उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. परिचय
- सवाल की मुख्य अवधारणा को स्पष्ट करें: अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए विभिन्न संस्थान काम कर रहे हैं, लेकिन राष्ट्र अपने स्वार्थों के चलते इन संस्थानों के दिशा-निर्देशों और नैतिक मूल्यों की अनदेखी करते हैं।
- यह स्पष्ट करें कि विश्वभर में कई संगठन जैसे संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन आदि इन दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन वास्तविकता में राष्ट्र अक्सर अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा, शक्ति या क्षेत्रीय वर्चस्व को प्राथमिकता देते हैं।
2. अंतर्राष्ट्रीय संस्थान और उनका उद्देश्य
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों का उल्लेख करें।
- इनके उद्देश्य को स्पष्ट करें जैसे निष्पक्षता, शांति बनाए रखना, और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना।
- उदाहरण: संयुक्त राष्ट्र का “शांति और सुरक्षा बनाए रखना” और “विकासात्मक सहायता प्रदान करना”।
3. राष्ट्रों द्वारा नैतिक मूल्यों की अनदेखी
- राष्ट्र अक्सर अपने स्वार्थों को प्राथमिकता देते हैं, जैसे शक्ति संतुलन, राष्ट्रीय सुरक्षा, और क्षेत्रीय वर्चस्व के लिए।
- उदाहरण: अमेरिका द्वारा जापान पर परमाणु बम का हमला (द्वितीय विश्व युद्ध) – अमेरिका ने शांति की वकालत की, लेकिन युद्ध में शामिल होने पर निष्पक्षता को चुनौती दी।
- चीन का पाकिस्तान को सैन्य सहायता देना – चीन, पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करता है, हालांकि यह जानता है कि पाकिस्तान भारत के लिए खतरा है, और इसे अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों का उल्लंघन माना जाता है।
4. स्वार्थ और नैतिकता के बीच टकराव
- उदाहरण: औपनिवेशिक हँगओवर – ब्रिटेन द्वारा भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप (अनुच्छेद 370)।
- विकसित देशों का जलवायु परिवर्तन से निपटने में असहयोग – विकसित देशों का जलवायु संकट में न्यायसंगत योगदान से बचना, जबकि ये देशों ने अधिक कार्बन उत्सर्जन किया है।
- क्षेत्रीय वर्चस्व – रूस का यूक्रेन पर आक्रमण, जहां रूस ने अपनी क्षेत्रीय वर्चस्व की महत्वाकांक्षाओं के कारण नैतिक मूल्यों की अनदेखी की।
5. निष्कर्ष
- निष्कर्ष में, यह स्पष्ट करें कि हालांकि अंतर्राष्ट्रीय संस्थान निष्पक्षता बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं, राष्ट्र अक्सर अपने स्वार्थों के कारण इन संस्थानों के दिशा-निर्देशों की अनदेखी करते हैं।
- यह महत्वपूर्ण है कि देशों को अपने स्वार्थों और नैतिक मूल्यों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है, खासकर जब वैश्विक संकट जैसे आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन आदि की बात हो।
संबंधित तथ्यों का प्रयोग
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का उदाहरण: यह संस्था शांति बनाए रखने के लिए काम करती है, लेकिन वास्तविकता में कई बार यह शक्तिशाली देशों के स्वार्थों के कारण निष्क्रिय हो जाती है।
- द्वितीय विश्व युद्ध में परमाणु बम का हमला (अमेरिका): अमेरिका ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को ध्यान में रखते हुए जापान पर परमाणु हमला किया, हालांकि यह शांति के सिद्धांत के विपरीत था।
- चीन-पाकिस्तान संबंध: चीन ने पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति की, भले ही यह भारत के लिए सुरक्षा का खतरा था, जो अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता के खिलाफ था।
- विकसित देशों का जलवायु परिवर्तन पर असहयोग: विकसित देशों द्वारा जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में सक्रिय भूमिका न निभाना, जबकि ये देशों के पास अधिक कार्बन उत्सर्जन करने का इतिहास है।
अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की निष्पक्षता
अंतर्राष्ट्रीय संस्थान जैसे कि संयुक्त राष्ट्र शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन राष्ट्र अक्सर अपने स्वार्थों के लिए इनकी अनदेखी करते हैं।
सुरक्षा परिषद की भूमिका
स्वार्थी दृष्टिकोण
इन उदाहरणों से साफ है कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के दिशा-निर्देशों की अनदेखी राष्ट्रों के स्वार्थों के चलते होती है, जिससे वैश्विक शांति और विकास में बाधा आती है।