उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. प्रस्तावना
- संक्षेप में परिचय: सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम का महत्व और इसकी स्थापना का उद्देश्य।
- प्रभावशीलता का संक्षिप्त उल्लेख: वर्तमान में इसकी घटती प्रभावशीलता के कारण।
2. आरटीआई की प्रभावशीलता को कमजोर करने वाले कारक
- सूचना आयोगों में रिक्तियाँ: लंबित मामलों की संख्या और उनके प्रभाव।
- विधायी संशोधन: RTI (संशोधन) अधिनियम, 2019 का प्रभाव।
- प्रशासनिक प्रतिरोध: अधिकारियों द्वारा सूचना प्रदान करने में विलंब।
- लैंगिक प्रतिनिधित्व का अभाव: महिलाओं की अनुपस्थिति का प्रभाव।
- जागरूकता की कमी: नागरिकों में RTI के प्रति जागरूकता का स्तर।
3. पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उपाय
- रिक्तियों की भरपाई: समय पर सूचना आयुक्तों की नियुक्ति।
- स्वायत्तता की बहाली: सूचना आयोगों की स्वतंत्रता को मजबूत करना।
- सक्रिय प्रकटीकरण के लिए प्रोत्साहन: सरकारी प्राधिकरणों को जानकारी सक्रिय रूप से साझा करने के लिए प्रेरित करना।
- जागरूकता अभियान: RTI के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाना।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: AI और डिजिटल प्लेटफार्मों का लाभ उठाना।
4. आगे की राह
- महत्व पर जोर: RTI का सशक्तीकरण लोकतंत्र को मजबूत करेगा।
- भविष्य की दिशा: पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता।
सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 ने भारत में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुदृढ़ किया है। हालांकि, हाल के वर्षों में इसकी प्रभावशीलता में कमी आई है।
आरटीआई अधिनियम की प्रभावशीलता को कमजोर करने वाले कारक:
सूचना आयोगों में नियुक्तियों में देरी: सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में विलंब के कारण अपीलों का निपटान धीमा हो गया है, जिससे मामलों का लंबित भार बढ़ रहा है।
राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप: कई आयोगों में सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति से उनकी स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न लगते हैं, जिससे पारदर्शिता प्रभावित होती है।
विधायी संशोधन: सूचना का अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019 और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 जैसे हालिया संशोधनों ने आरटीआई अधिनियम की शक्ति को कम किया है, जिससे सूचना प्राप्ति में बाधाएँ उत्पन्न हुई हैं।
पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उपाय:
समयबद्ध नियुक्तियाँ: सूचना आयुक्तों की नियुक्ति समय पर की जानी चाहिए ताकि अपीलों का निपटान शीघ्र हो सके और लंबित मामलों में कमी आए।
स्वतंत्र और विविध पृष्ठभूमि के आयुक्तों की नियुक्ति: आयोगों में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की नियुक्ति से उनकी निष्पक्षता और पारदर्शिता में वृद्धि होगी।
विधायी सुरक्षा: आरटीआई अधिनियम को कमजोर करने वाले संशोधनों की समीक्षा और आवश्यकतानुसार निरस्तीकरण से इसकी मूल भावना को संरक्षित किया जा सकता है।
जन जागरूकता अभियान: नागरिकों में आरटीआई के महत्व और उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने से इसकी प्रभावशीलता में वृद्धि होगी।
आरटीआई अधिनियम की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर, इसकी पारदर्शिता और जवाबदेही को पुनः स्थापित करने के लिए उपरोक्त उपायों का कार्यान्वयन आवश्यक है।