उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. परिचय
- सबसे पहले, भारत में आर्थिक विकास, महिला शिक्षा, और प्रजनन दर में हुई प्रगति का संक्षिप्त उल्लेख करें। यह दिखाता है कि देश ने कई विकासात्मक मानकों में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है।
- महिला श्रम बल भागीदारी दर (FLFPR) की समस्या को उजागर करें। इसे विशेष रूप से ध्यान में रखते हुए, इस पर चर्चा कीजिए कि FLFPR वैश्विक स्तर पर सबसे कम क्यों है और इसके सामाजिक-आर्थिक कारण क्या हो सकते हैं।
2. महिला श्रम बल भागीदारी दर (FLFPR) का विश्लेषण
- महिला शिक्षा और आर्थिक वृद्धि: भारत में महिला साक्षरता दर 1951 में 8.86% से बढ़कर 2011 में 65.46% हो गई है। इसके बावजूद FLFPR में गिरावट को समझाएं (Source: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय और सरकारी रिपोर्ट्स)।
- प्रजनन दर में सुधार: भारत की प्रजनन दर 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है, जो सकारात्मक संकेत है, लेकिन महिला श्रम बल में भागीदारी पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है|
- FLFPR में गिरावट के कारण
- अवैतनिक कार्य: 2019 के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय महिलाएं पुरुषों की तुलना में 8 गुना अधिक समय देखभाल कार्यों में लगाती हैं।
- देखभाल अवसंरचना की कमी: महिलाओं के अवैतनिक कार्य का मूल्य भारत के GDP का 3.1% है, जबकि देखभाल पर सरकारी खर्च कम है (Source: विश्व बैंक, 2019)।
- आवश्यक कार्य अवसरों की कमी: कृषि और मशीनीकरण के कारण महिलाओं के लिए कम रोजगार उपलब्ध हैं (Source: मैककिन्सी रिपोर्ट, 2020)।
- महिलाओं के रोजगार पर कोविड-19 का असर: कोविड-19 ने महिलाओं के रोजगार को पुरुषों के मुकाबले ज्यादा प्रभावित किया, और कार्यबल में 37.1% महिलाओं ने अपनी नौकरी खो दी|
3. FLFPR को सुधारने के उपाय
- देखभाल बुनियादी ढांचे का निर्माण: ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाड़ी केंद्रों और अन्य देखभाल सुविधाओं का निर्माण ताकि महिलाएं आर्थिक गतिविधियों में भाग ले सकें|
- लचीली कार्य व्यवस्था: कंपनियों को फ्लेक्स-टाइम, जॉब-शेयरिंग और अन्य लचीली कार्य व्यवस्थाओं की पेशकश करनी चाहिए ताकि महिलाएं कार्यबल में सम्मिलित हो सकें|
- महिला सशक्तिकरण और जागरूकता कार्यक्रम: लिंग समानता पर आधारित जागरूकता अभियान और घरेलू कार्यों के पुनर्वितरण के लिए पुरुषों और लड़कों को शामिल करने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए|
- प्रोत्साहन और सहायता: एमएसएमई और अन्य क्षेत्रों में महिलाओं के लिए विशेष रोजगार योजना और प्रोत्साहन के उपाय जैसे वेतन सब्सिडी शुरू की जानी चाहिए|
- डिजिटल लिंग विभाजन को पाटने के उपाय: महिलाओं को डिजिटल कौशल में प्रशिक्षण देने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना चाहिए ताकि महिलाएं अधिक रोजगार अवसरों का लाभ उठा सकें|
4. निष्कर्ष
- महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी को बढ़ाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जिसमें शिक्षा, जागरूकता, देखभाल बुनियादी ढांचे, और लचीली कार्य प्रणालियों का निर्माण शामिल है।
- सरकार, निजी क्षेत्र और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिलाएं आर्थिक गतिविधियों में अधिक से अधिक भाग लें, जिससे FLFPR में सुधार हो और समग्र विकास को गति मिले।
मॉडल उत्तर
महिला श्रम बल भागीदारी दर (FLFPR) में गिरावट के कारण
भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर (FLFPR) में लगातार गिरावट देखी गई है। 1987-88 में यह 47.1% थी, जो 2017-18 में घटकर 23% तक पहुँच गई, जो कि अब तक का सबसे निचला स्तर था। हालांकि 2020-21 तक यह 32.5% तक पहुंची, लेकिन यह अभी भी पुरुषों की 77% की दर से काफी कम है। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:
भारत में FLFPR में सुधार के उपाय
निष्कर्ष
महिला श्रम बल भागीदारी दर (FLFPR) में सुधार के लिए सरकार, निजी क्षेत्र, और सामाजिक क्षेत्र को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। महिलाओं के कामकाजी परिस्थितियों में सुधार, वेतन अंतराल को कम करने, और उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए एक समन्वित प्रयास किया जाना चाहिए। यह न केवल महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि राष्ट्र की आर्थिक वृद्धि को भी तेज़ी से बढ़ावा देगा।
भारत ने आर्थिक वृद्धि और महिला शिक्षा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन महिला श्रम बल भागीदारी दर (FLFPR) 20.33% पर स्थिर है, जो 1993-94 में 40% थी। एक अध्ययन के अनुसार, प्रजनन बोझ, जैसे बच्चों की संख्या, FLFPR को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। विशेष रूप से, जिन महिलाओं के पास तीन या अधिक बच्चे हैं, उनकी श्रम बाजार से बाहर निकलने की संभावना 3.5% अधिक है।
FLFPR को सुधारने के लिए, भारत को कई उपाय करने चाहिए। पहले, मातृत्व लाभ को बढ़ाना चाहिए, जिससे महिलाओं को काम पर लौटने में सहारा मिले। दूसरे, बेहतर बाल देखभाल सेवाएं, जैसे आंगनवाड़ी केंद्र, स्थापित किए जाने चाहिए। इसके अलावा, महिलाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि वे औपचारिक रोजगार में भाग ले सकें।
अंत में, सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं को दूर करने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन आवश्यक है, ताकि महिलाओं को कार्यस्थल पर समानता का अनुभव हो। इन उपायों के माध्यम से, FLFPR को बढ़ाया जा सकता है, जिससे आर्थिक विकास में तेजी आएगी।
इस उत्तर में भारत की महिला श्रम बल भागीदारी दर (FLFPR) के मुद्दे को उठाया गया है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और आंकड़े गायब हैं।
पहले, FLFPR का वैश्विक औसत क्या है, यह उल्लेख नहीं किया गया है। वर्तमान में, वैश्विक FLFPR लगभग 47% है, जो भारत की स्थिति को और स्पष्ट करता है। इसके अलावा, यह जरूरी है कि FLFPR में सुधार के लिए विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच के अंतर पर भी ध्यान दिया जाए।
Daksha आप इस फीडबैक का भी उपयोग कर सकती हो।
उत्तर में यह भी नहीं बताया गया है कि COVID-19 महामारी ने FLFPR को कैसे प्रभावित किया है। हाल के अध्ययनों में बताया गया है कि लॉकडाउन के दौरान महिलाओं की नौकरी खोने की दर पुरुषों की तुलना में अधिक थी।
सुझावों में, मातृत्व लाभ और कौशल विकास कार्यक्रमों के अलावा, महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया जा सकता है।
अंत में, सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं के अलावा, आर्थिक कारणों और व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता पर भी ध्यान देना चाहिए।
इन तथ्यों और सुझावों को शामिल करने से उत्तर और सशक्त हो सकता है।