पारिस्थितिक तंत्र पर वनाग्नि के प्रभाव की विवेचना कीजिए। वनाग्नि के खतरे से निपटने में UNEP के फायर रेडी फॉर्मूला के महत्त्व का वर्णन कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्रों (ESZs) का निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम है जो प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षण को सुनिश्चित करने में मददगार हो सकता है। ESZs विशेष रूप से उन क्षेत्रों को दर्ज करते हैं जो विशेष रूप से संरक्षित क्षेत्रों के आसपास होते हैं और उनकी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।Read more
भारत में पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्रों (ESZs) का निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम है जो प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षण को सुनिश्चित करने में मददगार हो सकता है। ESZs विशेष रूप से उन क्षेत्रों को दर्ज करते हैं जो विशेष रूप से संरक्षित क्षेत्रों के आसपास होते हैं और उनकी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
ESZs के निर्माण से एक प्रमुख उद्देश्य प्राकृतिक जीवन के संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, जलसंसाधनों की सुरक्षा, और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है। हाल ही में, सरकार ने ESZs के निर्माण और प्रबंधन को लेकर कई पहल की है।
कुछ प्रमुख मुद्दों में से एक यह है कि ESZs के निर्माण में स्थानीय आदिवासी समुदायों के हितों को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। उनके पारंपरिक जीवनशैली और संसाधनों को समाप्त न करते हुए ESZs के प्रबंधन में उनकी भूमिका को महत्व देना चाहिए।
इसके साथ ही, ESZs की सीमाओं का स्पष्टीकरण, प्रबंधन की कठिनाइयों का सामना, और संवर्धनशील विकास को समायोजित करने की जरूरत है। ESZs के निर्माण में संभावित विवादों का समाधान निपुणता से किया जाना चाहिए ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय जनता के हितों को भी सुनिश्चित किया जा सके।
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भारत में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुख्य कारणों में शहरीकरण, कृषि विस्तार, और जंगलों की अंधाधुंध कटाई शामिल हैं। जैसे-जैसे मानव बस्तियाँ और खेत जंगलों के करीब आते हैं, वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास घटता जाता है, जिससे वे भोजन और पानी की तलाश में मानव बस्तियों की ओर आकर्षित होते हैं। इसके अतिरिक्त,Read more
भारत में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुख्य कारणों में शहरीकरण, कृषि विस्तार, और जंगलों की अंधाधुंध कटाई शामिल हैं। जैसे-जैसे मानव बस्तियाँ और खेत जंगलों के करीब आते हैं, वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास घटता जाता है, जिससे वे भोजन और पानी की तलाश में मानव बस्तियों की ओर आकर्षित होते हैं। इसके अतिरिक्त, वन्यजीवों की आदतों में बदलाव और जंगलों की अव्यवस्थित उपयोग भी संघर्ष को बढ़ाते हैं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं:
वन्यजीव सुरक्षा कानून: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और अन्य कानूनी उपायों के माध्यम से वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके आवास की रक्षा की जाती है।
संघर्ष निवारण उपाय: जैसे कि इलेक्ट्रीफाइड फेंसिंग, और बायो-फेंसिंग का उपयोग, और विशेष निगरानी तकनीकें।
साक्षरता और शिक्षा कार्यक्रम: स्थानीय समुदायों को वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व के महत्व के बारे में जागरूक किया जाता है।
वन्यजीव राहत केंद्र: वन्यजीवों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए राहत केंद्र स्थापित किए गए हैं।
इन उपायों से संघर्ष को कम करके वन्यजीवों और मानवों के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश की जा रही है।
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