उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. परिचय
- हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) की भौगोलिक स्थिति और इसका महत्व।
- भारत की प्राचीन समुद्री परंपरा का उल्लेख।
2. हिंद महासागर का रणनीतिक महत्व
- आर्थिक महत्व: भारत के व्यापार और ऊर्जा आयात में भूमिका।
- भू-राजनीतिक प्रभाव: क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा।
- सुरक्षा मुद्दे: समुद्री डकैती, आतंकवाद और अवैध गतिविधियाँ।
3. भारत की विदेश नीति और रणनीतिक हित
- सागरमाला परियोजना: बंदरगाह विकास और व्यापार को बढ़ावा।
- SAGAR और हिंद-प्रशांत महासागर पहल: क्षेत्रीय नेतृत्व का सुदृढ़ीकरण।
- द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौते: QUAD, BIMSTEC, ASEAN आदि।
4. बढ़ती भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा
- चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति और उसकी रणनीति।
- अन्य वैश्विक शक्तियों का प्रभाव।
5. भारत के लिए उपाय
- नौसेना और समुद्री क्षमताओं का विस्तार: अधिक युद्धपोत और submarines।
- सुरक्षा साझेदारियों को मजबूत करना: द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग।
- आर्थिक और व्यापार कूटनीति: नए व्यापार गलियारों का विकास।
- साइबर सुरक्षा: समुद्री बुनियादी ढांचे की सुरक्षा।
6. आगे की राह
- भारत की समुद्री नीति के महत्व का सारांश।
- स्थिरता, संवहनीयता और साझा विकास की दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता।
हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region – IOR) भारत की विदेश नीति में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा, और सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि:
भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा और भारत का प्रभाव
वर्तमान में, आईओआर में भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, विशेषकर चीन की बढ़ती उपस्थिति के कारण। इस चुनौती से निपटने के लिए भारत कुछ प्रमुख कदम उठा सकता है:
भारत की बढ़ती भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करना, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से आवश्यक है।
इस उत्तर में प्रश्न के मुख्य बिंदुओं का उल्लेख किया गया है, परंतु इसमें कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों और आंकड़ों की कमी है जो उत्तर को अधिक सटीक और विश्वसनीय बना सकते हैं।
गुम तथ्य: हिंद महासागर क्षेत्र के संबंध में भारत की ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region) पहल का उल्लेख नहीं है, जो इस क्षेत्र में भारत की सुरक्षा और विकास नीतियों को प्रोत्साहित करता है।
डेटा की कमी: हिंद महासागर क्षेत्र में नौसैनिक बंदरगाहों और आधारों (जैसे चाबहार, सबांग) का रणनीतिक महत्व भी जोड़ा जा सकता है।
चीन का प्रभाव: चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल और इसके तहत आने वाले ‘String of Pearls’ रणनीति का विस्तार से विश्लेषण किया जा सकता था।
मल्टीलेटरल साझेदारियों का उल्लेख: Quad के अलावा IONS (Indian Ocean Naval Symposium) और IORA (Indian Ocean Rim Association) जैसी अन्य बहुपक्षीय संस्थाओं का संदर्भ देना चाहिए था।
इस उत्तर में विस्तृत आंकड़े और रणनीतिक पहलुओं को शामिल करना उत्तर को और प्रभावशाली बना सकता है।
मॉडल उत्तर
परिचय
हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) की भौगोलिक स्थिति इसे वैश्विक व्यापार और ऊर्जा मार्गों का प्रमुख केंद्र बनाती है। यह क्षेत्र न केवल भारत के लिए बल्कि अन्य वैश्विक शक्तियों के लिए भी रणनीतिक महत्व रखता है। भारत की प्राचीन समुद्री परंपरा और उसके आर्थिक हित इसे इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाते हैं।
हिंद महासागर का रणनीतिक महत्व
हिंद महासागर भारत का प्राथमिक व्यापार मार्ग है, जो लगभग 80% बाहरी व्यापार और 90% ऊर्जा आयात का संचालन करता है। इसके अलावा, यह क्षेत्र वैश्विक शक्तियों के लिए भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन गया है, जहाँ अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश प्रभाव के लिए होड़ कर रहे हैं। सुरक्षा मुद्दों के संदर्भ में, समुद्री डकैती और आतंकवाद जैसे खतरे इस क्षेत्र की स्थिरता को चुनौती देते हैं।
भारत की विदेश नीति और रणनीतिक हित
भारत की सागरमाला परियोजना जैसे उपाय बंदरगाह विकास और व्यापार को बढ़ावा देती है। SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) और हिंद-प्रशांत महासागर पहल के माध्यम से, भारत अपने क्षेत्रीय नेतृत्व को सुदृढ़ कर रहा है। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों जैसे QUAD और BIMSTEC भारत को इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करते हैं।
बढ़ती भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा:
चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति, विशेष रूप से स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स रणनीति के माध्यम से, भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है। इसके अतिरिक्त, अमेरिका और रूस जैसी अन्य शक्तियाँ भी अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रही हैं, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा में जटिलताएँ बढ़ रही हैं।
भारत के लिए उपाय
भारत को अपनी नौसेना और समुद्री क्षमताओं का विस्तार करना चाहिए। अधिक विमान वाहक, परमाणु पनडुब्बियाँ और बहु-भूमिका वाले युद्धपोतों को शामिल करना आवश्यक है। इसके साथ ही, सुरक्षा साझेदारियों को मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। आर्थिक और व्यापार कूटनीति के तहत नए व्यापार गलियारों का विकास और साइबर सुरक्षा में निवेश करना भी महत्वपूर्ण है।
आगे की राह
हिंद महासागर में भारत के सामरिक हित इसके ऐतिहासिक समुद्री महत्व और सुरक्षा, व्यापार एवं क्षेत्रीय सहयोग पर इसके समकालीन फोकस से आकार लेते हैं। भारत को इस क्षेत्र में स्थिरता और साझा विकास की दिशा में आगे बढ़ते रहना चाहिए, ताकि वह एक संतुलित वैश्विक व्यवस्था सुनिश्चित कर सके।