उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
- प्रस्तावना
- पहले परिचय में FRBM अधिनियम, 2003 के बारे में संक्षिप्त जानकारी दें।
- यह उल्लेख करें कि इसे भारत की वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता और अनुशासन लाने के उद्देश्य से पारित किया गया था।
- उद्देश्य
- FRBM अधिनियम के प्रमुख उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से सूचीबद्ध करें।
- प्रत्येक उद्देश्य को संक्षिप्त और स्पष्ट रूप से समझाएं।
- विशेषताएँ
- FRBM अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं को विस्तार से सूचीबद्ध करें।
- प्रत्येक विशेषता को उदाहरणों और तथ्यों के साथ समझाएं, जैसे कि राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना, पारदर्शिता बढ़ाना आदि।
- समीक्षा और सुधार
- FRBM अधिनियम की समीक्षा और इसमें किए गए सुधारों का उल्लेख करें।
- एन.के. सिंह समिति की सिफारिशों का उल्लेख करें और इसे वर्तमान संदर्भ में जोड़ें।
- निष्कर्ष
- अंत में, FRBM अधिनियम के महत्व पर विचार करें और यह किस प्रकार भारत की वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है, यह स्पष्ट करें।
- संक्षेप में, इसके उद्देश्यों और विशेषताओं को पुनः उल्लेख करते हुए समापन करें।
उत्तर में उपयोग के लिए तथ्य
- FRBM अधिनियम का उद्देश्य:
- अंतर-पीढ़ीगत इक्विटी: यह सुनिश्चित करना कि भविष्य की पीढ़ियों पर वित्तीय बोझ न पड़े।
- वृहद आर्थिक स्थिरता: दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए पर्याप्त राजस्व अधिशेष सुनिश्चित करना।
- राजकोषीय और मौद्रिक नीति में समन्वय: मौद्रिक नीति में राजकोषीय बाधाओं को दूर करना।
- ऋण प्रबंधन: केंद्र सरकार के ऋण को नियंत्रित और व्यवस्थित तरीके से प्रबंधित करना।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: RBI को मुद्रास्फीति नियंत्रण में लचीलापन देना।
- FRBM अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ:
- राजकोषीय और राजस्व घाटे को कम करने का आदेश: 2009 तक राजस्व घाटे को समाप्त करने और उसके बाद अधिशेष बनाने का लक्ष्य।
- व्यय में समायोजन: यदि कर राजस्व कम होते हैं तो व्यय में कमी के उपाय किए जाएंगे।
- RBI से उधारी प्रतिबंध: सरकार को RBI से उधारी लेने से मना किया गया है, जब तक कि यह असाधारण स्थिति न हो।
- पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नियमित विवरण: सरकार को तीन प्रकार के विवरण संसद में प्रस्तुत करने होते हैं – मध्यावधि राजकोषीय नीति, राजकोषीय नीति युक्ति विवरण और वार्षिक वित्तीय विवरण।
- समीक्षा और सुधार:
- एन.के. सिंह समिति की सिफारिशें: ऋण-GDP अनुपात को 60% तक लाना, राजकोषीय घाटे को 2.5% तक घटाना, और ‘एस्केप क्लॉज’ के तहत आपातकालीन परिस्थितियों में अधिक लचीलापन की आवश्यकता।
मॉडल उत्तर
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 का उद्देश्य भारत की वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता और अनुशासन स्थापित करना है। इसके अंतर्गत सरकार को राजकोषीय घाटे और ऋण प्रबंधन में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध किया गया।
FRBM अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ
समीक्षाएँ और सुधार
2016 में एन.के. सिंह समिति द्वारा FRBM अधिनियम की समीक्षा की गई। समिति ने इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए ऋण-GDP अनुपात को 60% तक लाने और राजकोषीय घाटे को 2.5% तक घटाने की सिफारिश की। साथ ही, इसने ‘एस्केप क्लॉज’ के तहत आपातकालीन परिस्थितियों में अधिक लचीलापन की आवश्यकता जताई।
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 (FRBMA) का उद्देश्य भारत में राजकोषीय अनुशासन को बढ़ावा देना है।
मुख्य उद्देश्य:
प्रमुख विशेषताएँ:
FRBMA ने भारत में राजकोषीय अनुशासन को संस्थागत रूप से मजबूत किया है, जिससे आर्थिक स्थिरता में योगदान मिला है।
यह उत्तर राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 (FRBMA) के उद्देश्यों और प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है। उत्तर में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को अच्छी तरह से बताया गया है, लेकिन कुछ तथ्यों और आंकड़ों की कमी है, जो इसे और प्रभावी बना सकते हैं।
उत्तर की विशेषताएँ:
उद्देश्यों की स्पष्टता: वित्तीय प्रबंधन में अंतर-पीढ़ीगत समानता और दीर्घकालिक स्थिरता पर जोर दिया गया है, जो FRBMA के महत्वपूर्ण उद्देश्यों को दर्शाता है।
प्रमुख विशेषताएँ: 3% राजकोषीय घाटे और राजस्व घाटे के उन्मूलन के लक्ष्यों का उल्लेख सही है।
नीति वक्तव्यों की प्रस्तुति: तीन महत्वपूर्ण नीति वक्तव्यों का उल्लेख इसे और समृद्ध बनाता है।
उत्तर में सुधार हेतु सुझाव:
संशोधन का उल्लेख: 2018 में FRBMA संशोधन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है, जैसे कि 3% का राजकोषीय घाटा और ऋण-से-जीडीपी अनुपात का लक्ष्य।
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संबंधित आंकड़े: 2007-08 में FRBMA के प्रभाव से राजकोषीय घाटे में 2.7% की कमी और COVID-19 महामारी के दौरान बढ़कर 9.17% तक पहुंचने की जानकारी को शामिल किया जा सकता है।
एस्केप क्लॉज: असाधारण परिस्थितियों के तहत लक्ष्यों से विचलन की अनुमति (एस्केप क्लॉज) का उल्लेख नहीं किया गया है, जो अधिनियम की प्रमुख विशेषता है।
निष्कर्ष:
उत्तर सही दिशा में है, लेकिन इसे अधिक व्यापक और अद्यतन बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण डेटा और संशोधनों का उल्लेख किया जा सकता है।
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 (FRBMA) का मुख्य उद्देश्य भारत में राजकोषीय अनुशासन को बढ़ावा देना और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना है। इसके प्रमुख उद्देश्यों और विशेषताओं को निम्नलिखित बिंदुओं में विभाजित किया जा सकता है:
मुख्य उद्देश्य:
प्रमुख विशेषताएँ:
हाल के वर्षों में, FRBMA के तहत निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार ने विभिन्न सुधारात्मक कदम उठाए हैं, जैसे कि राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के लिए व्यय में कटौती और राजस्व बढ़ाने के उपाय। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, भारत की अर्थव्यवस्था में स्थिरता और निवेशकों के विश्वास में वृद्धि हुई है।
FRBMA के कार्यान्वयन से भारत में राजकोषीय अनुशासन को बढ़ावा मिला है, जिससे आर्थिक विकास और स्थिरता में योगदान हुआ है।
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 (FRBMA) का मुख्य उद्देश्य भारत में राजकोषीय अनुशासन स्थापित करना है। इसका लक्ष्य राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना, राजस्व घाटे को समाप्त करना, और सार्वजनिक ऋण को प्रबंधित करना है। इस अधिनियम के माध्यम से सरकार की वित्तीय नीतियों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाती है।
FRBMA के प्रमुख उद्देश्य:
FRBMA की प्रमुख विशेषताएँ:
FRBMA के कार्यान्वयन के बाद, भारत ने राजकोषीय घाटे में कमी देखी है। उदाहरण के लिए, 2007-08 में राजकोषीय घाटा GDP के 2.7% तक कम हो गया था। हालांकि, COVID-19 महामारी के दौरान, 2020 में यह बढ़कर 9.17% हो गया, लेकिन 2023-24 में इसे 5.8% तक लाने का प्रयास किया गया।
इस प्रकार, FRBMA ने भारत में वित्तीय स्थिरता और अनुशासन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
यह उत्तर राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 (FRBMA) के उद्देश्यों और प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट और सटीक रूप से प्रस्तुत करता है। लेकिन उत्तर को और प्रभावी बनाने के लिए कुछ अतिरिक्त तथ्यों और आंकड़ों को शामिल किया जा सकता है।
उत्तर की विशेषताएँ:
उद्देश्यों की स्पष्ट व्याख्या: राजकोषीय घाटा, राजस्व घाटा, और सार्वजनिक ऋण प्रबंधन के उद्देश्यों को अच्छी तरह समझाया गया है।
प्रमुख विशेषताएँ: “एस्केप क्लॉज” जैसी अवधारणाओं का उल्लेख उत्तर को गहराई प्रदान करता है।
आंकड़ों का उपयोग: 2007-08 और 2020 के राजकोषीय घाटे के आंकड़ों का उल्लेख उत्तर को तथ्यात्मक बनाता है।
उत्तर में सुधार हेतु सुझाव:
अधिनियम के दस्तावेज़: उत्तर में मध्यावधि राजकोषीय नीति वक्तव्य (MTFPS), राजकोषीय नीति रणनीति वक्तव्य (FPSS), और समष्टि आर्थिक ढाँचा वक्तव्य (MFS) जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों का उल्लेख नहीं किया गया है।
Aarushi आप फीडबैक का भी उपयोग कर सकती हो।
संशोधन और अद्यतन: 2018 के संशोधन और 3% राजकोषीय घाटे का लक्ष्य तथा सकल ऋण-से-जीडीपी अनुपात (60%) का लक्ष्य शामिल नहीं किया गया है।
चुनौतियाँ और आलोचना: उत्तर में FRBMA के कार्यान्वयन में आने वाली समस्याएँ, जैसे राज्यों की अनुपालना और आर्थिक संकटों के दौरान इसके निलंबन का उल्लेख नहीं किया गया है।
निष्कर्ष:
उत्तर प्रभावशाली है, लेकिन इसे FRBMA के संशोधनों, कार्यान्वयन की चुनौतियों, और अधिक डेटा के साथ और समृद्ध बनाया जा सकता है।