उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. प्रस्तावना
- कृषि विपणन की परिभाषा और इसका महत्त्व।
- भारत में कृषि विपणन से जुड़े मुद्दों का संक्षिप्त परिचय।
2. भारत में कृषि विपणन से जुड़े मुद्दे
A. संस्थागत मुद्दे
- लाइसेंसिंग संबंधी बाधाएं:
- कमीशन एजेंट या व्यापारी के रूप में लाइसेंस प्राप्त करने के लिए दुकान या गोदाम का मालिक होना अनिवार्य है। यह नए उद्यमियों के लिए एक प्रमुख बाधा है।
(स्रोत: कृषि विपणन अध्ययन)
- कमीशन एजेंट या व्यापारी के रूप में लाइसेंस प्राप्त करने के लिए दुकान या गोदाम का मालिक होना अनिवार्य है। यह नए उद्यमियों के लिए एक प्रमुख बाधा है।
- बाजार शुल्क का उच्च भार:
- APMCs द्वारा उत्पाद की बिक्री मूल्य के 0.5% से 2.0% तक बाजार शुल्क लिया जाता है, और कुछ राज्यों में कुल शुल्क 15% तक होता है।
(स्रोत: बाजार विनियमन रिपोर्ट)
- APMCs द्वारा उत्पाद की बिक्री मूल्य के 0.5% से 2.0% तक बाजार शुल्क लिया जाता है, और कुछ राज्यों में कुल शुल्क 15% तक होता है।
- मानकीकृत ग्रेडिंग का अभाव:
- बिक्री से पहले मानकीकृत ग्रेडिंग तंत्र की कमी, जिससे किसान अपनी उपज की गुणवत्ता के अनुसार उचित मूल्य नहीं प्राप्त कर पाते हैं।
B. ढांचागत मुद्दे
- कृषि बाजारों की अवसंरचना:
- केवल दो-तिहाई विनियमित बाजारों में कवर किए गए नीलामी प्लेटफार्म हैं, और 10% से कम में कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं उपलब्ध हैं।
(स्रोत: बाजार अवसंरचना रिपोर्ट)
- केवल दो-तिहाई विनियमित बाजारों में कवर किए गए नीलामी प्लेटफार्म हैं, और 10% से कम में कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं उपलब्ध हैं।
- परियोजनाओं की आर्थिक व्यवहार्यता:
- कृषि विपणन अवसंरचना परियोजनाओं की लंबी परिचालन अवधि और मौसमी तत्व निवेश में बाधा डालते हैं।
C. बाजार सूचना प्रणाली के मुद्दे
- मांग संकेतों में अंतराल:
- कुशल वास्तविक समय सूचनात्मक चैनलों की अनुपस्थिति से मांग संकेतों में अंतराल उत्पन्न होता है।
- सीमित सूचना चैनल:
- वर्तमान सूचना प्रणाली केवल प्रमुख उत्पादों की कीमतों तक सीमित है और स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध नहीं है।
3. उठाए गए कदम
A. मॉडल APMC अधिनियम, 2003
- इस अधिनियम का उद्देश्य मौजूदा नियमों में संशोधन करना है। अब तक केवल 16 राज्यों ने अपने अधिनियम में संशोधन किया है।
(स्रोत: सरकारी रिपोर्ट)
B. उपभोक्ता/कृषक बाजार
- किसानों द्वारा सीधे उपभोक्ताओं को उत्पाद बेचने के उदाहरण, जैसे पंजाब की अपनी मंडी और आंध्र प्रदेश के रायथु बाजार।
C. कृषि विपणन सूचना नेटवर्क (AGMARKNET)
- यह एक G2C ई-गवर्नेंस पोर्टल है, जो कृषि विपणन संबंधी जानकारी प्रदान करता है।
D. ग्रामीण कृषि बाजार (GrAM)
- 22,000 ग्रामीण हाटों को GrAM में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है, जो बेहतर अवसंरचना और सड़क संपर्क प्रदान करेगा।
E. किसान रेल
- सब्जियों और फलों के सुरक्षित और तेज परिवहन के लिए यह पहल किसानों की मदद करेगी।
F. किसान उपज संगठनों (FPOs)
- 2019-20 से 2023-24 तक 10,000 FPOs का गठन करने की योजना, जो किसानों को सहायता प्रदान करेगी।
4. निष्कर्ष
- कृषि विपणन के मुद्दों का समाधान आवश्यक है ताकि किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य मिल सके।
- सरकार की पहलों से विपणन अवसंरचना में सुधार और किसानों की स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
प्रासंगिक तथ्य
- लाइसेंसिंग बाधाएं: नए उद्यमियों के लिए एपीएमसी में प्रवेश में बाधा (स्रोत: कृषि विपणन अध्ययन)।
- बाजार शुल्क: APMCs द्वारा 0.5% से 2.0% तक बाजार शुल्क (स्रोत: बाजार विनियमन रिपोर्ट)।
- अवसंरचना: केवल 10% बाजारों में कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध है (स्रोत: बाजार अवसंरचना रिपोर्ट)।
- मॉडल APMC अधिनियम: केवल 16 राज्यों ने संशोधन किया है (स्रोत: सरकारी रिपोर्ट)।
- AGMARKNET: कृषि विपणन संबंधी जानकारी का एकल खिड़की पोर्टल।
यह रोडमैप एक स्पष्ट और संरचित उत्तर विकसित करने में मदद करेगा, जिसमें सभी महत्वपूर्ण मुद्दों और कदमों को शामिल किया गया है।
भारत में कृषि विपणन के मुद्दे
भारत में कृषि विपणन से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं:
उठाए गए कदम
निष्कर्ष
कृषि विपणन में सुधार के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं, ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो सके और वे बेहतर जीवन जी सकें।
यह उत्तर कुछ प्रमुख मुद्दों और कदमों को उजागर करता है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और आंकड़े छूट गए हैं जो उत्तर को और सटीक बना सकते हैं।
Abhiram आप इस फीडबैक का भी उपयोग कर सकते हैं।
मध्यस्थों की अधिकता का उल्लेख सही है, लेकिन इसमें APMC (कृषि उपज विपणन समिति) से जुड़े मुद्दों का विस्तार नहीं किया गया है। APMC के नियम कई जगह किसानों के लिए बाधक बनते हैं।
बुनियादी ढाँचे की कमी का जिक्र करते हुए, 2017 की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, लेकिन e-NAM (राष्ट्रीय कृषि बाजार) जैसे कदमों का उल्लेख नहीं किया गया है जो डिजिटल मार्केटिंग प्लेटफार्म के जरिए सीधे किसानों को जोड़ने का प्रयास है।
ग्रेडिंग और मानकीकरण की कमी का मुद्दा सही है, पर इसमें कृषि उपज ग्रेडिंग और मानकीकरण अधिनियम का जिक्र हो सकता था।
उठाए गए कदमों में कृषि सुधार अधिनियम 2020 का उल्लेख हो सकता था, जो किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को भी बढ़ावा देने का लक्ष्य रखते हैं।
MSP पर विस्तार से चर्चा की जा सकती है, जैसे कि कितने फसलों पर MSP लागू होता है और इसके क्या प्रभाव हैं।
संक्षेप में, उत्तर अच्छा है लेकिन विस्तृत आंकड़े और सरकारी नीतियों का उल्लेख इसमें और जोड़ा जा सकता है।
मॉडल उत्तर
1. संस्थागत मुद्दे
2. ढांचागत मुद्दे
3. बाजार सूचना प्रणाली के मुद्दे
उठाए गए कदम
1. मॉडल APMC अधिनियम, 2003
इस अधिनियम का उद्देश्य मौजूदा नियमों में संशोधन करना है, हालांकि केवल 16 राज्यों ने अपने अधिनियम में संशोधन किया है।
2. उपभोक्ता/कृषक बाजार
किसानों द्वारा सीधे उपभोक्ताओं को उत्पाद बेचने के उदाहरण, जैसे पंजाब की अपनी मंडी और आंध्र प्रदेश के रायथु बाजार।
3. कृषि विपणन सूचना नेटवर्क (AGMARKNET)
यह एक G2C ई-गवर्नेंस पोर्टल है जो कृषि विपणन संबंधी जानकारी प्रदान करता है।
4. ग्रामीण कृषि बाजार (GrAM)
22,000 ग्रामीण हाटों को GrAM में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है, जो बेहतर अवसंरचना और सड़क संपर्क प्रदान करेगा।
5. किसान रेल
सब्जियों और फलों के सुरक्षित और तेज परिवहन के लिए यह पहल किसानों की मदद करेगी।
6. किसान उपज संगठनों (FPOs)
2019-20 से 2023-24 तक 10,000 FPOs का गठन करने की योजना, जो किसानों को सहायता प्रदान करेगी।
निष्कर्ष
कृषि विपणन के मुद्दों का समाधान करना आवश्यक है ताकि किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य मिल सके। सरकार की पहलों से विपणन अवसंरचना में सुधार और किसानों की स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी।