वैदिक साहित्य में वर्णित भारत की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
वैदिक साहित्य का परिचय साहित्यिक अभिव्यक्ति: वैदिक साहित्य प्राचीन भारतीय साहित्य का आधारभूत अंग है, जो संस्कृत में लिखा गया है। यह साहित्य मुख्यतः वेदों, उपनिषदों, ब्रह्मणों, और आरण्यकों के रूप में उपलब्ध है। वेद: वैदिक साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण भाग वेद हैं, जो ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेRead more
वैदिक साहित्य का परिचय
साहित्यिक अभिव्यक्ति: वैदिक साहित्य प्राचीन भारतीय साहित्य का आधारभूत अंग है, जो संस्कृत में लिखा गया है। यह साहित्य मुख्यतः वेदों, उपनिषदों, ब्रह्मणों, और आरण्यकों के रूप में उपलब्ध है।
वेद: वैदिक साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण भाग वेद हैं, जो ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद के रूप में विभाजित हैं। ये ग्रंथ धार्मिक अनुष्ठानों, मंत्रों, और वेदांत के ज्ञान का संग्रह हैं।
उपनिषद: उपनिषद वेदों के उपांग हैं जो दार्शनिक ज्ञान और ब्रह्मा (सर्वोच्च सत्य) के अध्ययन पर केंद्रित हैं। छांदोग्य उपनिषद और मुण्डक उपनिषद प्रमुख उदाहरण हैं।
ब्राह्मण और आरण्यक: ब्राह्मण वेदों की तात्त्विक और अनुष्ठानिक व्याख्या प्रदान करते हैं, जबकि आरण्यक वनवासियों के जीवन और साधना पर केंद्रित हैं।
आधुनिक संदर्भ: हाल ही में, वैदिक साहित्य के अध्ययन ने आधुनिक भाषाओं में अनुवाद और सांस्कृतिक पुनरावलोकन को प्रोत्साहित किया है, जैसे संस्कृत का पुनरुद्धार और वैदिक विद्या पर अनुसंधान।
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वैदिक साहित्य में भारत की भौगोलिक विशेषताएँ वैदिक साहित्य, विशेषकर ऋग्वेद में, भारत की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन मिलता है। हिमालय पर्वत का उल्लेख ऋग्वेद में "हिमवान" के रूप में किया गया है, जो पर्वतीय श्रेणी के विशालता और महत्व को दर्शाता है। सिंधु और गंगा नदियाँ भी प्रमुख रूप से वर्णित हैं। सिंधुRead more
वैदिक साहित्य में भारत की भौगोलिक विशेषताएँ
वैदिक साहित्य, विशेषकर ऋग्वेद में, भारत की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन मिलता है।
हिमालय पर्वत का उल्लेख ऋग्वेद में “हिमवान” के रूप में किया गया है, जो पर्वतीय श्रेणी के विशालता और महत्व को दर्शाता है।
सिंधु और गंगा नदियाँ भी प्रमुख रूप से वर्णित हैं। सिंधु नदी को “सिंधु” और गंगा को “गंगा” के नाम से जाना जाता था, जो इन नदियों के प्राचीन महत्व को दर्शाता है।
वेदों में दक्कन पठार और पूर्वी और पश्चिमी तट के उल्लेख भी मिलते हैं, जो भारतीय उपमहाद्वीप की भौगोलिक विविधता को उजागर करते हैं।
हाल ही में, भूगर्भीय अनुसंधान और वैदिक स्थलों की खोज जैसे अनुसंधान ने इन प्राचीन भौगोलिक संदर्भों की पुष्टि की है, जिससे हमारे ऐतिहासिक ज्ञान में वृद्धि हुई है।
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