक समुद्री महत्व और सुरक्षा, व्यापार एवं क्षेत्रीय सहयोग पर इसके समकालीन फोकस से आकार लेते हैं। भारत को इस क्षेत्र में स्थिरता और साझा विकास की दिशा में आगे बढ़ते रहना चाहिए, ताकि वह एक संतुलित वैश्विक व्यवस्था सुनिश्चित कर सके।
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