उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. प्रस्तावना
- ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल का संक्षिप्त परिचय।
- भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की महत्वता।
2. महत्व पर चर्चा
- नीतिगत सुधारों का योगदान।
- बुनियादी ढांचे का विकास।
- प्रौद्योगिकी अंगीकरण और उद्योग 4.0।
- हरित और सतत विनिर्माण।
3. चुनौतियाँ
- उच्च लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला लागत।
- श्रम कानूनों में कठोरता और कौशल अंतराल।
- MSME पारिस्थितिकी तंत्र की कमजोरियाँ।
- चीन पर निर्भरता।
- अनुसंधान और विकास में कमी।
4. रणनीतिक उपाय
- लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार।
- श्रम कानूनों का सुधार।
- MSME के लिए ऋण पहुंच में सुधार।
- घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना।
- अनुसंधान और विकास में निवेश।
5. आगे की राह
- भारत के लिए वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की संभावनाएँ।
- ‘वोकल फॉर लोकल, लोकल टू ग्लोबल’ का महत्व।
मॉडल उत्तर
प्रस्तावना
‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल न केवल घरेलू उद्योगों को सशक्त बनाती है, बल्कि वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा देती है।
महत्व पर चर्चा
इस पहल के अंतर्गत कई नीतिगत सुधार किए गए हैं, जैसे उत्पादन-संबंधित प्रोत्साहन (PLI) योजना, जिसने विनिर्माण प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाया। इसके साथ ही, गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के माध्यम से बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है, जिससे लॉजिस्टिक्स में सुधार हो रहा है। प्रौद्योगिकी अंगीकरण, जैसे AI और IoT, उद्योगों को आधुनिक बनाने में सहायक हैं। इसके साथ ही, हरित और सतत विनिर्माण के माध्यम से भारत खुद को एक पर्यावरणीय रूप से जागरूक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है।
चुनौतियाँ
हालांकि, इस पहल की सफलता में कई चुनौतियाँ भी हैं। उच्च लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला लागत, जो GDP का 14-18% है, निर्यात प्रतिस्पर्द्धा को कम कर रही है। श्रम कानूनों में कठोरता और कौशल अंतराल भी बड़े पैमाने पर श्रम-गहन उद्योगों को प्रभावित कर रहे हैं। इसके अलावा, MSME की कमजोरियों, जैसे ऋण की कमी और चीन पर निर्भरता, भी गंभीर समस्याएँ हैं।
रणनीतिक उपाय
इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को कई रणनीतिक उपाय अपनाने की आवश्यकता है। लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला को सुधारने के लिए गति शक्ति मास्टर प्लान को तेजी से लागू करना होगा। श्रम कानूनों में सुधार और MSME के लिए ऋण पहुंच में सुधार के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग किया जा सकता है। साथ ही, अनुसंधान और विकास में निवेश बढ़ाना आवश्यक है, ताकि भारत उच्च तकनीक विनिर्माण में प्रतिस्पर्धी बन सके।
आगे की राह
यदि भारत इन उपायों को अपनाता है, तो वह न केवल वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित हो सकता है, बल्कि ‘वोकल फॉर लोकल, लोकल टू ग्लोबल’ के सिद्धांत को भी साकार कर सकता है। इस पहल की सफलता भारत की आर्थिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।