उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. प्रस्तावना
- विवेक संकट की परिभाषा
- विवेक संकट को परिभाषित करें, जो नैतिक दुविधा के कारण उत्पन्न होने वाला आंतरिक संघर्ष है।
- उल्लेख करें कि यह असहजता तब होती है जब व्यक्ति अपने मूल्यों के खिलाफ कार्य करता है।
- तथ्य: “अंतरात्मा एक व्यक्ति के सही और गलत को परखने की नैतिक समझ है।” (स्रोत: आंतरिक विश्लेषण)
2. विवेक संकट के उदाहरण
- उदाहरण प्रस्तुत करें
- ईमानदार नागरिक को भ्रष्ट अधिकारी को रिश्वत देने की स्थिति।
- आईपीएस अधिकारी को शांतिपूर्ण किसान विरोध को समाप्त करने के आदेश का सामना करना।
- तथ्य: “विवेक संकट तब उत्पन्न होता है जब नैतिक मार्गदर्शन अस्पष्ट होता है।” (स्रोत: नैतिक अध्ययन)
3. विवेक संकट का महत्व
- लोक सेवक पर प्रभाव
- विवेक संकट का समाधान न होने पर व्यक्तिगत और सार्वजनिक विश्वास पर प्रभाव।
4. लोक सेवक के लिए विवेक संकट का सामना करने के तरीके
A. सत्यनिष्ठा और ईमानदारी
- नैतिक निर्णयों में सत्यनिष्ठा बनाए रखना।
- तथ्य: “सत्य और ‘धर्म’ का पालन करके अंतरात्मा को स्पष्ट रखा जा सकता है।” (स्रोत: नैतिक सिद्धांत)
B. भावनात्मक बुद्धिमत्ता
- सामाजिक दबावों को नजरअंदाज कर अपने अंतःकरण की आवाज सुनना।
- तथ्य: “भावनाएँ कभी-कभी नैतिक निर्णयों को प्रभावित कर सकती हैं।” (स्रोत: मनोवैज्ञानिक अध्ययन)
C. विधि और आचार संहिता का पालन
- प्रासंगिक कानूनों और आचार संहिता का संदर्भ लेना।
- तथ्य: “मानक संचालन प्रक्रियाएँ विवेक संकट के समय में दिशा-निर्देश प्रदान करती हैं।” (स्रोत: कानूनी ढांचे)
D. जनता के विश्वास में कार्य करना
- जनहित को प्राथमिकता देना और व्यक्तिगत लाभ से दूर रहना।
- तथ्य: “लोक सेवक जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं।” (स्रोत: सार्वजनिक प्रशासन नैतिकता)
E. करुणा
- जनता की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील होना।
- तथ्य: “एक लोक सेवक करुणा के माध्यम से विवेक संकट का समाधान कर सकता है।” (स्रोत: सामाजिक नैतिकता)
5. निष्कर्ष
- विवेक संकट के महत्व को संक्षेप में दोहराएं।
- यह उल्लेख करें कि नैतिक निर्णय लेना लोक सेवक के लिए कैसे आवश्यक है।
मॉडल उत्तर
परिचय
विवेक संकट का तात्पर्य उस आंतरिक संघर्ष से है जो तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति को नैतिक दुविधा का सामना करना पड़ता है। यह असहजता तब होती है जब व्यक्ति अपने मूल्यों के खिलाफ कार्य करता है। उदाहरण के लिए, यदि एक ईमानदार नागरिक को किसी भ्रष्ट अधिकारी को रिश्वत देने के लिए कहा जाता है, तो वह विवेक संकट का सामना करेगा।
विवेक संकट के उदाहरण
एक आईपीएस अधिकारी को किसानों द्वारा शांतिपूर्ण विरोध को समाप्त करने का आदेश दिया जाता है। इस स्थिति में उसके सामने उद्देश्य और कार्यों के परिणाम दोनों के संदर्भ में अस्पष्टता होती है। यह अधिकारी के लिए एक विवेक संकट उत्पन्न कर सकता है क्योंकि वह अपनी नैतिकता पर पूरी तरह से भरोसा नहीं कर सकता है।
लोक सेवक के लिए विवेक संकट का सामना करने के तरीके
1. सत्यनिष्ठा और ईमानदारी
लोक सेवक को सभी परिस्थितियों में सत्यनिष्ठा और ईमानदारी बनाए रखनी चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि उनके नैतिक निर्णय व्यक्तिगत लालच से प्रभावित न हों।
2. भावनात्मक बुद्धिमत्ता
सामाजिक दबावों को नजरअंदाज करके अपने अंतःकरण की आवाज सुनना आवश्यक है। लोक सेवक को भावनात्मक दवाब में निर्णय नहीं लेना चाहिए।
3. विधि और आचार संहिता का पालन
प्रासंगिक कानूनों और आचार संहिता का पालन करना महत्वपूर्ण है। यह विवेक संकट के समय में मार्गदर्शन प्रदान करता है।
4. जनता के विश्वास में कार्य करना
लोक सेवकों को याद रखना चाहिए कि वे जनता के प्रति जवाबदेह हैं। उन्हें जनहित में निर्णय लेने चाहिए।
5. करुणा
लोक सेवक को जनता की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए। यह विवेक संकट का समाधान करने में मदद करता है।
निष्कर्ष
गांधीजी के अनुसार, “अंतरात्मा का न्यायालय” सभी न्यायालयों से ऊँचा है। संसाधनों की कमी और राजनीतिक दबाव के कारण लोक सेवक को विवेक संकट का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन उपर्युक्त सिद्धांतों का पालन करके वे इस स्थिति का सामना कर सकते हैं।