उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
प्रस्तावना
- प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों की परिभाषा:
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधारी (PSL) का उद्देश्य बैंकों को उन क्षेत्रों को ऋण देने के लिए प्रेरित करना है, जिन्हें पारंपरिक उधारी प्रणालियों के तहत पर्याप्त क्रेडिट नहीं मिलता। इनमें कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSMEs), निर्यात, शिक्षा, आवास, नवीकरणीय ऊर्जा, और सामाजिक बुनियादी ढांचा शामिल हैं। - महत्व:
यह नीति उन क्षेत्रों की मदद करती है जो विशेष रूप से कर्ज पाने में संघर्ष करते हैं, और इस प्रकार आर्थिक विकास में योगदान करती है।
1. प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधारी (PSL) से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ
- क्षेत्रीय असंतुलन:
PSL का फोकस कृषि के बजाय निर्यात और विनिर्माण पर अधिक रहा है।- तथ्य: कृषि क्षेत्र को केवल 41% PSL ऋण मिलता है, जबकि निर्यात क्षेत्र को 76% और विनिर्माण को 11% मिलता है। (स्रोत: RBI रिपोर्ट)
- ऋण वितरण में सुस्ती:
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक PSL लक्ष्यों को लगातार पूरा करने में विफल रहे हैं, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों और MSMEs के लिए।- तथ्य: कई बैंक PSL उद्देश्यों को पूरा करने में असफल रहते हैं, जिससे इन क्षेत्रों में ऋण की कमी बनी रहती है। (स्रोत: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वार्षिक रिपोर्ट)
- बढ़ते हुए NPA (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ):
PSL के कारण कई क्षेत्रों में ऋण चुकता न होने की समस्या बढ़ी है, जिससे NPAs में वृद्धि हुई है।- तथ्य: दूसरी नरसिम्हम समिति (1998) के अनुसार, PSL से 47% NPA उत्पन्न होते हैं। (स्रोत: नरसिम्हम समिति रिपोर्ट)
2. प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधारी (PSL) की प्रभावशीलता
- सामाजिक समानता को बढ़ावा:
PSL सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है, जिससे कमजोर वर्गों को वित्तीय सहायता मिलती है।- तथ्य: यह कृषि और MSMEs में संस्थागत ऋण को बढ़ावा देता है, जिससे साहूकारों के प्रभाव को कम किया जाता है। (स्रोत: RBI अध्ययन)
- संतुलित आर्थिक विकास:
PSL से बैंकों को उच्च सामाजिक लाभ प्राप्त करने के साथ-साथ निर्यात और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने का अवसर मिलता है।- तथ्य: यह क्षेत्रों में रोजगार और निवेश को बढ़ावा देता है, जिससे समग्र आर्थिक विकास में योगदान होता है। (स्रोत: RBI और NITI Aayog रिपोर्ट)
- ऋण औपचारिकीकरण:
यह अनौपचारिक उधारी प्रणालियों की तुलना में कृषि और MSMEs के लिए औपचारिक ऋण को बढ़ावा देता है।- तथ्य: PSL से संस्थागत ऋण में वृद्धि होती है, जिससे गैर-संस्थागत ऋण (जैसे साहूकारों से ऋण) पर निर्भरता घटती है। (स्रोत: RBI रिपोर्ट)
3. समाधान और सुधार के उपाय
- बेहतर निगरानी और रिपोर्टिंग:
बैंकों को PSL लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अधिक निगरानी और जवाबदेही की आवश्यकता है।- सुझाव: बैंकों के प्रदर्शन पर सख्त निगरानी और गैर-पालन करने पर दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।
- डिजिटलीकरण और नवाचार:
तेजी से ऋण वितरण के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग किया जा सकता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और MSMEs के लिए।- सुझाव: डिजिटल ऋण आवेदन और वितरण प्रणालियों को सुदृढ़ किया जाए।
- ऋण पुनर्संरचनात्मक उपाय:
कृषि और MSMEs जैसे क्षेत्रों में बढ़ते NPAs को देखते हुए, बैंकों को लचीले ऋण पुनर्संरचनात्मक उपायों की आवश्यकता है।- सुझाव: सरकार और RBI को इस दिशा में प्रभावी नीतियाँ बनानी चाहिए।
निष्कर्ष
- PSL नीति ने समाज के कमजोर वर्गों को लाभ पहुंचाया है, लेकिन इसमें कुछ चुनौतियाँ भी हैं। अगर इन चुनौतियों का समाधान किया जाए तो PSL की प्रभावशीलता को और बढ़ाया जा सकता है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
उत्तर में उपयोग करने के लिए तथ्य
- PSL के प्रमुख क्षेत्र: कृषि, MSMEs, शिक्षा, आवास, नवीकरणीय ऊर्जा और सामाजिक बुनियादी ढांचा।
- PSL ऋण वितरण में असंतुलन
- कृषि को 41%, निर्यात को 76% और विनिर्माण को 11% PSL ऋण मिलता है।
- NPAs में वृद्धि
- नरसिम्हम समिति (1998) ने पाया कि PSL से 47% NPA उत्पन्न होते हैं।
- PSL का प्रभाव
- PSL औपचारिक ऋण बढ़ाता है, जिससे साहूकारों पर निर्भरता घटती है।
मॉडल उत्तर
पीएसएल की परिभाषा और उद्देश्य
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण (PSL) एक नीतिगत उपाय है, जिसके तहत बैंकों को विशेष क्षेत्रों जैसे कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), निर्यात, शिक्षा, आवास, और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए उधारी बढ़ाने का निर्देश दिया जाता है। इन क्षेत्रों को यदि पीएसएल के तहत ऋण न मिले तो इन्हें समय पर और पर्याप्त क्रेडिट नहीं मिल पाता। इसका मुख्य उद्देश्य वंचित और कमजोर वर्गों के लिए क्रेडिट की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
भारत में प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के साथ चुनौतियां
पीएसएल के लाभ
समाधान
निष्कर्ष
प्राथमिकता क्षेत्र ऋण की नीति ने समाज के कमजोर वर्गों को समय पर और उचित क्रेडिट प्रदान कर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, इसके साथ आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए और सुधारात्मक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
भारत में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधारी के लिए विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि ऋण-इतिहास की कमी और क्षेत्रीय असमानताएँ। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने स्टार्ट-अप क्षेत्र को प्राथमिक क्षेत्र उधारी (PSL) का दर्जा देकर इस समस्या को संबोधित किया है। इससे स्टार्ट-अप्स को बिना अपने स्वामित्त्व को खोए ऋण प्राप्त करने में आसानी होगी।
RBI के दिशा-निर्देशों के तहत, बैंकों के कुल शुद्ध ऋण का 40% प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों जैसे कृषि, शिक्षा, और सामाजिक अवसंरचना को वितरित करना अनिवार्य है। यह कदम न केवल वित्तीय समावेशिता को बढ़ावा देगा, बल्कि समावेशी विकास को भी प्रोत्साहित करेगा। उदाहरण के लिए, कृषि के लिए 18% ऋण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिससे लघु और सीमांत किसानों को सहायता मिलेगी।
इस नीति के तहत प्राथमिकता क्षेत्र ऋण प्रमाणपत्र (PSLC) का प्रावधान भी है, जो बैंकों को अपनी अतिरिक्त उपलब्धियों को बेचने और प्राथमिकता क्षेत्र में अधिक उधारी देने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह तंत्र आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्गों के लिए अधिक वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने में सहायक होगा।
इस प्रकार, RBI का यह नीतिगत उपाय प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधारी के महत्व को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इस उत्तर में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को अच्छी तरह से छुआ गया है, लेकिन इसमें कुछ तथ्य और आंकड़ों की कमी है जो इसे और सशक्त बना सकते हैं।
ऋण-इतिहास की कमी: उत्तर में ऋण-इतिहास की कमी का उल्लेख तो किया गया है, परंतु इसके कारणों और समाधान पर विस्तार से चर्चा नहीं की गई है। उदाहरण के लिए, क्या इससे छोटे व्यवसायों पर विशेष प्रभाव पड़ता है?
क्षेत्रीय असमानताएँ: उत्तर में क्षेत्रीय असमानताओं का जिक्र किया गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये असमानताएँ किस प्रकार की हैं और किस क्षेत्र में अधिक हैं।
आकड़े और उदाहरण: RBI द्वारा निर्धारित 40% और 18% के ऋण लक्ष्यों का उल्लेख किया गया है, लेकिन यह बताया जाना चाहिए कि क्या ये लक्ष्य साकार हो रहे हैं या नहीं। यदि संभव हो, तो पिछले कुछ वर्षों के डेटा का उल्लेख किया जा सकता है ताकि प्रभावशीलता का आकलन किया जा सके।
समावेशिता के लाभ: उत्तर में वित्तीय समावेशिता के लाभों का उल्लेख किया गया है, लेकिन यह बताना जरूरी है कि इससे सामाजिक और आर्थिक विकास पर कैसे सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
Daksha आप इस फीडबैक का भी उपयोग कर सकती हो।
PSLC का विवरण: प्राथमिकता क्षेत्र ऋण प्रमाणपत्र (PSLC) के तंत्र की व्याख्या और उसके प्रभाव का उल्लेख भी किया जा सकता है।
इन बिंदुओं को शामिल करने से उत्तर अधिक सुसंगत और तथ्यात्मक रूप से मजबूत हो जाएगा।