उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. प्रस्तावना
भारत में विभिन्न विकास पहलों की लेखापरीक्षा रिपोर्टों में अक्सर सार्वजनिक व्यय से संबंधित अक्षमताएँ सामने आई हैं। इन अक्षमताओं का मुख्य कारण शासन संरचनाओं की कमजोरियाँ और वित्तीय संसाधनों का प्रभावी उपयोग नहीं होना है। लेखापरीक्षा रिपोर्टों में इन समस्याओं की पहचान की गई है, जिनसे देश के विकास कार्यों में अवरोध उत्पन्न हो रहे हैं। इस प्रश्न में, हम इन अक्षमताओं का विश्लेषण करेंगे और इनके समाधान हेतु अपनाए जाने वाले उपायों पर चर्चा करेंगे।
2. सार्वजनिक व्यय से संबंधित प्रमुख अक्षमताएँ
- आवंटित धन का खर्च न करना (Unutilized Funds):
सीएजी की 2017 रिपोर्ट के अनुसार, स्वच्छ गंगा मिशन के लिए लगभग 2500 करोड़ रुपये का आवंटित धन अव्ययित पड़ा था। इसका कारण योजना के कार्यान्वयन में कमी और शासन की अव्यवस्था थी। - फंड डायवर्जन और पार्किंग (Fund Diversion and Parking):
जम्मू और कश्मीर में आपदा प्रबंधन के लिए 25% फंड गैर-जरूरी कार्यों पर खर्च कर दिए गए, जैसा कि 2017 की सीएजी रिपोर्ट में बताया गया है। - अनियमित और फिजूलखर्ची (Irregular and Wasteful Expenditure):
2020 में गोवा सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में फिजूलखर्ची का मामला सामने आया था, जिसमें सैकड़ों करोड़ रुपये बिना सही तरीके से खर्च हुए। - गलत आवंटन और रिसाव (Misallocation and Leakage):
कई कल्याणकारी योजनाओं जैसे सर्व शिक्षा अभियान, पीएमए योजना, आदि में आवंटन का गलत उपयोग और रिसाव हुआ है, जिससे योजनाओं का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया।
3. समाधान
- एसडीजी के साथ बजट का पुनर्विन्यास (Reorientation of Budget with SDGs):
बजट की तैयारी को सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप तैयार किया जाना चाहिए। इससे व्यय के प्रभावी उपयोग में मदद मिलेगी। हरियाणा, महाराष्ट्र और असम जैसे राज्यों ने इस दिशा में कुछ कदम उठाए हैं।
स्रोत: हरियाणा, महाराष्ट्र और असम के उदाहरण - व्यय सुधार
- सनसेट क्लॉज (Sunset Clause): सभी सार्वजनिक व्यय योजनाओं में सनसेट क्लॉज लागू किया जाए, ताकि समय सीमा समाप्त होने पर योजनाएं स्वतः बंद हो जाएं।
- पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS): इसका प्रभावी उपयोग करके व्यय की निगरानी और प्रवाह को नियंत्रित किया जाए।
- योजनाओं का युक्तिकरण (Consolidation of Schemes): अतिव्यापी योजनाओं का विलय और योजनाओं को युक्तिकृत किया जाए।
- ई-प्रोक्योरमेंट और GeM का उपयोग (Use of E-Procurement and GeM): सरकारी खरीद में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए इन प्लेटफार्मों का उपयोग किया जाए।
- राज्य सरकारों के साथ योजना निर्माण में सहभागिता (Collaboration with State Governments in Plan Formation):
योजनाओं के निर्माण से पहले राज्य सरकारों के साथ समन्वय आवश्यक है। इससे योजनाओं के क्रियान्वयन में दक्षता आएगी और धन का उचित उपयोग हो सकेगा। - विशेषज्ञ संस्थान की स्थापना (Setting up Expert Institutions):
केंद्र-राज्य व्यय आयोग जैसे विशेषज्ञ संस्थानों को स्थापित किया जाए, जो व्यय की निगरानी और प्राथमिकताओं को निर्धारित करें। इससे व्यय के संबंध में दिशा-निर्देश दिए जा सकेंगे।
4. निष्कर्ष
भारत में सार्वजनिक व्यय से जुड़ी अक्षमताओं को दूर करने के लिए कई प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं। व्यय सुधार, बजट का एसडीजी के साथ पुनर्विन्यास, और तकनीकी सुधारों के माध्यम से इन अक्षमताओं को कम किया जा सकता है। साथ ही, राज्यों और केंद्र के बीच बेहतर समन्वय और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
मॉडल उत्तर
1. प्रस्तावना
भारत में विभिन्न विकास पहलों के तहत सार्वजनिक व्यय की अक्षमताओं का बार-बार पर्दाफाश किया गया है, जिससे संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग नहीं हो पा रहा है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समूह (यूएनडीजी) द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद, केंद्र और राज्य स्तर पर वित्तीय संसाधनों का उचित प्रबंधन चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
2. प्रमुख अक्षमताएँ
3. समाधान
4. निष्कर्ष
भारत में सार्वजनिक व्यय की अक्षमताएँ एक गंभीर चुनौती बनी हुई हैं, लेकिन सुधार की दिशा में उठाए गए कदम, जैसे कि बजट का पुनर्विन्यास, व्यय सुधार, और तकनीकी उपकरणों का उपयोग, इन समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। उचित निगरानी और विशेषज्ञ संस्थाओं के मार्गदर्शन से सार्वजनिक वित्तीय संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव हो सकता है।