उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
- परिचय
- सेवा-आधारित विकास मॉडल की परिभाषा और इसकी प्रासंगिकता।
- भारत के आर्थिक परिवर्तन में इस मॉडल की भूमिका का संक्षिप्त परिचय।
- सेवा-आधारित विकास मॉडल का महत्व
- आर्थिक विकास में योगदान: GDP में सेवा क्षेत्र का योगदान (55-60% तक)।
- रोज़गार सृजन: उच्च-कुशल नौकरियों का सृजन, विशेष रूप से IT और डिजिटल प्लेटफार्मों में।
- महिलाओं के लिए अवसर: कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा: भारत का IT-BPM क्षेत्र और उसकी वैश्विक स्थिति।
- सतत विकास के लिए प्रस्तुत अवसर
- डिजिटल सेवाओं का विस्तार: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा और बैंकिंग सेवाओं की पहुँच।
- पर्यावरणीय स्थिरता: हरित सेवाएँ और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए निवेश।
- आर्थिक समावेशन: FinTech द्वारा वित्तीय समावेशन में वृद्धि।
- चुनौतियाँ
- बेरोज़गारी: सेवा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की सीमाएँ।
- कौशल अंतराल: कार्यबल के कौशल और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच का अंतर।
- क्षेत्रीय असमानताएँ: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच विकास का असंतुलन।
- बाहरी मांग पर निर्भरता: वैश्विक बाजारों की अस्थिरता।
- निष्कर्ष
- सेवा-आधारित विकास मॉडल का समग्र सारांश।
- अवसरों और चुनौतियों का संक्षिप्त पुनरावलोकन।
- भारत के आर्थिक भविष्य में इस मॉडल की भूमिका के प्रति आशावाद।
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भारत का सेवा-आधारित विकास मॉडल आर्थिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 2021-22 में, सेवा क्षेत्र ने लगभग 54% जीडीपी में योगदान दिया, जो इसकी बढ़ती प्रासंगिकता को दर्शाता है। यह मॉडल उच्च तकनीकी सेवाओं में वृद्धि के साथ-साथ वैश्विक आउटसोर्सिंग के अवसर प्रदान करता है।
हालांकि, यह मॉडल कुछ चुनौतियाँ भी लाता है। युवाओं के बीच बेरोजगारी की दर 40% से अधिक है, और सेवा क्षेत्र में निम्न-स्किल सेवाओं में नौकरी सृजन सीमित है। इसके अलावा, कौशल की कमी और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है।
सतत विकास के लिए, भारत को सेवा और विनिर्माण दोनों क्षेत्रों में संतुलित वृद्धि को प्रोत्साहित करना होगा। उचित नीतियों और निवेश के माध्यम से, भारत एक समावेशी और स्थायी आर्थिक भविष्य की दिशा में बढ़ सकता है।
उत्तर में सेवा-आधारित विकास मॉडल के महत्व पर सही ढंग से चर्चा की गई है, जिसमें भारत के सेवा क्षेत्र का जीडीपी में योगदान (54% के करीब) को दर्शाया गया है। उच्च तकनीकी सेवाओं और वैश्विक आउटसोर्सिंग के अवसरों का उल्लेख भी सही है।
समीक्षा:
मूल्यांकन और डेटा की कमी:
उत्तर में केवल बेरोजगारी की दर का उल्लेख किया गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यह दर कुल श्रमबल के संदर्भ में कितनी गंभीर है। उदाहरण के लिए, भारत में युवाओं के बीच बेरोजगारी की दर करीब 23% तक है, जो सेवा क्षेत्र में नौकरी सृजन की चुनौती को दिखाता है।
सतत विकास पर बात करते हुए, अधिक विशिष्ट उदाहरण जैसे स्वच्छ भारत मिशन, नमामि गंगे योजना और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का उल्लेख किया जा सकता था, जो भारत के सतत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
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सुझाव और सुधार:
उत्तर में इस बात का उल्लेख किया जा सकता था कि सेवा क्षेत्र में उच्च-तकनीकी सेवाओं के अलावा, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भविष्य में विकास कैसे अधिक नौकरियों और सतत विकास में योगदान दे सकता है।
सेवा क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्रों और महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया जा सकता था।
कुल मिलाकर, उत्तर ने सेवा-आधारित विकास मॉडल के अवसरों और चुनौतियों को ठीक से प्रस्तुत किया है, लेकिन इसे कुछ अतिरिक्त आंकड़े, उदाहरण और विश्लेषण के साथ और अधिक सशक्त बनाया जा सकता था।
मॉडल उत्तर
परिचय
सेवा-आधारित विकास मॉडल आज के भारत के आर्थिक परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह मॉडल न केवल आर्थिक विकास को गति देता है, बल्कि समाजिक और पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाता है।
सेवा-आधारित विकास मॉडल का महत्व
भारत का सेवा क्षेत्र आज GDP में लगभग 55-60% का योगदान देता है, जबकि यह केवल 32% कार्यबल को रोजगार प्रदान करता है। IT और डिजिटल सेवाओं में वैश्विक प्रतिस्पर्धा की वजह से भारत एक IT पावरहाउस बन गया है, जिससे उच्च-कुशल नौकरियों का सृजन हो रहा है। इसके अलावा, महिलाओं के लिए कार्यबल में शामिल होने के नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं।
चुनौतियाँ
हालांकि, इस मॉडल के साथ कई अवसरों के साथ-साथ चुनौतियाँ भी हैं। सेवा-आधारित विकास के अवसरों में डिजिटल सेवाओं का विस्तार शामिल है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सुविधाओं की पहुँच बढ़ाता है। इसके अलावा, FinTech द्वारा वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलता है, जिससे आर्थिक असमानता कम होती है।
परंतु, सेवा क्षेत्र में बेरोज़गारी की समस्या, कौशल अंतराल और क्षेत्रीय असमानताएँ प्रमुख चुनौतियाँ हैं। भारत के 8.1% बेरोज़गारी दर दर्शाती है कि सेवा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की क्षमता सीमित है। इसके अलावा, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच विकास में असंतुलन भी एक गंभीर मुद्दा है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, सेवा-आधारित विकास मॉडल भारत के आर्थिक परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सतत विकास के लिए अवसर प्रदान करता है, लेकिन साथ ही कई चुनौतियाँ भी प्रस्तुत करता है। भारत को इन चुनौतियों का समाधान करते हुए इस मॉडल के अवसरों का लाभ उठाना होगा ताकि एक समग्र और स्थायी विकास की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।