उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. प्रस्तावना
- संविधान की भूमिका: अनुच्छेद 355 और 356 का महत्व।
- संघीय ढांचे का संदर्भ: भारत में संघीय ढांचे का परिचय।
2. अनुच्छेद 355 और 356 का विवरण
- अनुच्छेद 355: संघ सरकार की जिम्मेदारी।
- अनुच्छेद 356: राष्ट्रपति शासन का प्रावधान और प्रक्रिया।
3. अनुच्छेदों के निहितार्थ
- राजनीतिक स्थिरता: कैसे ये अनुच्छेद राजनीतिक स्थिरता में सहायता करते हैं।
- केंद्र-राज्य संबंध: संघीय ढांचे में केंद्रीय हस्तक्षेप का प्रभाव।
4. दुरुपयोग की चिंताएँ
- राजनीतिक दुरुपयोग: उदाहरण और ऐतिहासिक संदर्भ।
- संवैधानिक विफलता की परिभाषा: अस्पष्टता और इसके दुष्परिणाम।
5. दुरुपयोग को रोकने के उपाय
- संवैधानिक संशोधन: अनुच्छेद 356 में सुधार।
- न्यायिक समीक्षा: न्यायपालिका की भूमिका और शक्तियाँ।
- स्थानीय शासन को सुदृढ़ करना: विकेंद्रीकरण के लाभ।
6. आगे की राह
- संतुलित दृष्टिकोण: संघीय संतुलन और स्थिरता सुनिश्चित करना।
- डॉ. बी.आर. अंबेडकर का दृष्टिकोण: राष्ट्रपति शासन का ‘मृत पत्र’ बनना।
मॉडल उत्तर
प्रस्तावना
भारत का संविधान एक संघीय ढांचे पर आधारित है, जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण किया गया है। अनुच्छेद 355 और 356 इस ढांचे के महत्वपूर्ण पहलू हैं, जो शासन की स्थिरता सुनिश्चित करने के साथ-साथ संघीयता की रक्षा में भी सहायक हैं।
अनुच्छेद 355 और 356 का विवरण
अनुच्छेद 355 के अनुसार, संघ सरकार की जिम्मेदारी है कि वह प्रत्येक राज्य को बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से बचाए। वहीं, अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन का प्रावधान करता है, जो राष्ट्रपति को राज्य प्रशासन संभालने की अनुमति देता है जब राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं करती।
अनुच्छेदों के निहितार्थ
इन अनुच्छेदों के माध्यम से केंद्र सरकार को राज्य प्रशासन में हस्तक्षेप करने की शक्ति मिलती है, जिससे राजनीतिक स्थिरता बनी रह सकती है। हालाँकि, इससे केंद्र-राज्य संबंधों में तनाव भी उत्पन्न हो सकता है।
दुरुपयोग की चिंताएँ
राष्ट्रपति शासन का दुरुपयोग राजनीतिक कारणों से विपक्षी सरकारों को बर्खास्त करने के लिए किया गया है। जैसे, 1966-1977 के बीच 48 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया। ‘संवैधानिक मशीनरी की विफलता’ की अस्पष्ट परिभाषा भी केंद्र के दुरुपयोग को बढ़ावा देती है।
दुरुपयोग को रोकने के उपाय
दुरुपयोग को रोकने के लिए:
आगे की राह
संविधान के अनुच्छेद 355 और 356 का उद्देश्य संघीयता को बनाए रखते हुए शासन की स्थिरता सुनिश्चित करना है। डॉ. बी.आर. अंबेडकर की आशा थी कि राष्ट्रपति शासन एक ‘मृत पत्र’ बनेगा, इसका प्रयोग केवल असाधारण स्थितियों में होना चाहिए। एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाकर ही हम संघीय संतुलन और स्थिरता को सुनिश्चित कर सकते हैं।