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भारत के इतिहास की पुनर्रचना में चीनी और अरबी यात्रियों के वृत्तांन्तों के महत्व का आकलन कीजिए । (150 words) [UPSC 2018]
भारत के इतिहास की पुनर्रचना में चीनी और अरबी यात्रियों के वृत्तांतों का महत्व परिचय चीनी और अरबी यात्रियों के वृत्तांत भारत के इतिहास की पुनर्रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन यात्रियों की साक्षात्कार और लेखन भारतीय समाज, संस्कृति, और प्रशासन की समझ को समृद्ध करते हैं। चीनी यात्री ह्वेनसांगRead more
भारत के इतिहास की पुनर्रचना में चीनी और अरबी यात्रियों के वृत्तांतों का महत्व
परिचय
चीनी और अरबी यात्रियों के वृत्तांत भारत के इतिहास की पुनर्रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन यात्रियों की साक्षात्कार और लेखन भारतीय समाज, संस्कृति, और प्रशासन की समझ को समृद्ध करते हैं।
चीनी यात्री
अरबी यात्री
हाल के उदाहरण
हाल ही में इन वृत्तांतों का उपयोग मध्यकालीन भारत में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को समझने में किया गया है, जैसे फारसी कला का भारतीय चित्रकला पर प्रभाव।
निष्कर्ष
See lessचीनी और अरबी यात्रियों के वृत्तांत भारत के इतिहास की पुनर्रचना में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये वृत्तांत भारतीय समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करते हैं और ऐतिहासिक अनुसंधान को समृद्ध करते हैं।
विश्व शान्ति स्थापना में बौद्ध साहिन्य की भूमिका का वर्णन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
बौद्ध साहिन्य की भूमिका विश्व शान्ति में अहिंसा और करुणा: बौद्ध साहिन्य का मूल सिद्धांत अहिंसा और करुणा है। यह दृष्टिकोण विश्व शान्ति की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बुद्ध की शिक्षाएँ, जैसे “अहिंसा परमो धर्मः” (अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है), शान्ति और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देती हैं। द्विपक्षीयRead more
बौद्ध साहिन्य की भूमिका विश्व शान्ति में
अहिंसा और करुणा: बौद्ध साहिन्य का मूल सिद्धांत अहिंसा और करुणा है। यह दृष्टिकोण विश्व शान्ति की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बुद्ध की शिक्षाएँ, जैसे “अहिंसा परमो धर्मः” (अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है), शान्ति और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देती हैं।
द्विपक्षीय संवाद: बौद्ध देशों और नेताओं ने द्विपक्षीय संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से विश्व शान्ति को बढ़ावा दिया है। उदाहरण के रूप में, म्यांमार और थाईलैंड में बौद्ध धर्म के अनुयायी शान्ति और सहनशीलता का संदेश फैलाते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में योगदान: दलाई लामा जैसे बौद्ध नेताओं ने नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त किया है और वैश्विक शान्ति के लिए कार्यरत रहे हैं, जैसे शांति सम्मेलन और मध्यस्थता में सक्रिय भूमिका निभाई है।
बौद्ध साहिन्य ने अहिंसा और करुणा के माध्यम से विश्व शान्ति की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान किया है।
See lessवैदिक साहित्य में वर्णित भारत की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
वैदिक साहित्य में भारत की भौगोलिक विशेषताएँ वैदिक साहित्य, विशेषकर ऋग्वेद में, भारत की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन मिलता है। हिमालय पर्वत का उल्लेख ऋग्वेद में "हिमवान" के रूप में किया गया है, जो पर्वतीय श्रेणी के विशालता और महत्व को दर्शाता है। सिंधु और गंगा नदियाँ भी प्रमुख रूप से वर्णित हैं। सिंधुRead more
वैदिक साहित्य में भारत की भौगोलिक विशेषताएँ
वैदिक साहित्य, विशेषकर ऋग्वेद में, भारत की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन मिलता है।
हिमालय पर्वत का उल्लेख ऋग्वेद में “हिमवान” के रूप में किया गया है, जो पर्वतीय श्रेणी के विशालता और महत्व को दर्शाता है।
सिंधु और गंगा नदियाँ भी प्रमुख रूप से वर्णित हैं। सिंधु नदी को “सिंधु” और गंगा को “गंगा” के नाम से जाना जाता था, जो इन नदियों के प्राचीन महत्व को दर्शाता है।
वेदों में दक्कन पठार और पूर्वी और पश्चिमी तट के उल्लेख भी मिलते हैं, जो भारतीय उपमहाद्वीप की भौगोलिक विविधता को उजागर करते हैं।
हाल ही में, भूगर्भीय अनुसंधान और वैदिक स्थलों की खोज जैसे अनुसंधान ने इन प्राचीन भौगोलिक संदर्भों की पुष्टि की है, जिससे हमारे ऐतिहासिक ज्ञान में वृद्धि हुई है।
See lessग्रीक इतिहासकारों के विवरण प्राचीन भारत की सामाजिक और आर्थिक स्थितियों के संबंध में मूल्यवान जानकारी प्रदान करते हैं। चर्चा कीजिए।(250 शब्दों में उत्तर दें)
प्राचीन भारत की सामाजिक और आर्थिक स्थितियों के बारे में ग्रीक इतिहासकारों के विवरण महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। ग्रीक इतिहासकारों जैसे मेगस्थनीज़ और अर्रियन ने भारत की सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक स्थितियों पर विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है, जो उस समय की भारतीय सभ्यता को समझने में सहायक हैं।Read more
प्राचीन भारत की सामाजिक और आर्थिक स्थितियों के बारे में ग्रीक इतिहासकारों के विवरण महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। ग्रीक इतिहासकारों जैसे मेगस्थनीज़ और अर्रियन ने भारत की सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक स्थितियों पर विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है, जो उस समय की भारतीय सभ्यता को समझने में सहायक हैं।
मेगस्थनीज़, जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में राजदूत के रूप में भारत आए थे, ने अपने काम “इंडिका” में भारतीय समाज की संरचना और अर्थव्यवस्था पर विस्तृत जानकारी दी है। उन्होंने भारतीय समाज को जाति व्यवस्था में विभाजित बताया, जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र वर्ग शामिल थे। उनके विवरण के अनुसार, भारतीय समाज में वैदिक परंपराएँ और धार्मिक प्रथाएँ गहरी जड़ें जमाए हुए थीं।
आर्थिक दृष्टिकोण से, मेगस्थनीज़ ने भारतीय व्यापार और उद्योग की स्थिति का उल्लेख किया। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय वस्त्र, जैसे सूती और रेशमी कपड़े, और मसाले, जैसे काली मिर्च और दारचीनी, की विदेशी व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। भारत की व्यापारिक समृद्धि और विदेशी व्यापार के प्रति उसका खुलापन ग्रीक इतिहासकारों द्वारा वर्णित किया गया है।
अर्रियन, जो अलेक्जेंडर द ग्रेट के अभियान के दौरान भारत के पश्चिमी भाग से संपर्क में आए थे, ने भारतीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना पर अपने विवरण में जोड़ दिया। उन्होंने भारतीय नगरों की समृद्धि और व्यापारिक गतिविधियों की प्रशंसा की।
ये विवरण प्राचीन भारत के सामाजिक और आर्थिक जीवन की गहराई को समझने के लिए अमूल्य हैं और ग्रीक-भारतीय संपर्कों की ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को स्पष्ट करते हैं।
विजयनगर नरेश कृष्णदेव राय न केवल स्वयं एक कुशल विद्वान थे अपितु विद्या एवं साहित्य के महान संरक्षक भी थे। विवेचना कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
विजयनगर साम्राज्य के नरेश कृष्णदेव राय (1509-1529 CE) एक प्रतिष्ठित विद्वान और साहित्य के महान संरक्षक थे। उनकी विद्या और साहित्य के प्रति गहरी रुचि ने उनके शासनकाल को सांस्कृतिक समृद्धि का युग बना दिया। स्वयं विद्वान: कृष्णदेव राय स्वयं एक कुशल विद्वान थे और अनेक भाषाओं जैसे तेलुगु, संस्कृत और कन्नRead more
विजयनगर साम्राज्य के नरेश कृष्णदेव राय (1509-1529 CE) एक प्रतिष्ठित विद्वान और साहित्य के महान संरक्षक थे। उनकी विद्या और साहित्य के प्रति गहरी रुचि ने उनके शासनकाल को सांस्कृतिक समृद्धि का युग बना दिया।
स्वयं विद्वान:
कृष्णदेव राय स्वयं एक कुशल विद्वान थे और अनेक भाषाओं जैसे तेलुगु, संस्कृत और कन्नड़ में पारंगत थे। उन्होंने तेलुगु भाषा में “अमुक्तमाल्यदा” नामक महाकाव्य लिखा, जो बौद्धिक और धार्मिक विचारों से समृद्ध है और आज भी तेलुगु साहित्य का महत्वपूर्ण अंग है।
साहित्य का संरक्षण:
उनके दरबार में साहित्यिक और बौद्धिक गतिविधियों को अत्यधिक प्रोत्साहन मिला। उनका दरबार “अष्टादिग्गज” के नाम से प्रसिद्ध था, जिसमें आठ प्रमुख विद्वान शामिल थे, जैसे अल्लसानी पेड्दना। इन विद्वानों ने तेलुगु काव्य और साहित्य को नई ऊँचाइयाँ प्रदान की। कृष्णदेव राय ने विद्वानों और कलाकारों को अपने दरबार में आमंत्रित किया और साहित्यिक कार्यों को संरक्षित और प्रचारित किया।
साहित्यिक प्रोत्साहन:
उनके संरक्षण में तेलुगु साहित्य का सुवर्णकाल आया, और कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना हुई। उनके शासनकाल में साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ चरम पर थीं, जो दक्षिण भारतीय सांस्कृतिक परंपरा को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस प्रकार, कृष्णदेव राय का विद्या और साहित्य के प्रति समर्पण और संरक्षण उनके शासनकाल को सांस्कृतिक और बौद्धिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बना देता है।
See lessवैदिक साहित्य का परिचय दीजिए । (125 Words) [UPPSC 2023]
वैदिक साहित्य का परिचय साहित्यिक अभिव्यक्ति: वैदिक साहित्य प्राचीन भारतीय साहित्य का आधारभूत अंग है, जो संस्कृत में लिखा गया है। यह साहित्य मुख्यतः वेदों, उपनिषदों, ब्रह्मणों, और आरण्यकों के रूप में उपलब्ध है। वेद: वैदिक साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण भाग वेद हैं, जो ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेRead more
वैदिक साहित्य का परिचय
साहित्यिक अभिव्यक्ति: वैदिक साहित्य प्राचीन भारतीय साहित्य का आधारभूत अंग है, जो संस्कृत में लिखा गया है। यह साहित्य मुख्यतः वेदों, उपनिषदों, ब्रह्मणों, और आरण्यकों के रूप में उपलब्ध है।
वेद: वैदिक साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण भाग वेद हैं, जो ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद के रूप में विभाजित हैं। ये ग्रंथ धार्मिक अनुष्ठानों, मंत्रों, और वेदांत के ज्ञान का संग्रह हैं।
उपनिषद: उपनिषद वेदों के उपांग हैं जो दार्शनिक ज्ञान और ब्रह्मा (सर्वोच्च सत्य) के अध्ययन पर केंद्रित हैं। छांदोग्य उपनिषद और मुण्डक उपनिषद प्रमुख उदाहरण हैं।
ब्राह्मण और आरण्यक: ब्राह्मण वेदों की तात्त्विक और अनुष्ठानिक व्याख्या प्रदान करते हैं, जबकि आरण्यक वनवासियों के जीवन और साधना पर केंद्रित हैं।
आधुनिक संदर्भ: हाल ही में, वैदिक साहित्य के अध्ययन ने आधुनिक भाषाओं में अनुवाद और सांस्कृतिक पुनरावलोकन को प्रोत्साहित किया है, जैसे संस्कृत का पुनरुद्धार और वैदिक विद्या पर अनुसंधान।
See lessमध्यकालीन भारत के फ़ारसी साहित्यिक स्रोत उस काल के युगबोध का प्रतिबिंब हैं। टिप्पणी कीजिए । (250 words) [UPSC 2020]
Reflection of the Zeitgeist in the Persian Literary Sources of Medieval India The Persian literary sources of medieval India, such as chronicles, memoirs, and poetry, serve as significant reflections of the zeitgeist (spirit of the times) during that period. These sources provide valuable insights iRead more
Reflection of the Zeitgeist in the Persian Literary Sources of Medieval India
The Persian literary sources of medieval India, such as chronicles, memoirs, and poetry, serve as significant reflections of the zeitgeist (spirit of the times) during that period. These sources provide valuable insights into the socio-political, cultural, and intellectual landscape of the era. Here are some key points and recent examples:
1. Socio-Political Landscape:
The Persian sources often chronicle the rise and fall of kingdoms, the interactions between rulers, and the complexities of court politics. For example, the Baburnama, the memoirs of the Mughal emperor Babur, offers a firsthand account of the establishment of the Mughal Empire and the challenges faced by the early Mughal rulers.
2. Cultural Diversity and Syncretism:
The Persian texts highlight the cultural diversity and the process of syncretism that characterized medieval India. The Ain-i-Akbari, a 16th-century administrative text, provides a comprehensive overview of the diverse cultures, customs, and traditions that coexisted within the Mughal Empire.
3. Intellectual and Spiritual Trends:
The Persian literary sources reflect the intellectual and spiritual trends of the time, including the influence of Sufism and the interplay between Islamic and Hindu philosophies. The Divan of Amir Khusrau, a renowned 13th-century poet, showcases the blending of Persian and Indian poetic traditions.
4. Changing Gender Dynamics:
Some Persian texts, such as the Begums of Bhopal, a 19th-century memoir, shed light on the evolving gender dynamics and the roles played by women in medieval and early modern India.
5. Shifts in Political Ideologies:
The Persian sources also document the gradual shifts in political ideologies, from the initial Islamic conquests to the more inclusive and syncretic approaches adopted by rulers like Akbar. The Akbarnama, a chronicle of Akbar’s reign, highlights the emperor’s efforts to bridge religious and cultural divides.
In conclusion, the Persian literary sources of medieval India provide a multifaceted and nuanced understanding of the zeitgeist of that era. These sources offer a window into the complex social, political, cultural, and intellectual currents that shaped the Indian subcontinent during a pivotal period in its history.
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