उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. परिचय (50-75 शब्द)
- संदर्भ: भारत की तटरेखा और बंदरगाहों का आर्थिक महत्व।
- थीसिस वक्तव्य: इस उत्तर में भारत में बंदरगाह अवसंरचना के विकास में आने वाली चुनौतियों और इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का वर्णन किया जाएगा।
2. बंदरगाह अवसंरचना के विकास में चुनौतियाँ (100-125 शब्द)
1. वित्तीय बाधाएँ
- विवरण: निवेश की कमी और खराब वित्तपोषण के कारण बंदरगाहों का विकास बाधित होता है।
- तथ्य: आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, वित्तीय सीमाएँ छोटे बंदरगाहों की निराशाजनक स्थिति का एक प्रमुख कारण हैं (Source: Economic Survey 2021-22)।
2. निजी क्षेत्र की सीमित भागीदारी
- विवरण: बंदरगाह परियोजनाओं की वित्तीय व्यवहार्यता निजी विकासकर्ताओं के लिए एक बड़ी बाधा है।
- तथ्य: ग्रीनफील्ड परियोजनाएँ आमतौर पर दूरदराज के स्थानों पर होती हैं, जिसके लिए सरकारी समर्थन की आवश्यकता होती है।
3. नियामक मुद्दे
- विवरण: अलग-अलग क्षेत्राधिकारों और कठोर नियामक ढांचे के कारण विकास में बाधाएँ आती हैं।
- तथ्य: भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय मंजूरी में विलंब भी समस्याएँ उत्पन्न करता है।
4. अवसंरचना संबंधी बाधाएँ
- विवरण: उच्च टर्नओवर समय और माल ढुलाई की लागत भारतीय बंदरगाहों को कम प्रतिस्पर्धी बनाती हैं।
- तथ्य: सिंगापुर में औसत जहाज टर्नअराउंड समय एक दिन से कम है, जबकि भारत में यह दो दिनों से अधिक है।
5. पुराने डॉक और टर्मिनल
- विवरण: पुराने बंदरगाहों की खराब रखरखाव और उन्नयन की कमी।
3. सरकारी कदम (100-125 शब्द)
1. सागरमाला परियोजना
- विवरण: भारत के बंदरगाहों का आधुनिकीकरण करने और तटरेखा के विकास को बढ़ावा देने के लिए।
2. केंद्रीय बंदरगाह प्राधिकरण (CPA) अधिनियम
- विवरण: प्रमुख बंदरगाहों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करता है।
3. संशोधित आदर्श रियायत समझौता (MCA)
- विवरण: निजी क्षेत्र को बंदरगाहों के विकास में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिसमें 10 वर्ष तक कर छूट शामिल है।
4. प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021
- विवरण: प्रमुख बंदरगाहों का प्रशासनिक नियंत्रण उनके प्राधिकरण बोर्डों को सौंपता है।
5. नई कैप्टिव नीति
- विवरण: रियायत अवधि के नवीनीकरण और उद्योगों के लिए गतिशील कारोबारी माहौल बनाने के लिए।
6. कारोबार सुगमता बढ़ाने के प्रयास
- विवरण: उद्यम व्यापार प्रणाली (EBS) और नेशनल लॉजिस्टिक्स पोर्टल (मरीन) जैसे उपाय प्रक्रियाओं को सरल बनाते हैं।
4. निष्कर्ष (50-75 शब्द)
- सारांश: बंदरगाहों के विकास में चुनौतियाँ और सरकारी कदमों का संक्षिप्त पुनरावलोकन।
- क्रियावली का सुझाव: बंदरगाह अवसंरचना के विकास के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है, जो आर्थिक व्यापार और प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करेगा।
भारत में बंदरगाह अवसंरचना की चुनौतियाँ
भारत में बंदरगाह अवसंरचना के विकास में कई महत्वपूर्ण समस्याएँ आ रही हैं:
अधूरी अवसंरचना
लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी की समस्या
प्रदूषण और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
सरकार के कदम
भारत में बंदरगाह अवसंरचना के विकास में कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें प्रमुख हैं—अवसंरचना की कमी, वित्तीय संसाधनों की अभाव, और पर्यावरणीय नीतियों का पालन। कई बंदरगाहों में तकनीकी उन्नति की कमी और आधुनिक उपकरणों की भी समस्या है। इसके अलावा, भूमि अधिग्रहण, स्थानीय समुदायों का विरोध और आपूर्ति श्रृंखला में विघटन भी मुश्किलें उत्पन्न करते हैं।
सरकार ने इन समस्याओं से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। “भारत माला परियोजना” के तहत सड़क और रेल नेटवर्क को सुदृढ़ किया जा रहा है, जिससे बंदरगाहों तक सामग्री की पहुंच बेहतर हो। “सागरमाला योजना” के तहत बंदरगाहों के आधुनिकीकरण और नई सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा, “मेक इन इंडिया” और “डी-गंठन” पहलें भी निवेश आकर्षित करने में सहायक साबित हो रही हैं।