उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
- प्रस्तावना:
- स्थिरीकरण का सामान्य परिभाषा दें।
- इसका उद्देश्य और उपयोग स्पष्ट करें, विशेषकर केंद्रीय बैंक के दृष्टिकोण से।
- स्थिरीकरण का अर्थ:
- स्थिरीकरण की प्रक्रिया को विस्तार से समझाएं। यह एक केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रा आपूर्ति में बाहरी प्रभावों को सीमित या नियंत्रित करने की प्रक्रिया है। इसे सामान्य रूप से विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप के दौरान अपनाया जाता है।
- RBI द्वारा स्थिरीकरण की प्रक्रिया:
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के द्वारा बाह्य प्रभावों (जैसे विदेशी मुद्रा विनिमय दर में बदलाव) के खिलाफ मुद्रा आपूर्ति को स्थिर करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख उपायों का उल्लेख करें।
- खुला बाजार परिचालन, बाजार स्थिरीकरण योजना, विदेशी मुद्रा विनिमय, और RBI का अधिशेष जैसे उपायों का वर्णन करें।
- RBI के तंत्र और उपकरण:
- खुला बाजार परिचालन: RBI द्वारा प्रतिभूतियों की बिक्री से तरलता अवशोषित की जाती है।
- बाजार स्थिरीकरण योजना: MSS के तहत बाजार में बांड जारी करके अतिरिक्त तरलता को अवशोषित किया जाता है।
- विदेशी मुद्रा विनिमय: तरलता को स्थगित करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
- RBI का अधिशेष: RBI सरकार के अधिशेष को स्थिरीकरण के लिए इस्तेमाल करता है।
- निष्कर्ष:
- RBI के स्थिरीकरण उपायों के समग्र प्रभाव और उनकी अर्थव्यवस्था पर भूमिका को स्पष्ट करें। यह भी बताएं कि इन उपायों का उद्देश्य बाहरी आघातों के प्रभाव को नियंत्रित करना है और मुद्रा आपूर्ति को स्थिर बनाए रखना है।
उत्तर में उपयोग किए जा सकने वाले तथ्यों
- स्थिरीकरण का अर्थ:
- स्थिरीकरण मौद्रिक नीति का वह उपाय है जिसके द्वारा केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप के प्रभावों से घरेलू मुद्रा आपूर्ति को प्रभावित होने से बचाता है। उदाहरण स्वरूप, यदि केंद्रीय बैंक विनिमय दर को स्थिर रखना चाहता है, तो वह विदेशी मुद्रा के खरीद या विक्रय के माध्यम से इसको नियंत्रित करता है, जिससे घरेलू मुद्रा आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े।
- RBI द्वारा स्थिरीकरण के उपाय:
- खुला बाजार परिचालन: RBI खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री के जरिए अतिरिक्त तरलता को अवशोषित करता है।
- बाजार स्थिरीकरण योजना: RBI द्वारा बाजार स्थिरीकरण बांड जारी किए जाते हैं, जिनसे अतिरिक्त मुद्रा को सिस्टम से बाहर किया जाता है।
- विदेशी मुद्रा विनिमय: जब विदेश से पूंजी का अंतर्वाह होता है, तो RBI इसका उपयोग करके अतिरिक्त तरलता को स्थगित करता है।
- RBI का अधिशेष: RBI द्वारा सरकारी अधिशेष को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश कर स्थिरीकरण के उद्देश्य से इसका उपयोग किया जाता है।
स्थिरीकरण (स्टरलाइजेशन) एक मौद्रिक नीति उपकरण है जिसका उपयोग केंद्रीय बैंक, जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), विदेशी मुद्रा हस्तक्षेपों के घरेलू मुद्रा आपूर्ति पर प्रभाव को निष्प्रभावी करने के लिए करते हैं। जब RBI विदेशी मुद्रा खरीदता या बेचता है, तो यह घरेलू मुद्रा आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। इस प्रभाव को संतुलित करने के लिए, RBI ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMOs) जैसे उपकरणों का उपयोग करता है।
RBI द्वारा मुद्रा आपूर्ति को स्थिर करने के उपाय:
इन उपकरणों के माध्यम से, RBI बाहरी प्रभावों के कारण होने वाले संभावित मुद्रास्फीति या अपस्फीति के प्रभावों को निष्प्रभावी करता है, जिससे घरेलू मुद्रा आपूर्ति मौद्रिक नीति के उद्देश्यों के अनुरूप बनी रहती है।
स्थिरीकरण (स्टरलाइजेशन) एक मौद्रिक नीति उपकरण है जिसका उपयोग केंद्रीय बैंक, जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), विदेशी मुद्रा हस्तक्षेपों के घरेलू मुद्रा आपूर्ति पर प्रभाव को निष्प्रभावी करने के लिए करते हैं। जब RBI विदेशी मुद्रा खरीदता या बेचता है, तो यह घरेलू मुद्रा आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। इस प्रभाव को संतुलित करने के लिए, RBI विभिन्न उपकरणों का उपयोग करता है:
ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMOs): RBI सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद या बिक्री करके बैंकिंग प्रणाली में तरलता को नियंत्रित करता है। अधिक तरलता को अवशोषित करने के लिए प्रतिभूतियों की बिक्री की जाती है, जबकि तरलता बढ़ाने के लिए खरीदारी की जाती है।
नकद आरक्षित अनुपात (CRR): बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित प्रतिशत RBI के पास रखना होता है। CRR में परिवर्तन करके, RBI बैंकों के पास उपलब्ध ऋण देने योग्य धनराशि को नियंत्रित करता है।
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR): बैंकों को अपनी शुद्ध मांग और समय देनदारियों का एक निश्चित प्रतिशत तरल संपत्तियों के रूप में रखना होता है। SLR में बदलाव करके, RBI बैंकों की ऋण देने की क्षमता को नियंत्रित करता है।
मार्केट स्टेबिलाइजेशन स्कीम (MSS): RBI इस योजना के तहत सरकारी प्रतिभूतियां जारी करके विदेशी मुद्रा हस्तक्षेपों से उत्पन्न अतिरिक्त तरलता को अवशोषित करता है।
इन उपायों के माध्यम से, RBI बाहरी प्रभावों के कारण होने वाले संभावित मुद्रास्फीति या अपस्फीति के प्रभावों को निष्प्रभावी करता है, जिससे घरेलू मुद्रा आपूर्ति मौद्रिक नीति के उद्देश्यों के अनुरूप बनी रहती है।
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आपके उत्तर में स्थिरीकरण के अर्थ और RBI द्वारा मुद्रा आपूर्ति को स्थिर करने के तरीकों का उल्लेख किया गया है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और डेटा गायब हैं। उदाहरण के लिए, ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMOs) के कार्यप्रणाली का विस्तार से वर्णन नहीं किया गया है। इसके अलावा, CRR और SLR के प्रभावों को स्पष्ट करने के लिए कुछ उदाहरण दिए जा सकते थे। मार्केट स्टेबिलाइजेशन स्कीम (MSS) का उल्लेख किया गया है, लेकिन इसके कार्यान्वयन के तरीके और प्रभावों पर अधिक जानकारी होनी चाहिए।
स्थिरीकरण (स्टरलाइजेशन) का अर्थ
स्थिरीकरण एक मौद्रिक नीति उपकरण है जिसका उपयोग केंद्रीय बैंक, जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के घरेलू मुद्रा आपूर्ति पर प्रभाव को निष्प्रभावी करने के लिए करते हैं। जब RBI विदेशी मुद्रा खरीदता या बेचता है, तो यह घरेलू मुद्रा आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। इस प्रभाव को संतुलित करने के लिए, RBI ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMOs) जैसे उपकरणों का उपयोग करता है।
RBI द्वारा मुद्रा आपूर्ति को स्थिर करने के उपाय
हाल के घटनाक्रम
दिसंबर 2024 में, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के कारण, भारत में विदेशी पूंजी प्रवाह में वृद्धि हुई, जिससे अतिरिक्त तरलता उत्पन्न हुई। इस स्थिति को संभालने के लिए, RBI ने MSS के तहत ₹50,000 करोड़ मूल्य की सरकारी प्रतिभूतियां जारी कीं, जिससे अतिरिक्त तरलता को अवशोषित किया जा सके और मुद्रा आपूर्ति स्थिर रहे।
इन उपकरणों के माध्यम से, RBI बाहरी प्रभावों के कारण होने वाले संभावित मुद्रास्फीति या अपस्फीति के प्रभावों को निष्प्रभावी करता है, जिससे घरेलू मुद्रा आपूर्ति मौद्रिक नीति के उद्देश्यों के अनुरूप बनी रहती है।
स्थिरीकरण (स्टरलाइजेशन) एक मौद्रिक नीति उपकरण है जिसका उपयोग केंद्रीय बैंक, जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के कारण घरेलू मुद्रा आपूर्ति पर प्रभाव को निष्प्रभावी करने के लिए करते हैं। जब RBI विदेशी मुद्रा खरीदता या बेचता है, तो यह घरेलू मुद्रा आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। इस प्रभाव को संतुलित करने के लिए, RBI निम्नलिखित उपायों का उपयोग करता है:
ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMOs): RBI सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद या बिक्री करके बैंकिंग प्रणाली में तरलता को नियंत्रित करता है। अधिक तरलता को अवशोषित करने के लिए प्रतिभूतियों की बिक्री की जाती है, जबकि तरलता बढ़ाने के लिए खरीदारी की जाती है।
नकद आरक्षित अनुपात (CRR): बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित प्रतिशत RBI के पास रखना होता है। CRR में परिवर्तन करके, RBI बैंकों के पास उपलब्ध ऋण देने योग्य धनराशि को नियंत्रित करता है, जिससे मुद्रा आपूर्ति प्रभावित होती है।
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वैधानिक तरलता अनुपात (SLR): बैंकों को अपनी शुद्ध मांग और समय देनदारियों का एक निश्चित प्रतिशत तरल संपत्तियों के रूप में रखना होता है। SLR में बदलाव करके, RBI बैंकों की ऋण देने की क्षमता को नियंत्रित करता है।
मार्केट स्टेबिलाइजेशन स्कीम (MSS): RBI इस योजना के तहत सरकारी प्रतिभूतियां जारी करके विदेशी मुद्रा हस्तक्षेपों से उत्पन्न अतिरिक्त तरलता को अवशोषित करता है, जिससे मुद्रा आपूर्ति स्थिर रहती है।
इन उपायों के माध्यम से, RBI बाहरी प्रभावों के कारण होने वाले संभावित मुद्रास्फीति या अपस्फीति के प्रभावों को निष्प्रभावी करता है, जिससे घरेलू मुद्रा आपूर्ति मौद्रिक नीति के उद्देश्यों के अनुरूप बनी रहती है।
स्थिरीकरण (स्टरलाइजेशन) एक मौद्रिक नीति उपकरण है जिसका उपयोग केंद्रीय बैंक, जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के घरेलू मुद्रा आपूर्ति पर प्रभाव को निष्प्रभावी करने के लिए करते हैं। जब RBI विदेशी मुद्रा खरीदता या बेचता है, तो यह घरेलू मुद्रा आपूर्ति को प्रभावित करता है। इस प्रभाव को संतुलित करने के लिए, RBI ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMOs) जैसे उपकरणों का उपयोग करता है।
RBI द्वारा मुद्रा आपूर्ति को स्थिर करने के उपाय:
इन उपकरणों के माध्यम से, RBI बाहरी प्रभावों के कारण होने वाले संभावित मुद्रास्फीति या अपस्फीति के प्रभावों को निष्प्रभावी करता है, जिससे घरेलू मुद्रा आपूर्ति मौद्रिक नीति के उद्देश्यों के अनुरूप बनी रहती है।
इस उत्तर में स्थिरीकरण (स्टरलाइजेशन) का संक्षेप में अच्छा वर्णन किया गया है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों और डेटा की कमी है।
उत्तर में स्थिरीकरण का उद्देश्य स्पष्ट किया गया है, यानी RBI द्वारा बाह्य प्रभावों के कारण उत्पन्न होने वाली मुद्रा आपूर्ति की असंतुलनता को सुधारना। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया कि RBI बाहरी प्रभावों के खिलाफ स्थिरीकरण क्यों करता है, जैसे विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप के कारण मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि या कमी आ सकती है।
इसके अलावा, RBI द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रमुख उपकरणों को सही तरीके से बताया गया है, जैसे ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMOs), नकद आरक्षित अनुपात (CRR), और वैधानिक तरलता अनुपात (SLR), लेकिन मार्केट स्टेबिलाइजेशन स्कीम (MSS) का उल्लेख नहीं किया गया, जो स्थिरीकरण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
Yamuna आप फीडबैक का भी उपयोग कर सकती हो।
उत्तर को अधिक व्यापक और सटीक बनाने के लिए इन उपकरणों की कार्यप्रणाली और MSS के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए थी। साथ ही, यह उल्लेख करना चाहिए था कि RBI इन उपायों के माध्यम से मुद्रास्फीति या अपस्फीति को नियंत्रित करने के लिए मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करता है।