उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. प्रस्तावना
- कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (CCTS) का परिचय।
- इसके महत्व का संक्षिप्त वर्णन, विशेषकर शुद्ध-शून्य लक्ष्यों और सतत विकास के संदर्भ में।
2. CCTS के संभावित लाभ
- औद्योगिक प्रतिस्पर्धा: स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन।
- वैश्विक अनुपालन: CBAM के संदर्भ में भारतीय उद्योगों की तैयारी।
- जलवायु कूटनीति में मजबूती: अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं में भारत की स्थिति।
- राजस्व सृजन: कार्बन क्रेडिट की बिक्री से होने वाला राजस्व।
- नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर उद्योगों का रुख करना।
3. चुनौतियाँ
- कमज़ोर उत्सर्जन लक्ष्य: उत्सर्जन की तीव्रता पर ध्यान केंद्रित करने के परिणाम।
- गैर-अनुपालन: दंड और प्रवर्तन में कमी।
- सीमित क्षेत्रीय कवरेज: प्रमुख प्रदूषकों का बहिष्कार।
- मापन और सत्यापन की कमी: विश्वसनीयता में कमी।
- द्वितीयक बाजार का अभाव: पुनर्विक्रय के लिए अव्यवस्थित तंत्र।
4. उपाय
- उत्सर्जन लक्ष्यों को सुदृढ़ करना: महत्त्वाकांक्षी और यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करना।
- क्षेत्रीय कवरेज का विस्तार: औद्योगिक, बिजली उत्पादन, और कृषि क्षेत्रों को शामिल करना।
- नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्रों के साथ एकीकरण: एकीकृत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म स्थापित करना।
- निगरानी और सत्यापन प्रणाली को मजबूत करना: पारदर्शी और विश्वसनीय प्रणाली विकसित करना।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: कर प्रोत्साहन और प्राथमिकता वाले ऋण प्रदान करना।
5. निष्कर्ष
- CCTS की सफलता के लिए समग्र दृष्टिकोण और सहयोग की आवश्यकता।
- भारत की जलवायु कार्रवाई में वैश्विक अभिकर्त्ता बनने की संभावनाएँ।