तेल प्रदूषण क्या है? समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके प्रभाव क्या हैं? भारत जैसे देश के लिए किस तरह से तेल प्रदूषण विशेष रूप से हानिकारक है? (150 words)[UPSC 2023]
नगरपालिका ठोस अपशिष्ट और ऊर्जा कमी परिचय नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW) वह अपशिष्ट है जो घरों, व्यवसायों और संस्थानों द्वारा रोजाना फेंका जाता है, जैसे कि खाद्य अवशेष, पैकेजिंग, और पुराने उपकरण। इस अपशिष्ट का प्रभावी प्रबंधन केवल अपशिष्ट में कमी लाने का अवसर ही नहीं प्रदान करता, बल्कि ऊर्जा पुनः प्राप्Read more
नगरपालिका ठोस अपशिष्ट और ऊर्जा कमी
परिचय नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW) वह अपशिष्ट है जो घरों, व्यवसायों और संस्थानों द्वारा रोजाना फेंका जाता है, जैसे कि खाद्य अवशेष, पैकेजिंग, और पुराने उपकरण। इस अपशिष्ट का प्रभावी प्रबंधन केवल अपशिष्ट में कमी लाने का अवसर ही नहीं प्रदान करता, बल्कि ऊर्जा पुनः प्राप्ति के माध्यम से बाहरी ऊर्जा पर निर्भरता कम करने का भी एक तरीका है।
ऊर्जा पुनः प्राप्ति से लाभ
- अपशिष्ट से ऊर्जा (WtE) प्रौद्योगिकियाँ
- इंसीनेरेशन: इस प्रक्रिया में MSW को जलाकर गर्मी उत्पन्न की जाती है, जिसका उपयोग भाप और बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है। आधुनिक इंसीनेरेशन संयंत्रों में उन्नत फ़िल्टरेशन सिस्टम होते हैं जो उत्सर्जन को न्यूनतम करते हैं।
- हाल का उदाहरण: पुणे नगर निगम ने एक अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया है जो प्रतिदिन 400 टन अपशिष्ट को बिजली में परिवर्तित करता है, जिससे शहर की ऊर्जा की ज़रूरतें पूरी होती हैं और लैंडफिल्स की आवश्यकता कम होती है।
- गैसीफिकेशन और पायरोलेसिस: ये प्रक्रियाएँ उच्च तापमान पर ऑक्सीजन के बिना अपशिष्ट को सिंथेटिक गैस (सिंगस) या तरल ईंधन में परिवर्तित करती हैं। सिंथेटिक गैस को ऊर्जा उत्पादन या रासायनिक सामग्री के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
- हाल का उदाहरण: हॉथोर्न वेस्ट-टू-एनेर्जी सुविधा (यूके) उन्नत गैसीफिकेशन प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है, जो MSW को ऊर्जा में परिवर्तित करती है और मूल्यवान सामग्री पुनः प्राप्त करती है।
- इंसीनेरेशन: इस प्रक्रिया में MSW को जलाकर गर्मी उत्पन्न की जाती है, जिसका उपयोग भाप और बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है। आधुनिक इंसीनेरेशन संयंत्रों में उन्नत फ़िल्टरेशन सिस्टम होते हैं जो उत्सर्जन को न्यूनतम करते हैं।
- एनीरोबिक डाइजेशन
- यह जैविक प्रक्रिया ऑक्सीजन के बिना जैविक अपशिष्ट को तोड़ती है और बायोगैस उत्पन्न करती है, जिसमें मुख्य रूप से मीथेन होता है। बायोगैस को बिजली और गर्मी उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- हाल का उदाहरण: कोलकाता नगर निगम ने एक एनीरोबिक डाइजेशन सुविधा शुरू की है जो बाजारों और आवासीय क्षेत्रों से जैविक अपशिष्ट को बायोगैस में परिवर्तित करती है, जिससे बाहरी ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होती है और लैंडफिल अपशिष्ट भी घटता है।
- यह जैविक प्रक्रिया ऑक्सीजन के बिना जैविक अपशिष्ट को तोड़ती है और बायोगैस उत्पन्न करती है, जिसमें मुख्य रूप से मीथेन होता है। बायोगैस को बिजली और गर्मी उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
फायदे और लाभ
- ऊर्जा लागत में कमी
- MSW से ऊर्जा उत्पन्न करके, नगरपालिकाएँ बाहरी ऊर्जा आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम कर सकती हैं, जिससे ऊर्जा खरीद पर लागत में महत्वपूर्ण बचत होती है, विशेषकर बड़े शहरों में जहाँ अपशिष्ट का उत्पादन अधिक होता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव
- अपशिष्ट से ऊर्जा पुनः प्राप्ति लैंडफिल्स की आवश्यकता को कम करती है, जो मीथेन उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत होते हैं। साथ ही, यह पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों की आवश्यकता को कम करती है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है।
- संसाधन पुनः प्राप्ति
- कई अपशिष्ट से ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ मूल्यवान सामग्री जैसे धातुओं और राख को भी पुनः प्राप्त करती हैं, जो कि पुनर्चक्रण या पुनः उपयोग के लिए होती है, जिससे एक सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा मिलता है।
हाल की प्रगति और चुनौतियाँ
- शहरी योजना और विकास: न्यूयॉर्क और टोक्यो जैसे शहरों ने शहरी अवसंरचना योजना के साथ अपशिष्ट से ऊर्जा प्रणालियों को एकीकृत किया है, ताकि ऊर्जा पुनः प्राप्ति और अपशिष्ट प्रबंधन को अनुकूलित किया जा सके।
- चुनौतियाँ: इसके बावजूद, उच्च प्रारंभिक पूंजी लागत, तकनीकी जटिलता, और सार्वजनिक स्वीकृति जैसी चुनौतियाँ मौजूद हैं। इन समस्याओं का समाधान उचित नियामक ढांचे और तकनीकी उन्नति के माध्यम से किया जाना आवश्यक है।
निष्कर्ष
नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW) वास्तव में ऊर्जा खरीद को कम करने में सहायक हो सकता है, क्योंकि यह विभिन्न पुनः प्राप्ति प्रौद्योगिकियों के माध्यम से ऊर्जा का एक स्थायी स्रोत प्रदान करता है। वैश्विक स्तर पर सफल उदाहरण और हाल की प्रगति इस बात को दर्शाती है कि MSW प्रबंधन ऊर्जा बचत, पर्यावरण संरक्षण, और संसाधन पुनः प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लेकिन इसके साथ जुड़ी चुनौतियों को प्रभावी ढंग से हल करना आवश्यक है ताकि इन लाभों को अधिकतम किया जा सके।
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तेल प्रदूषण: तेल प्रदूषण तब होता है जब पेट्रोलियम उत्पाद, विशेषकर समुद्री तेल के रिसाव, जहाजों, ऑफशोर ड्रिलिंग रिग्स, या दुर्घटनाओं के कारण जलस्रोतों में मिल जाते हैं। यह प्रदूषण समुद्री और स्थलीय दोनों पर्यावरणों को प्रभावित कर सकता है। समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: समुद्री जीवन को खतरा: तेRead more
तेल प्रदूषण: तेल प्रदूषण तब होता है जब पेट्रोलियम उत्पाद, विशेषकर समुद्री तेल के रिसाव, जहाजों, ऑफशोर ड्रिलिंग रिग्स, या दुर्घटनाओं के कारण जलस्रोतों में मिल जाते हैं। यह प्रदूषण समुद्री और स्थलीय दोनों पर्यावरणों को प्रभावित कर सकता है।
समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव:
भारत के लिए विशेष हानि:
निष्कर्ष: तेल प्रदूषण समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव डालता है और भारत जैसे देश के लिए, जिसकी तटीय क्षेत्रीय और संसाधनों पर बड़ी निर्भरता है, इसके परिणाम विशेष रूप से गंभीर हो सकते हैं।
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