उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. प्रस्तावना
- उद्देश्य: भारत में सार्वजनिक खरीद और परियोजना प्रबंधन (PPPM) ढांचे का परिचय।
- संदर्भ: वर्तमान नियम और दिशानिर्देश, जैसे सामान्य वित्तीय नियम (2017) और वित्त मंत्रालय की खरीद नियमावली।
2. वर्तमान चुनौतियाँ
A. व्यापक कानून का अभाव
- तथ्य: भारत में एक व्यापक कानून की कमी है जो प्रतिस्पर्धात्मकता और पारदर्शिता को बढ़ावा दे सके (स्रोत: वित्त मंत्रालय)।
- व्याख्या: यह स्थिति सार्वजनिक धन के उपयोग में जिम्मेदारी और जवाबदेही को कमजोर करती है।
B. सार्वजनिक खरीद की बढ़ती हिस्सेदारी
- तथ्य: भारत का सार्वजनिक खरीद बाजार GDP के 20-22% के बीच है, जो लगभग 500 अरब डॉलर वार्षिक है (स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स)।
- व्याख्या: इस बड़े पैमाने पर, एक मजबूत और पारदर्शी ढांचे की आवश्यकता है।
C. जटिल नियामक ढांचा
- तथ्य: त्रिस्तरीय शासन और विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय की कमी है (स्रोत: नीति आयोग)।
- व्याख्या: यह जटिलता सार्वजनिक खरीद की दक्षता को प्रभावित करती है।
D. L1 विधि की प्रभावहीनता
- तथ्य: L1 विधि के अंतर्गत सबसे कम बोली लगाने वाले का चयन किया जाता है, जो गुणवत्ता की अनदेखी करता है (स्रोत: गुणवत्ता परिषद भारत)।
- व्याख्या: इससे विलंब, उच्च जीवन चक्र लागत और मध्यस्थता जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
3. सुधार के उपाय
A. विधायी समर्थन
- सुझाव: सामान्य वित्तीय नियमों को विधायी रूप से समर्थन देना।
B. पारदर्शिता बढ़ाना
- सुझाव: असफल बोलीदाताओं को उनकी असफलता के कारणों से अवगत कराना।
C. प्रक्रियाओं को सरल बनाना
- सुझाव: अनुचित प्रथाओं का पता लगाने और रोकने के लिए CCI और सरकारों के बीच समन्वय बढ़ाना।
D. ई-खरीद पद्धतियाँ
- सुझाव: केंद्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल और GeM का उपयोग बढ़ाना।
E. क्षमता निर्माण
- सुझाव: खरीद अधिकारियों के लिए आवधिक प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना।
4. निष्कर्ष
- सारांश: PPPM ढांचे में सुधार की आवश्यकता को संक्षेप में बताना।
- महत्त्व: तेज, कुशल, और पारदर्शी क्रियान्वयन के लिए सुधारों का महत्व।
प्रासंगिक तथ्य
- व्यापक कानून का अभाव: भारत में प्रतिस्पर्धात्मकता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक कानून की कमी है (स्रोत: वित्त मंत्रालय)।
- सार्वजनिक खरीद बाजार: GDP के 20-22% के बीच, लगभग 500 अरब डॉलर वार्षिक (स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स)।
- जटिलता: त्रिस्तरीय शासन की जटिलता (स्रोत: नीति आयोग)।
- L1 विधि की प्रभावहीनता: गुणवत्ता की अनदेखी करता है और समस्या उत्पन्न करता है (स्रोत: गुणवत्ता परिषद भारत)।
भारत में PPPM ढांचे की आवश्यकता
भारत में सरकारी परियोजनाओं के तेज, कुशल और पारदर्शी क्रियान्वयन के लिए सार्वजनिक खरीद और परियोजना प्रबंधन (PPPM) ढांचे में सुधार जरूरी है। इसके कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
1. अवधि में देरी और बजट से अधिक खर्च
2. पारदर्शिता की कमी
3. प्रौद्योगिकी और नवाचार का अभाव
समाधान
यह उत्तर सरकारी परियोजनाओं के PPPM ढांचे में सुधार की आवश्यकता के प्रमुख कारणों को सही ढंग से प्रस्तुत करता है, जैसे कि समय और बजट में देरी, पारदर्शिता की कमी, और प्रौद्योगिकी के अभाव। हालांकि, कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं की कमी है:
डेटा और संदर्भ: उदाहरण के लिए, दिल्ली मेट्रो परियोजना का जिक्र किया गया है, लेकिन 2 साल की देरी और बजट से अधिक खर्च का अधिक विशिष्ट डेटा या रिपोर्ट से संदर्भ नहीं दिया गया है। यह उत्तर को अधिक विश्वसनीय बना सकता था।
CAG रिपोर्ट: CAG रिपोर्ट 2023 का उल्लेख किया गया है, लेकिन किन परियोजनाओं में गड़बड़ी पाई गई, इसका विस्तृत उदाहरण नहीं दिया गया है। रिपोर्ट से कुछ ठोस डेटा और आंकड़े जोड़ने से उत्तर और भी मजबूत हो सकता था।
Vinitha आप इस फीडबैक का भी उपयोग कर सकती हो।
समाधान: समाधान का भाग संक्षिप्त है। PPPM ढांचे में सुधार के लिए विश्व बैंक और OECD जैसे संगठनों द्वारा सुझाए गए मॉडल या अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं का उल्लेख किया जा सकता था, ताकि उत्तर में गहराई और ठोस समाधान प्रस्तुत हो सके।
सामान्यतः उत्तर संतोषजनक है, लेकिन अधिक आंकड़े, स्रोत और विस्तृत समाधान जोड़ने से यह और प्रभावशाली हो सकता था।
मॉडल उत्तर
1. व्यापक कानून का अभाव
भारत में सार्वजनिक खरीद के लिए एक व्यापक कानून का अभाव है, जो प्रतिस्पर्धात्मकता और पारदर्शिता को बढ़ावा दे सके। यह स्थिति सार्वजनिक धन के बड़े उपयोग के बावजूद जिम्मेदारी और जवाबदेही को कमजोर करती है (स्रोत: वित्त मंत्रालय)।
2. सार्वजनिक खरीद की बढ़ती हिस्सेदारी
सार्वजनिक खरीद बाजार भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 20-22 प्रतिशत के बीच है, जो लगभग 500 अरब डॉलर वार्षिक है (स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स)। इस बड़े पैमाने पर, एक मजबूत और पारदर्शी खरीद ढांचे की आवश्यकता है ताकि प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा मिल सके।
3. जटिल नियामक ढांचा
त्रिस्तरीय शासन और विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय की कमी के कारण सार्वजनिक खरीद की दक्षता प्रभावित होती है। यह जटिलता विभिन्न उद्देश्यों और नीतियों के बीच भिन्नता को जन्म देती है (स्रोत: नीति आयोग)।
4. न्यूनतम लागत चयन (L1) विधि की प्रभावहीनता
L1 विधि के अंतर्गत सबसे कम बोली लगाने वाले का चयन किया जाता है, लेकिन यह उच्च गुणवत्ता और प्रदर्शन की अनदेखी करता है। भारतीय गुणवत्ता परिषद के अध्ययन के अनुसार, यह विधि विलंब, उच्च जीवन चक्र लागत और मध्यस्थता जैसी समस्याओं का कारण बनती है (स्रोत: गुणवत्ता परिषद भारत)।
सुधार के उपाय