उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
परिचय
- NCST की भूमिका: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) का उद्देश्य अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों की रक्षा करना और उनके कल्याण के लिए कार्य करना है।
- संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट: हालिया रिपोर्ट में NCST की निष्क्रियता और समस्याओं का उल्लेख किया गया है।
समस्याओं का विश्लेषण
- लंबित रिपोर्टें:
- तथ्य: आयोग की कई रिपोर्ट, जैसे इंदिरा सागर पोलावरम परियोजना का अध्ययन, मंत्रालय में लंबित हैं और अभी तक संसद में प्रस्तुत नहीं की गई हैं (संसदीय स्थायी समिति रिपोर्ट, 2023)।
- जनशक्ति और बजट का अभाव:
- तथ्य: आयोग में कई पद रिक्त हैं और उच्च पात्रता मानदंडों के कारण भर्ती में बाधाएँ उत्पन्न हुई हैं।
- नियमित बैठकों का अभाव:
- तथ्य: वित्त वर्ष 2021-22 में आयोग की केवल चार बैठकें हुईं, जिससे इसकी गतिविधियों में कमी आई (संसदीय स्थायी समिति रिपोर्ट, 2023)।
- विवाद समाधान में विलंब:
- तथ्य: आयोग को प्राप्त शिकायतों की लंवित रहने की दर लगभग 50 प्रतिशत है।
- रिपोर्ट पर कार्रवाई का अभाव:
- तथ्य: संबंधित मंत्रालय आयोग की सिफारिशों को स्वीकार या अस्वीकार करने में स्पष्टता नहीं दिखाते हैं।
सशक्तिकरण के उपाय
- तत्काल भर्ती और बजटीय आवंटन:
- सिफारिश: संसदीय समिति ने NCST के लिए अधिकारियों की भर्ती और बजट आवंटन में त्वरित कार्रवाई करने की सिफारिश की है।
- सार्थक परामर्श को प्रोत्साहित करना:
- सिफारिश: विधायी प्रस्तावों पर NCST से सार्थक परामर्श करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।
- समयबद्ध रिपोर्टिंग:
- सिफारिश: आयोग की रिपोर्टों को तीन महीने के भीतर संसद और राज्य विधानमंडलों में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- विधायी संवीक्षा:
- सिफारिश: आयोग की सिफारिशों पर मंत्रालय द्वारा की गई कार्रवाई की रिपोर्ट छह महीने में प्रस्तुत की जानी चाहिए।
- सरकार द्वारा फीडबैक:
- सिफारिश: सरकार को आयोग को नीतिगत मुद्दों पर फीडबैक प्रदान करना चाहिए, जिससे आयोग अपनी सिफारिशों को और बेहतर बना सके।
निष्कर्ष
- सारांश: NCST की समस्याओं और सशक्तिकरण के उपायों का संक्षेप में पुनरावलोकन।
- आवश्यकता: इन उपायों के माध्यम से NCST अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और विकास को सुनिश्चित कर सकेगा।
उपयोग करने के लिए तथ्य
- लंबित रिपोर्टें: संसदीय स्थायी समिति रिपोर्ट (2023) – रिपोर्टें अभी तक प्रस्तुत नहीं की गई हैं।
- जनशक्ति का अभाव: आयोग में कई पद रिक्त हैं।
- बैठक की आवृत्ति: 2021-22 में केवल चार बैठकें (संसदीय स्थायी समिति रिपोर्ट, 2023)।
- विवाद समाधान की दर: लगभग 50 प्रतिशत शिकायतें लंवित हैं।
- रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं: मंत्रालय आयोग की सिफारिशों के संबंध में स्पष्टता नहीं दिखाते।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) की समस्याएँ
1. संसाधनों की कमी
संसदीय स्थायी समिति की हालिया रिपोर्ट में NCST को मिलने वाले संसाधनों की कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। आयोग को आवश्यक कामकाजी उपकरण, कर्मचारियों और बजट का अभाव है, जिससे वह प्रभावी ढंग से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर पा रहा है।
2. संवेदनशीलता की कमी
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि कुछ सरकारी एजेंसियों और अधिकारियों में अनुसूचित जनजातियों से संबंधित मामलों के प्रति संवेदनशीलता की कमी है। इस कारण से जनजातीय समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
3. नियुक्तियों में कमी
NCST में अधिकारियों और विशेषज्ञों की नियुक्ति में भी देरी हो रही है, जो आयोग की कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही है।
सशक्त बनाने के उपाय
1. बजट और संसाधनों का विस्तार
NCST को पर्याप्त बजट और संसाधन मुहैया कराए जाएं ताकि वह अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभा सके।
2. प्रशिक्षण और संवेदनशीलता अभियान
सरकारी कर्मचारियों को जनजातीय मुद्दों पर प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे इन समुदायों की आवश्यकताओं को सही तरीके से समझ सकें।
3. नियुक्तियों में सुधार
समयबद्ध तरीके से आयोग में योग्य और प्रशिक्षित अधिकारियों की नियुक्ति की जाए।
इससे NCST को सशक्त बनाने में मदद मिल सकती है और जनजातीय समुदाय के अधिकारों की रक्षा हो सकेगी।