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समुद्री कचरे के पर्यावरणीय प्रभावों पर प्रकाश डालिए। साथ ही, चर्चा कीजिए कि समुद्री कचरे का प्रबंधन करना कठिन क्यों है। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
समुद्री कचरे के पर्यावरणीय प्रभाव गंभीर और व्यापक हैं: पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव: समुद्री कचरा, विशेषकर प्लास्टिक, समुद्री जीवन जैसे मछलियाँ, कछुए और पक्षियों के लिए हानिकारक है। ये जीव कचरे को गलती से खा लेते हैं, जिससे उनकी मौत या स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। प्लास्टिक प्रदूषण: प्लास्टिक समुदRead more
समुद्री कचरे के पर्यावरणीय प्रभाव गंभीर और व्यापक हैं:
पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव: समुद्री कचरा, विशेषकर प्लास्टिक, समुद्री जीवन जैसे मछलियाँ, कछुए और पक्षियों के लिए हानिकारक है। ये जीव कचरे को गलती से खा लेते हैं, जिससे उनकी मौत या स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
प्लास्टिक प्रदूषण: प्लास्टिक समुद्र में टूटकर माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाता है, जो खाद्य श्रृंखला में समाहित हो जाता है और जलीय जीवों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
कोरल रीफ्स को नुकसान: कचरा, जैसे कि धातु और प्लास्टिक, कोरल रीफ्स को शारीरिक और रासायनिक रूप से नुकसान पहुंचाता है, जिससे रीफ्स का जीवन संकट में पड़ता है।
समुद्री कचरे का प्रबंधन कठिन है क्योंकि:
विस्तृत वितरण: समुद्री कचरा दुनिया भर में फैला हुआ है और इसके स्रोत कई हैं, जिससे ट्रैकिंग और हटाने में कठिनाई होती है।
पारंपरिक सफाई विधियों की सीमाएँ: समुद्री कचरे को निकालना और नष्ट करना महंगा और जटिल होता है, विशेष रूप से बड़े और कड़े कचरे के लिए।
विविधता और स्थायित्व: कचरे की विविधता और प्लास्टिक जैसे सामग्री की स्थायित्व इसे लंबे समय तक समुद्र में बने रहने की क्षमता देती है, जिससे निपटना मुश्किल हो जाता है।
समुद्री कचरे के प्रबंधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और नवाचार आवश्यक हैं।
See lessभारत में बढ़ते शहरीकरण और ध्वनि प्रदूषण के बीच संबंधों पर चर्चा कीजिए। मानव स्वास्थ्य पर ध्वनि प्रदूषण के प्रभावों का वर्णन कीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में बढ़ते शहरीकरण और ध्वनि प्रदूषण के बीच गहरा संबंध है। शहरीकरण के साथ-साथ जनसंख्या वृद्धि और औद्योगिकीकरण ने शहरों में ध्वनि प्रदूषण को बढ़ा दिया है। यातायात, निर्माण गतिविधियाँ, और उद्योगों से निकलने वाली ध्वनि अत्यधिक शोर को जन्म देती है, जो शहरी जीवन का हिस्सा बन चुका है। ध्वनि प्रदूषण काRead more
भारत में बढ़ते शहरीकरण और ध्वनि प्रदूषण के बीच गहरा संबंध है। शहरीकरण के साथ-साथ जनसंख्या वृद्धि और औद्योगिकीकरण ने शहरों में ध्वनि प्रदूषण को बढ़ा दिया है। यातायात, निर्माण गतिविधियाँ, और उद्योगों से निकलने वाली ध्वनि अत्यधिक शोर को जन्म देती है, जो शहरी जीवन का हिस्सा बन चुका है।
ध्वनि प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक उच्च स्तर के शोर exposure से सुनने की क्षमता में कमी, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, और नींद में बाधा जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव होता है, जैसे कि तनाव, चिंता, और अवसाद। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका प्रभाव विशेष रूप से अधिक होता है, जिससे उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को खतरा होता है।
इसलिए, शहरीकरण के साथ ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस उपाय आवश्यक हैं।
See lessराष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के परिणाम का मूल्यांकन कीजिए। मिशन LIFE वायु प्रदूषण के मुद्दे का समाधान करने में NCAP को कैसे पुनर्जीवित कर सकता है? (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का मूल्यांकन दर्शाता है कि यह वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए एक प्रभावी पहल रही है, लेकिन इसके परिणाम सीमित रहे हैं। NCAP ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए राज्यों को निधि और तकनीकी सहायता प्रदान की है, लेकिन वायु प्रदूषण में कमी के लक्ष्यों को पूरा करनेRead more
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का मूल्यांकन दर्शाता है कि यह वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए एक प्रभावी पहल रही है, लेकिन इसके परिणाम सीमित रहे हैं। NCAP ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए राज्यों को निधि और तकनीकी सहायता प्रदान की है, लेकिन वायु प्रदूषण में कमी के लक्ष्यों को पूरा करने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
मिशन LIFE (Lifestyle for Environment) NCAP को पुनर्जीवित करने में मदद कर सकता है। इस मिशन के तहत, व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर पर्यावरणीय जागरूकता और व्यवहार में बदलाव को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे:
सार्वजनिक सहभागिता: लोगों को वायु प्रदूषण कम करने की जिम्मेदारी और उपायों की जानकारी मिल सकेगी।
See lessउचित संसाधन प्रबंधन: मिशन LIFE के तहत स्थायी जीवनशैली अपनाने से, वायु गुणवत्ता में सुधार होगा।
नीति सुधार: बेहतर सामुदायिक और व्यक्तिगत दृष्टिकोण के साथ, NCAP की रणनीतियों को सुदृढ़ किया जा सकता है।
इस प्रकार, मिशन LIFE वायु प्रदूषण की चुनौती को प्रभावी रूप से संबोधित करने में NCAP को सहायता प्रदान कर सकता है।
दिल्ली और उसके आसपास यमुना नदी में शीत ऋतु के प्रारंभ में उत्पन्न झाग सुर्खियों में रहा है। इसके पीछे के कारणों की पहचान करते हुए इसके व्यापक प्रभाव पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
दिल्ली और उसके आसपास यमुना नदी में शीत ऋतु के प्रारंभ में उत्पन्न झाग मुख्यतः जल प्रदूषण के कारण होता है। यह झाग आमतौर पर उद्योगों से निकलने वाले रसायनों, साबुन और अन्य रासायनिक अपशिष्टों की वजह से बनता है, जो नदी के पानी में घुल जाते हैं। सर्दी के मौसम में, ठंड और कम हवा की गति के कारण झाग का संचयRead more
दिल्ली और उसके आसपास यमुना नदी में शीत ऋतु के प्रारंभ में उत्पन्न झाग मुख्यतः जल प्रदूषण के कारण होता है। यह झाग आमतौर पर उद्योगों से निकलने वाले रसायनों, साबुन और अन्य रासायनिक अपशिष्टों की वजह से बनता है, जो नदी के पानी में घुल जाते हैं। सर्दी के मौसम में, ठंड और कम हवा की गति के कारण झाग का संचय बढ़ जाता है और यह अधिक स्पष्ट हो जाता है।
इसके व्यापक प्रभावों में शामिल हैं:
1. **स्वास्थ्य समस्याएँ**: झाग में मौजूद विषैले रसायन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे त्वचा की समस्याएं और सांस की बीमारियाँ हो सकती हैं।
2. **पारिस्थितिकी तंत्र का नुकसान**: झाग और प्रदूषित जल जलीय जीवन के लिए हानिकारक होते हैं, जिससे मछलियों और अन्य जलजीवों की मौत हो सकती है।
3. **सामाजिक प्रभाव**: झाग के कारण पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठता है, जो लोगों के जीवन और पेयजल स्रोतों को प्रभावित करता है।
इस समस्या के समाधान के लिए प्रदूषण नियंत्रण और बेहतर जल प्रबंधन की आवश्यकता है।
See lessई-प्रदूषण तथा अन्तरिक्ष प्रदूषण को समझाइये। इसके प्रबन्धन के लिए क्या सुझाव दिए गए हैं? (125 Words) [UPPSC 2022]
**ई-प्रदूषण** (E-waste) उन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और उनके हिस्सों का अवशेष है जो अब उपयोग में नहीं हैं। इसमें कंप्यूटर, मोबाइल फोन, टेलीविजन आदि शामिल हैं। ई-प्रदूषण में हानिकारक रसायन और धातुएं होती हैं जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। **अंतरिक्ष प्रदूषण** (Space Debris) पृथ्वी की कRead more
**ई-प्रदूषण** (E-waste) उन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और उनके हिस्सों का अवशेष है जो अब उपयोग में नहीं हैं। इसमें कंप्यूटर, मोबाइल फोन, टेलीविजन आदि शामिल हैं। ई-प्रदूषण में हानिकारक रसायन और धातुएं होती हैं जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
**अंतरिक्ष प्रदूषण** (Space Debris) पृथ्वी की कक्षा में छोड़े गए नाकाम उपग्रह, रॉकेट के टुकड़े, और अन्य मानव निर्मित वस्तुएं हैं जो अब उपयोगी नहीं हैं। यह अंतरिक्ष में टकराव का खतरा बढ़ाता है और भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए जोखिम पैदा करता है।
**प्रबंधन सुझाव:** ई-प्रदूषण के लिए, पुनर्चक्रण (recycling) और जिम्मेदार निपटान आवश्यक है। अंतरिक्ष प्रदूषण के लिए, निष्क्रिय उपग्रहों को हटाने और नई तकनीकों के विकास पर जोर दिया गया है, जिससे अंतरिक्ष मलबे को कम किया जा सके।
See lessयह पूर्वानुमान लगाया गया है कि 2040 की ग्रीष्म ऋतु तक आर्कटिक हिम-मुक्त हो सकता है। महासागरों पर इसके संभावित प्रभावों का उल्लेख कीजिए। साथ ही, चर्चा कीजिए कि भारत इस स्थिति में किस प्रकार प्रभावित होगा। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
2040 तक आर्कटिक हिम-मुक्त होने के संभावित परिणामों में महासागरों पर भी गहरा प्रभाव हो सकता है। जब आर्कटिक के हिम घटने लगेंगे, तो समुद्र स्तर में वृद्धि होगी और महासागरों के जलवायु परिवर्तन में वृद्धि देखने की संभावना है। इससे जलवायु तंत्र और समुद्री जीवन पर असर पड़ सकता है। भारत इस स्थिति में भी प्रRead more
2040 तक आर्कटिक हिम-मुक्त होने के संभावित परिणामों में महासागरों पर भी गहरा प्रभाव हो सकता है। जब आर्कटिक के हिम घटने लगेंगे, तो समुद्र स्तर में वृद्धि होगी और महासागरों के जलवायु परिवर्तन में वृद्धि देखने की संभावना है। इससे जलवायु तंत्र और समुद्री जीवन पर असर पड़ सकता है।
भारत इस स्थिति में भी प्रभावित हो सकता है। जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में मौसम परिवर्तन, बाढ़, सूखा, और चक्रवाती तूफानों में वृद्धि हो सकती है। समुद्र स्तर की वृद्धि से भारत के तटीय क्षेत्रों पर भूमिगत विपदाएं भी बढ़ सकती हैं। इसलिए, सावधानी बरतने और पर्यावरण संरक्षण के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।
See lessअत्यधिक और अविवेकपूर्ण रेत खनन की पारिस्थितिक लागत इसके आर्थिक लाभों से कहीं अधिक है। संधारणीय रेत खनन के महत्व के संदर्भ में चर्चा कीजिए।
अत्यधिक और अविवेकपूर्ण रेत खनन आमतौर पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और समाज को योग्य रीति से विकसित होने से रोकता है। इसके विपरीत, संधारणीय रेत खनन एक समृद्धि और सामाजिक सुरक्षा का स्रोत हो सकता है। पर्यावरण संरक्षण: संधारणीय रेत खनन पर्यावरण के साथ समांजस्यपूर्णता बनाए रखता है। इससे प्राकृतिक संRead more
अत्यधिक और अविवेकपूर्ण रेत खनन आमतौर पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और समाज को योग्य रीति से विकसित होने से रोकता है। इसके विपरीत, संधारणीय रेत खनन एक समृद्धि और सामाजिक सुरक्षा का स्रोत हो सकता है।
इस प्रकार, संधारणीय रेत खनन एक समृद्धि के स्रोत के रूप में कार्य कर सकता है, जो सामाजिक और आर्थिक लाभों के साथ पर्यावरणीय संरक्षण को भी सुनिश्चित करता है।
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