उत्तर लेखन का रोडमैप
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परिचय
- महिलाओं की आर्थिक भागीदारी का महत्व बताएं।
- वर्तमान स्थिति पर संक्षिप्त जानकारी दें (महिला श्रम शक्ति भागीदारी की प्रतिशतता)।
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महिलाओं की आर्थिक वृद्धि में भूमिका
- मुख्य कारक:
- शैक्षिक उन्नति और STEM में समावेश: महिलाओं की उच्च शिक्षा और STEM में संख्या।
- नीतिगत प्रयास: महिला-नेतृत्व वाले विकास की नीतियाँ।
- महिला उद्यमिता और स्टार्ट-अप: उदाहरण और उनकी बढ़ती संख्या।
- वित्तीय और डिजिटल समावेशन: बैंकिंग और डिजिटल सेवाओं तक पहुँच।
- मुख्य कारक:
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महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियाँ
- कम श्रम शक्ति भागीदारी: LFPR की स्थिति।
- अवैतनिक घरेलू कार्य: समय और श्रम का असमान विभाजन।
- लिंग आधारित वेतन अंतर: आंकड़े और उदाहरण।
- सामाजिक और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: GBV और सुरक्षा के मुद्दे।
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व: संसद में महिलाओं की संख्या।
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महिलाओं के सशक्तीकरण के उपाय
- कौशल विकास: स्थानीय आर्थिक मांगों के अनुरूप।
- महिला उद्यमिता को बढ़ावा देना: एकीकृत वित्त मॉडल।
- बाल देखभाल सुविधाएँ: राष्ट्रीय क्रेच ग्रिड का विकास।
- लिंग-संवेदनशील बुनियादी ढांचा: कार्यस्थल पर।
- निर्णय-निर्माण में प्रतिनिधित्व: लिंग कोटा।
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आगे की राह
- महिलाओं के सशक्तीकरण का समग्र विकास पर प्रभाव।
- SDGs के लक्ष्यों के साथ समन्वय।
मॉडल उत्तर
परिचय
भारत की आर्थिक वृद्धि में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वर्तमान में, महिला श्रम शक्ति भागीदारी 41.7% है, जो पुरुषों (77.2%) और वैश्विक औसत (50%) से कम है। इस स्थिति को सुधारने के लिए महिलाओं के सशक्तीकरण की आवश्यकता है।
महिलाओं की आर्थिक वृद्धि में भूमिका
महिलाओं की आर्थिक वृद्धि में योगदान देने वाले कई प्रमुख कारक हैं:
महिलाओं की शैक्षिक उपलब्धि में वृद्धि हुई है, जिससे उनकी STEM क्षेत्रों में उपस्थिति बढ़ी है। उच्च शिक्षा में महिला नामांकन बढ़कर 2.07 करोड़ हो गया है, जो कुल नामांकन का लगभग 50% है।
महिला-नेतृत्व वाले विकास की दिशा में कई नीतियाँ बनाई गई हैं, जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, जिसके तहत 10 करोड़ महिलाएँ SHGs से जुड़ी हैं।
महिलाएँ अब नौकरी के अभ्यर्थियों से रोजगार सृजक के रूप में परिवर्तित हो रही हैं। उदाहरण के लिए, SIDBI का 10% फंड महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप के लिए निर्धारित है।
महिलाओं के पास 39.2% बैंक खाते हैं, जो उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है।
महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियाँ
महिलाएँ कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं:
LFPR अभी भी 41.7% है, जो वैश्विक औसत से कम है।
महिलाएँ प्रतिदिन 236 मिनट अवैतनिक कार्य करती हैं, जबकि पुरुष 24 मिनट।
शहरी क्षेत्रों में, पुरुष महिलाओं से 29.4% अधिक कमाते हैं।
महिलाओं के खिलाफ अपराध के 51 मामले हर घंटे दर्ज होते हैं।
संसद में महिलाओं की संख्या केवल 13.6% है।
महिलाओं के सशक्तीकरण के उपाय
महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं:
Skill India के तहत महिलाओं के कौशल कार्यक्रमों को स्थानीय मांगों के अनुसार विकसित करना चाहिए।
MUDRA और स्टैंड-अप इंडिया के तहत एकीकृत वित्त मॉडल लागू किया जाना चाहिए।
एक राष्ट्रीय क्रेच ग्रिड विकसित करना आवश्यक है।
कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए सुविधाएँ बढ़ाना चाहिए।
लिंग कोटा लागू करना महिलाओं के लिए निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भागीदारी बढ़ाएगा।
आगे की राह
महिलाओं का सशक्तीकरण भारत के विकास परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि भारत महिलाओं को सशक्त बनाता है, तो यह न केवल समावेशी विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि SDG 5 (लैंगिक समानता) और SDG 8 (अच्छी नौकरी और आर्थिक विकास) के लक्ष्यों के साथ भी संरेखित होगा। महिलाओं की समानता को बढ़ावा देने से वैश्विक जीडीपी में $28 ट्रिलियन की वृद्धि हो सकती है, जिसमें भारत में $770 बिलियन की वृद्धि संभावित है।