उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. प्रस्तावना
- विषय का परिचय: मृदा स्वास्थ्य संकट की वर्तमान स्थिति और इसका महत्व।
- थीसिस स्टेटमेंट: मृदा स्वास्थ्य संकट कृषि उत्पादकता, पारिस्थितिक संतुलन और खाद्य सुरक्षा के लिए प्रमुख चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है।
2. मृदा क्षरण के प्रमुख कारण
- असंधारणीय कृषि प्रथाएँ: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग।
- जैविक कार्बन की कमी: SOC का घटते स्तर।
- मृदा क्षरण और मरुस्थलीकरण: भूमि अवनयन की वर्तमान स्थिति।
- कमज़ोर जल प्रबंधन: अवैज्ञानिक सिंचाई पद्धतियाँ।
- जलवायु परिवर्तन: अनियमित मौसम पैटर्न का प्रभाव।
- औद्योगिक और शहरी प्रदूषण: विषाक्त प्रदूषण के कारण।
3. स्थायी मृदा प्रबंधन के लिए रणनीतिक उपाय
- एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (INM): जैविक और सिंथेटिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग।
- कृषि वानिकी का विस्तार: वृक्षारोपण के माध्यम से मृदा की उर्वरता बढ़ाना।
- शून्य-जुताई और संरक्षण कृषि: मृदा क्षरण रोकने के लिए तकनीकों का उपयोग।
- नियंत्रित सिंचाई: ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग।
- किसान जागरूकता: मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसे तकनीकी हस्तक्षेप।
4. आगे की राह
- संक्षेप में: मृदा स्वास्थ्य संकट का समाधान आवश्यक है।
- नीतिगत सुधार की आवश्यकता: उर्वरक सब्सिडी में सुधार और सतत प्रथाओं को बढ़ावा देना।
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भारत का मृदा स्वास्थ्य संकट
भारत में मृदा स्वास्थ्य संकट कृषि उत्पादकता, पारिस्थितिक संतुलन और खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न करता है।
प्रमुख कारण
रणनीतिक उपाय
इन उपायों से मृदा स्वास्थ्य को पुनर्स्थापित किया जा सकता है, जिससे खाद्य सुरक्षा और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखा जा सकेगा।