टू प्लस टू वार्ता क्या है? भारत एवं ईरान के द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में भारत एवं अमेरिका के बीच हुई टू प्लस टू वार्ता को स्पष्ट कीजिये। [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
बिहार में कृषि विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण का सीधा संबंध कृषि उत्पादन और उत्पादकता से है, और बिहार इसमें एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। बिहार राज्य ने कृषि क्षेत्र में विभिन्न प्रौद्योगिकियों को अपनाया है, जो न केवल उत्पादन में वृद्धि कर रही हैं, बल्कि किसानों की जRead more
बिहार में कृषि विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका
भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण का सीधा संबंध कृषि उत्पादन और उत्पादकता से है, और बिहार इसमें एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। बिहार राज्य ने कृषि क्षेत्र में विभिन्न प्रौद्योगिकियों को अपनाया है, जो न केवल उत्पादन में वृद्धि कर रही हैं, बल्कि किसानों की जीवन गुणवत्ता को भी सुधार रही हैं। बिहार में कृषि विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेषकर जब हम राज्य की कृषि विकास दर को देखें। यहां कुछ प्रमुख पहलुओं पर चर्चा की जा रही है:
1. वर्मी कम्पोस्टिंग और जैविक खेती
- वर्मी कम्पोस्टिंग: बिहार में, वर्मी कम्पोस्टिंग (earthworm composting) जैसे नवाचारों का प्रचलन बढ़ा है। इस प्रक्रिया में जैविक कचरे को खाद में बदला जाता है, जिससे न केवल कचरे का निस्तारण होता है, बल्कि यह रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर एक पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित विकल्प के रूप में कार्य करता है।
- जैविक खेती: राज्य सरकार ने किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरूक किया है, जिससे रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की मात्रा कम हो रही है और स्वास्थ्य लाभ मिल रहे हैं
2. ड्रिप इरीगेशन और जल प्रबंधन
- ड्रिप इरीगेशन: जल संकट को ध्यान में रखते हुए बिहार में ड्रिप इरीगेशन तकनीक को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस तकनीक से पानी का सीधा उपयोग पौधों की जड़ों तक होता है, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है और उत्पादकता में वृद्धि होती है। यह खासकर उन क्षेत्रों में उपयोगी है जहाँ पानी की कमी होती है।
3. सतत कृषि और पेड़-पौधों का संरक्षण
- एग्रोफॉरेस्ट्री: बिहार में एग्रोफॉरेस्ट्री का प्रचलन बढ़ रहा है, जिसमें खेती के साथ-साथ वृक्षारोपण किया जाता है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और सूखा और बाढ़ जैसी समस्याओं से निपटने में मदद मिलती है।
4. कृषि शिक्षा और प्रशिक्षण
- राज्य सरकार और विभिन्न गैर सरकारी संगठनों द्वारा किसानों को नई तकनीकों और सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों के बारे में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह पहल किसानों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में मदद कर रही है और उन्हें बाजारों तक पहुंचने के लिए जरूरी जानकारी प्रदान कर रही है।
बिहार के कृषि क्षेत्र के लिए प्रौद्योगिकी का महत्व
बिहार कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
- उत्पादकता में वृद्धि: प्रौद्योगिकियों जैसे कि उन्नत बीज, ड्रिप इरीगेशन और सटीक कृषि उपायों से फसलों की उत्पादकता में वृद्धि हो रही है।
- जल संरक्षण: ड्रिप इरीगेशन और जल संरक्षण तकनीकें जल की बर्बादी को कम करती हैं, जो बिहार जैसे जल संकट वाले राज्य के लिए बेहद जरूरी हैं।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटना: क्लाइमेट-रेजीलिएंट (जलवायु परिवर्तन सहिष्णु) फसलों का चयन और नए कृषि पैटर्न से मौसम परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा रहा है।
निष्कर्ष
बिहार में कृषि के विकास में प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, और राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम जैसे कि वर्मी कम्पोस्टिंग, ड्रिप इरीगेशन, और जैविक खेती ने कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की है। हालांकि, अधिक निवेश और बेहतर प्रौद्योगिकी के उपयोग से बिहार में कृषि क्षेत्र को और अधिक समृद्ध बनाया जा सकता है, जिससे राज्य की खाद्य सुरक्षा में सुधार होगा और किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।
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"टू प्लस टू वार्ता" (2+2 Dialogue) एक उच्च स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता का रूप है, जिसमें दो देशों के विदेश और रक्षा मंत्री एक साथ मिलकर अपने देशों के बीच सहयोग और मुद्दों पर चर्चा करते हैं। यह एक प्रकार की व्यापक और गहरे रणनीतिक संवाद प्रक्रिया है जो देशों के रिश्तों को मजबूत करने के उद्देश्य से की जातRead more
“टू प्लस टू वार्ता” (2+2 Dialogue) एक उच्च स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता का रूप है, जिसमें दो देशों के विदेश और रक्षा मंत्री एक साथ मिलकर अपने देशों के बीच सहयोग और मुद्दों पर चर्चा करते हैं। यह एक प्रकार की व्यापक और गहरे रणनीतिक संवाद प्रक्रिया है जो देशों के रिश्तों को मजबूत करने के उद्देश्य से की जाती है।
इसका नाम “टू प्लस टू” इसलिए रखा गया है क्योंकि इसमें दो मंत्रालयों, यानी विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के मंत्री शामिल होते हैं। यह वार्ता आमतौर पर सुरक्षा, रणनीतिक साझेदारी, और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर केंद्रित होती है।
भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता
भारत और अमेरिका के बीच हुई टू प्लस टू वार्ता एक महत्वपूर्ण कदम था जो दोनों देशों के बीच सुरक्षा, रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का उद्देश्य रखता है। इस वार्ता में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भाग लिया।
1. भारत-ईरान के संबंधों के संदर्भ में टू प्लस टू वार्ता
2. भारत की स्थिति:
3. टू प्लस टू वार्ता का उद्देश्य:
भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता के मुख्य बिंदु:
निष्कर्ष
भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम था, जो दोनों देशों के रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाने के साथ-साथ सुरक्षा, आतंकवाद और सामरिक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने में मदद करेगा। हालांकि, ईरान जैसे देशों के साथ भारत के रिश्तों को संतुलित करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन भारत ने हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है और अमेरिका के साथ अपने संबंधों को भी मजबूत किया है।
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