उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. परिचय (50-75 शब्द)
- परिभाषा: स्विस चैलेंज मॉडल को संक्षेप में समझाएं कि यह सार्वजनिक खरीद की एक विधि है जिसमें अवांछित प्रस्ताव प्राप्त होते हैं।
- संदर्भ: 2009 में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का उल्लेख करें, जिसने इस विधि को मान्यता दी।
2. स्विस चैलेंज मॉडल की प्रक्रिया (75-100 शब्द)
- प्रक्रिया: इस मॉडल के चरणों का वर्णन करें:
- अवांछित प्रस्ताव की प्राप्ति
- सरकारी प्राथमिकताओं के अनुसार मूल्यांकन
- तीसरे पक्ष से प्रतिस्पर्धी काउंटर प्रस्तावों का आमंत्रण
- मूल प्रस्तावक को संशोधन का अवसर
- सर्वश्रेष्ठ प्रस्ताव को अनुबंध का पुरस्कार।
3. स्विस चैलेंज मॉडल के लाभ (100-125 शब्द)
- प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा: इष्टतम लागत प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धी बोली। (Source: उच्चतम न्यायालय, 2009)
- दक्षता में वृद्धि: अन्य PPP मॉडल की तुलना में समय और लागत की बचत। (Source: विशेषज्ञ विश्लेषण)
- व्यावसायिकता: परियोजना की तैयारी में पेशेवर दृष्टिकोण। (Source: खरीद दिशानिर्देश)
- रचनात्मकता: बेहतर डिज़ाइन प्रस्तुत करने की अनुमति। (Source: उद्योग रिपोर्ट)
- समानता: सीमित संसाधनों वाली सरकारों के लिए सहायक। (Source: सार्वजनिक नीति मूल्यांकन)
4. स्विस चैलेंज मॉडल की समस्याएँ (100-125 शब्द)
- पारदर्शिता का मुद्दा: अवांछित प्रस्तावों में पारदर्शिता की कमी। (Source: नीति समीक्षाएँ)
- क्रोनी कैपिटलिज्म: अनुचित साधनों के उपयोग की संभावना। (Source: आर्थिक समीक्षाएँ)
- बोली की विषमता: तैयारी में असमानता। (Source: कानूनी चर्चा)
- कानूनी वैधता का मुद्दा: नियामक ढाँचे की कमी। (Source: कानूनी विश्लेषण)
- मौद्रिक मूल्य को मापने में कठिनाई: मूल प्रस्तावक को अनुबंध न मिलने पर मूल्यांकन कठिन। (Source: वित्तीय मूल्यांकन)
5. निष्कर्ष (50-75 शब्द)
- सारांश: स्विस चैलेंज मॉडल के लाभ और समस्याओं का संक्षेप में पुनरावलोकन करें।
- कार्रवाई का सुझाव: राष्ट्रीय नीति ढाँचे की आवश्यकता को उजागर करें ताकि समस्याओं का समाधान किया जा सके और नवाचार को बढ़ावा मिल सके।
मॉडल उत्तर
परिचय
स्विस चैलेंज मॉडल एक सार्वजनिक खरीद विधि है जिसमें किसी सार्वजनिक प्राधिकरण को एक अवांछित प्रस्ताव (unsolicited proposal) प्राप्त होता है। यह प्रस्ताव मुख्य रूप से डिजाइन, प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा अधिकारों की विशिष्टता से संबंधित होता है। यदि यह प्रस्ताव सरकारी प्राथमिकताओं के अनुरूप है, तो प्राधिकरण तीसरे पक्ष से प्रतिस्पर्धी काउंटर प्रस्ताव आमंत्रित कर सकता है। बेहतर प्रस्ताव मिलने पर, मूल प्रस्तावक को अपने प्रस्ताव में संशोधन का अवसर दिया जाता है और अंत में सबसे बेहतर प्रस्ताव को अनुबंध दिया जाता है। उच्चतम न्यायालय ने 2009 में इस विधि को वैधता दी थी और विभिन्न राज्य सरकारों को इस पर दिशानिर्देश तैयार करने के लिए प्रेरित किया है, जैसे महाराष्ट्र और कर्नाटका ने किया है।
स्विस चैलेंज मॉडल के लाभ
स्विस चैलेंज मॉडल से जुड़ी समस्याएँ
इन समस्याओं का समाधान करने के लिए स्विस चैलेंज विधि के लिए एक राष्ट्रीय नीति ढाँचे की स्थापना आवश्यक है, जिससे नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके और प्रतिस्पर्धा को सुदृढ़ किया जा सके।
स्विस चैलेंज मॉडल (Swiss Challenge Model) एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल है, जिसमें सरकार एक परियोजना के लिए एक प्रस्तावित टेंडर जारी करती है, और फिर किसी विशेष कंपनी या संस्था को इस परियोजना को लागू करने का अधिकार देती है। अन्य कंपनियां इस प्रस्ताव को चुनौती दे सकती हैं, लेकिन मूल कंपनी को सबसे अच्छा प्रस्ताव देने का अवसर मिलता है।
स्विस चैलेंज मॉडल के लाभ
स्विस चैलेंज मॉडल की समस्याएं
स्विस चैलेंज मॉडल को भारत में भी इस्तेमाल किया गया है, खासकर सड़क और पुल निर्माण परियोजनाओं में, लेकिन इसके समक्ष उठते भ्रष्टाचार और पारदर्शिता के मुद्दे अब भी महत्वपूर्ण हैं।
यह उत्तर स्विस चैलेंज मॉडल के मूल सिद्धांतों और इसके लाभों और समस्याओं का अच्छा वर्णन करता है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण बिंदु छूट गए हैं।
सबसे पहले, मॉडल का अधिक स्पष्ट विवरण होना चाहिए, जैसे कि यह कैसे कार्य करता है और इसके अन्य क्षेत्रों में उपयोग। उदाहरण के लिए, इसका भारत के संदर्भ में सड़क और पुल निर्माण के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी प्रयोग किया गया है, जैसे जल प्रबंधन और शिक्षा में।
लाभों में यह भी जोड़ सकते हैं कि यह सरकार को बिना नीलामी के बेहतर प्रस्ताव प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे समय और संसाधन बचते हैं। समस्याओं में और भी चुनौतियों का जिक्र हो सकता है, जैसे कि परियोजनाओं के धीमे कार्यान्वयन या विवादित मामलों में कानूनी मुद्दों का सामना करना।
उत्तर में कुछ डेटा या सटीक उदाहरण भी जोड़ सकते हैं। जैसे, भारत में 2015 में कर्नाटक राज्य ने इस मॉडल का उपयोग किया था, और उसमें पारदर्शिता को लेकर विवाद उत्पन्न हुए थे।
Yashvi आप इस फीडबैक का भी उपयोग कर सकती हो।
छूटे हुए तथ्य:
भारत में उपयोग के और उदाहरण।
कानूनी विवाद और पारदर्शिता से संबंधित मुद्दे।
परियोजनाओं के धीमे क्रियान्वयन की चुनौतियां।